गुजरात में बेट द्वारका ओखा बंदरगाह से लगभग सात समुद्री मील दूर है। यह स्थान देवभूमि द्वारका जिले में पड़ता है और पाकिस्तान से बिल्कुल नजदीक है। यहां से कराची लगभग 57 समुद्री मील (करीब 100 किलोमीटर) दूर है। गुजराती में ‘बेट‘ का अर्थ है द्वीप। यानी द्वारका द्वीप। यह भगवान् श्रीकृष्ण की नगरी है। वे यहां निवास करते थे। यहां विश्व प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है।
इन दिनों गुजरात में देवभूमि द्वारका जिला प्रशासन द्वारा बेट द्वारका में अतिक्रमण-मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। इस रपट के लिखे जाने तक यह अभियान जारी था। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान तब तक चलेगा, जब तक यह टापू पूरी तरह अतिक्रमण-मुक्त नहीं हो जाता। इसके अंतर्गत वहां बनी अवैध मजार, दुकानों और अन्य मजहबी स्थलों को हटाया जा रहा है।
एक रपट के अनुसार अब तक 50 से अधिक अवैध निर्माणों को हटाया गया है। इनमें सरकारी जमीन पर बनीं 10 मजार भी हैं। कुछ मजार के नाम हैं-आलमशा पीर, हजरत दौलतशा पीर, कमरुद्दीनशा पीर, सिद्दि बाबा मजार, बालापीर मजार आदि। इसके साथ ही सरकारी जमीन पर बने व्यावसायिक स्थानों और घरों को भी तोड़ा गया है।
स्थानीय प्रशासन ने 52,078 वर्ग फीट जमीन खाली कराने की योजना बनाई है। पुलिस अधीक्षक नितेश पांडे के अनुसार इस कार्य के लिए 1,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
विश्व हिंदू परिषद के समरसता प्रमुख देवजी भाई रावत ने बताया, ‘‘इस द्वीप पर पहले द्वारकाधीश मंदिर के अलावा कोई मजहबी स्थान नहीं था। बाद में नाव चलाने वाले भी वहां बसने लगे और ये लोग ज्यादातर मुसलमान हैं। इनके साथ नशे की तस्करी करने वाले भी वहां बसने लगे।
इस अभियान को पूरा करने के लिए बेट द्वारका में कर्फ्यू लगाया गया। इस दौरान केवल प्रशासनिक अधिकारियों और आपातकाल की सेवा में लगे लोगों को ही बेट द्वारका आने-जाने दिया गया है। द्वारकाधीश मंदिर समिति के न्यासी हेमंत सिंह मनोहर सिंह वाडेरा ने अतिक्रमण-मुक्त अभियान का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘बेट द्वारका को अतिक्रमण-मुक्त करना उतना ही जरूरी था, जितना कि एक मनुष्य के लिए भोजन की जरूरत। अतिक्रमण-मुक्ति अभियान चलाने के लिए गुजरात सरकार का अभिनंदन।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘बेट द्वारका की हिंदू जनसंख्या को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर षड्यंत्र रचा गया, क्योंकि यह स्थान देश की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इस द्वीप पर पाकिस्तानी तस्करों को शरण मिलती रही है, लेकिन पहले हिंदुओं की आबादी के अधिक होने के कारण उन्हें दिक्कत होती थी। इसलिए एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के अंतर्गत यहां मुसलमानों को अवैध रूप में बसाया गया और आज उनकी आबादी 85 प्रतिशत हो गई है।’’
श्रीकृष्ण की नगरी
बता दें कि गुजरात में बेट द्वारका ओखा बंदरगाह से लगभग सात समुद्री मील दूर है। यह स्थान देवभूमि द्वारका जिले में पड़ता है और पाकिस्तान से बिल्कुल नजदीक है। यहां से कराची लगभग 57 समुद्री मील (करीब 100 किलोमीटर) दूर है। गुजराती में ‘बेट‘ का अर्थ है द्वीप। यानी द्वारका द्वीप। यह भगवान् श्रीकृष्ण की नगरी है। वे यहां निवास करते थे। यहां विश्व प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है।
कालांतर में इस जगह का एक बड़ा हिस्सा समुद्र में समा गया। अब जो जगह बची है, उसका क्षेत्रफल लगभग 13 किलोमीटर है। अभी तक लोग इस द्वीप पर नाव के जरिए ही जाते हैं। चूंकि यह द्वीप है और यहां रहने वाले ज्यादातर लोग मछुआरे हैं। मछुआरों में भी अधिकतर मुसलमान हैं। यही लोग नाव भी चलाते हैं।
विश्व हिंदू परिषद के समरसता प्रमुख देवजी भाई रावत ने बताया, ‘‘इस द्वीप पर पहले द्वारकाधीश मंदिर के अलावा कोई मजहबी स्थान नहीं था। बाद में नाव चलाने वाले भी वहां बसने लगे और ये लोग ज्यादातर मुसलमान हैं। इनके साथ नशे की तस्करी करने वाले भी वहां बसने लगे।
इस तरह वहां मुसलमानों की आबादी बढ़ती गई। अब ये लोग वहां स्थायी रूप से बस गए हैं और मस्जिद और मजार के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने अतिक्रमण-मुक्त अभियान चलाकर एक अच्छा संदेश दिया है।
श्रीकृष्ण की नगरी वक्फ बोर्ड की कैसे हो सकती है! इसके बाद न्यायालय ने उस अर्जी को खारिज कर दिया था। यानी बेट द्वारका में भी वक्फ बोर्ड की आड़ में जमीन कब्जाने का प्रयास चल रहा है। लोगों को पूरी उम्मीद है कि वहां अवैध मजारों और मस्जिद को तोड़ने से वक्फ बोर्ड की मनमानी बंद होगी और हिंदुओं का यह श्रद्धा केंद्र सुरक्षित होगा।
अमदाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुरेश भट्ट कहते हैं, ‘‘मुसलमानों ने बेट द्वारका के कई स्थानों पर कब्जा कर मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान, दरगाह आदि बना लिए थे। हिंदू काफी समय से यह मांग कर रहे थे कि द्वीप पर हुए अवैध निर्माण को तोड़ा जाए। इसको देखते हुए गुजरात सरकार ने एक अक्तूबर से बेट द्वारका में अतिक्रमण-मुक्त अभियान चलाया है।’’
वहीं विश्व हिंदू परिषद, सौराष्ट्र प्रांत के धर्माचार्य संपर्क संयोजक प्रवीण सिंह कंचवा कहते हैं, ‘‘अतिक्रमण-मुक्त अभियान से बेट द्वारका में रहने वाले असामाजिक तत्वों का दुस्साहस कम होगा।’’ उन्होंने यह भी कहा कि बेट द्वारका में आतंकवादियों को शरण मिलती रही है। इसके साथ ही यहां से नशीले पदार्थों का कारोबार होता है। सरकार की इस कार्रवाई से यह द्वीप सुरक्षित होगा।
समुद्र पर पुल
बेट द्वारका के धार्मिक, सामरिक महत्व को देखते हुए गुजरात सरकार ओखा से बेट द्वारका तक जाने-आने के लिए समुद्र के ऊपर लगभग चार किलोमीटर लंबा पुल बनवा रही है। हालांकि स्थानीय मुसलमान इस पुल के निर्माण का विरोध कर रहे हैं। प्रवीण सिंह कंचवा कहते हैं, ‘‘पुल के बनने से बेट द्वारका तक बाहर के लोग भी आसानी से आ-जा सकेंगे। इससे इस द्वीप तक दैनिक उपयोग की वस्तुएं आसानी से पहुंच पाएंगी, साथ ही यहां पहुंचने वाले हिंदू श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ेगी। शायद इसी डर से मुसलमान इस मंदिर का विरोध कर रहे हैं।’’
एक रपट के अनुसार, बेट द्वारका में इस समय लगभग 10,000 मुसलमान और लगभग 1,200 हिंदू रहते हैं। यही कारण है कि इस द्वीप पर मुसलमान अपना दावा जताने लगे हैं। 2021 में तो एक अजीब घटना सामने आई थी। गुजरात वक्फ बोर्ड ने गुजरात उच्च न्यायालय में एक अर्जी लगाकर कहा था कि बेट द्वारका के कुछ हिस्से वक्फ बोर्ड के हैं।
उस समय उच्च न्यायालय ने वक्फ बोर्ड से कहा था कि श्रीकृष्ण की नगरी वक्फ बोर्ड की कैसे हो सकती है! इसके बाद न्यायालय ने उस अर्जी को खारिज कर दिया था। यानी बेट द्वारका में भी वक्फ बोर्ड की आड़ में जमीन कब्जाने का प्रयास चल रहा है। लोगों को पूरी उम्मीद है कि वहां अवैध मजारों और मस्जिद को तोड़ने से वक्फ बोर्ड की मनमानी बंद होगी और हिंदुओं का यह श्रद्धा केंद्र सुरक्षित होगा।
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