भोपाल। चीन, रूस, जापान, यूक्रेन जैसे देशों की तरह अब भारत में भी मेडिकल की पढ़ाई मातृभाषा में होगी। देश में इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हो रही है। प्रदेश के 97 डॉक्टरों की टीम ने चार महीने में रात-दिन काम कर अंग्रेजी की किताबों का हिंदी में अनुवाद किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रविवार (16 अक्टूबर) को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर आयोजित भव्य समारोह में इन किताबों को लॉन्च करेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बच्चे जन्म लेते ही अपनी मातृभाषा में सीखने लगते हैं और उनकी प्रतिभा का यह प्रकटीकरण अपनी मातृभाषा में ही हो सकता है और इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मातृभाषा में ही प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा देने का संकल्प प्रकट किया है। यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हमने मेडिकल की पढ़ाई भी हिंदी में कराने के लिए पाठ्यपुस्तकें तैयार कर ली हैं। अब अंग्रेजी की बाध्यता एवं अनिवार्यता नहीं रही। यह मध्यप्रदेश के लिए गौरव का विषय है कि हिंदी में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाला पहला राज्य बनेगा। इस अवसर पर हिंदी की पुस्तकों का लोकार्पण करने और पढ़ाई प्रारंभ कराने हमारे गृहमंत्री अमित शाह 16 अक्टूबर को आएंगे।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि मप्र के मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर और हिंदी के जानकारों ने एमबीबीएस प्रथम वर्ष की किताबों का अनुवादित संस्करण तैयार किया है। इस पूरे प्रोजेक्ट को मंदार नाम दिया गया है। मंदार नाम रखने के पीछे यह विचार था कि जिस प्रकार समुद्र मंथन में मंदार पर्वत के सहारे अमृत निकाला गया था, उसी प्रकार से अंग्रेजी की किताबों का हिंदी में अनुवाद किया गया है। मंदार में शामिल डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने विचार मंथन करके किताबें तैयार की हैं। मंत्री सारंग ने कहा, मुझे खुशी है कि दुनिया के उन देशों में अब भारत भी शामिल हो गया है, जो अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई कराते हैं। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से हो रही है।
मंत्री सारंग ने बताया कि पहले हमने ये विचार बनाया था कि हम भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से इसकी शुरुआत करेंगे, लेकिन अब किताबें पर्याप्त मात्रा में तैयार हो गई हैं। अब प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो रही है। हमारी कोशिश है कि निजी मेडिकल कॉलेजों में भी हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो।
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