प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयों को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकिंग अब वित्तीय लेनदेन से आगे बढ़कर गुड गवर्नेंस और बेहतर सर्विस डिलीवरी का एक माध्यम बन चुकी है।
पिछली सरकारों की विरासत और अपनी सरकार की उपलब्धि का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने 2014 में क्षेत्र को ‘फोन बैंकिंग’ से ‘डिजिटल बैंकिंग’ में बदलाव किया है। पहले बैंकों को फोन कर दिशा निर्देश दिए जाते थे जिससे लाखों का नुकसान होता था और करोड़ों के घोटाले होते थे।
हमने सरकार में आने पर एनपीए (गैर निष्पादित संपत्ति) की पहचान की, बैंकों में धन का पुनर्संचयन किया और एक पारदर्शी तंत्र निर्मित किया। केंद्रीय बजट में घोषित आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां स्थापित किए जाने की घोषणा को आज पूरा किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कहा कि भारत की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना की आज पूरी दुनिया सराहना कर रही है। इसे एक वैश्विक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इस व्यवस्था को ‘लॉजिस्टिकल मार्वल’ बताया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार एक बड़ी बीमारी है जिसका इलाज जाम यानी ‘जनधन, आधार और मोबाइल’ की त्रिशक्ति है। उन्होंने कहा कि वित्तीय भागीदारी अब डिजिटल भागीदारी से जुड़कर संभावनाओं के नए संसार को खोल रही है। उनकी सरकार का लक्ष्य सामान्यजन को सशक्त बनाना है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को ध्यान में रखकर नीतियां बनाते हुए उसकी सुविधा और प्रगति का ध्यान रखा जा रहा है। इसके लिए उनकी सरकार ने दो चीजों पर एक साथ काम किया है। पहला बैंक की व्यवस्था को सुधारना और दूसरा वित्तीय समावेशन को बढ़ाना। उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेवाएं दूर-दूर तक घर तक पहुंचें। आज भारत के 99 प्रतिशत से ज्यादा गांवों में 5 किलोमीटर से भीतर कोई ना कोई बैंक ब्रांच, बैंकिंग आउटलेट या बैंकिंग कॉरस्पॉन्डेंट मौजूद है।
मोदी ने कहा कि बैंकिंग आज वित्तीय लेनदेन से कहीं आगे बढ़ गयी है। डिजिटल इकोनामी आज हमारी अर्थव्यस्था, स्टार्टअप वर्ड, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर की बड़ी ताकत है। 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट को सामान्य मानवीय से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी विशेष बैंकिंग व्यवस्था है जिससे कम से कम डिजिटल संसाधन से अधिकतम सेवाएं देने का काम होगा। बैंकिंग कागजी लिखापढ़ी के झंझट से मुक्त और पहले से ज्यादा आसान होने जा रही है। इसमें सुविधाएं होंगी और एक मजबूत डिजिटल बैंकिंग सुरक्षा भी होगी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट भाषण में वित्त मंत्री ने देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश के 75 जिलों में 75 डीबीयू की स्थापना किए जाने की घोषणा की थी। डीबीयू की स्थापना डिजिटल बैंकिंग का लाभ देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के उद्देश्य से की जा रही है और इनके अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कवर किया जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंक, 12 निजी बैंक और एक लघु वित्त बैंक इस प्रयास में भाग ले रहे हैं।
ये डीबीयू ब्रिक एंड मोर्टार आउटलेट्स से संचालित की जाएंगी, जहां लोगों को बचत खाता खोलने, बैलेंस-चेक करने, पासबुक प्रिंट करने, राशि अंतरित करने, फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने, ऋण के लिए आवेदन करने, जारी किए गए चेक के लिए स्टॉप-पेमेंट निर्देश देने, क्रेडिट/डेबिट कार्ड के लिए आवेदन करने, खाते का विवरण देखने, करों का भुगतान करने, बिलों का भुगतान करने, नामांकन करने, आदि जैसी विभिन्न डिजिटल बैंकिंग सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
डीबीयू ग्राहकों को सालभर बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं तक किफायती, सुविधाजनक पहुंच और बेहतर डिजिटल अनुभव प्रदान करने में सक्षम बनाएगी। वे डिजिटल वित्तीय साक्षरता का प्रसार करेंगी तथा ग्राहकों को साइबर सुरक्षा जागरुकता और सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करने पर विशेष जोर दिया जाएगा। इसके अलावा डीबीयू द्वारा प्रत्यरक्ष रूप से या उसके बिजनेस फैसिलिटेटर्स/कॉरस्पॉन्डेंट के माध्यम से प्रस्तुत किए जा रहे व्यवसाय और सेवाओं से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों का निवारण करने और उनको रीयलटाइम सहायता उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त डिजिटल व्यवस्थाएं होंगी।
टिप्पणियाँ