भारत की जनसामर्थ्य को पहचानते हुए सरसंघचालक जी ने समाज व संघ के कार्यकतार्ओं से स्वदेशी, स्व-उद्यम व स्वावलम्बन की ओर अग्रसर होने का आवाहन किया है। यदि देश की सम्पूर्ण कार्यशील आयु की जनसंख्या पूर्णत: रोजगार-युक्त हो जाए तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद 400 खरब डालर अर्थात 40 ट्रिलियन डॉलर तुल्य हो सकता है।
भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में राष्ट्रीय नवोत्थान के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूज्य सरसंघचालक श्री मोहन जी भागवत के विजयादशमी उद्बोधन में उद्यमिता व स्वरोजगार का आवाहन आज अत्यन्त समयोचित है। पूज्य सरसंघचालक ने इस अवसर पर आर्थिक विकास के सभी प्रयासों को रोजगार-उन्मुख किए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए यहां तक कहा है कि, प्रत्येक जिले में रोजगार प्रशिक्षण की ऐसी विकेन्द्रित योजनाएं बननी चाहिए जिससे सभी को अपने जिले में ही रोजगार प्राप्त हो सके और गांवों में विकास के कार्यक्रमों से सर्वत्र शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात आदि की सुविधाएं सुलभ हो जाएं।
उनका मानना है कि आज की महती आवश्यकता है हर हाथ को काम। रोजगार यानी केवल नौकरी नहीं, अपना काम या स्वरोजगार। उन्होंने कहा कि यह समझदारी समाज में व्यापक रूप से बढ़ानी पड़ेगी जिससे कार्यशील आयु का प्रत्येक नागरिक स्वयं के उद्यम के लिए अग्रसर हो। समाज में कोई काम प्रतिष्ठा में छोटा या हल्का नहीं है, परिश्रम, पूंजी तथा बौद्धिक श्रम सभी के महत्व समान है। यह मान्यता व तद्नुरूप आचरण, हम सबका होना चाहिए। इसके लिए उद्यमिता की बढ़ती प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन देना होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस राष्ट्रीय नवोत्थान की प्रक्रिया में प्रत्येक नागरिक सहभागी हो, यह परम आवश्यक है।
सरसंघचालक जी के इस आवाहन को समझने के लिए देश की जनसंख्या की विशालता व उसकी सामर्थ्य का भी सही आकलन आवश्यक है। भारत की 141 करोड़ जनसंख्या, आज सम्पूर्ण यूरोप के 50 देशों व लैटिन अमेरिका के 26 देशों अर्थात इन दोनों महाद्वीपों के 76 देशों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है।
भारत के पास विश्व की कार्यशील आयु की सर्वाधिक जनसंख्या है। भारत में 15-64 वर्ष के आयु वर्ग, यानी कार्यशील जनसंख्या भी 90 करोड़ है। वर्ष 2030 तक देश की कार्यशील आयु की जनसंख्या 100 करोड़ हो जाएगी, जो विश्व की कुल कार्यशील आयु की 24.3 प्रतिशत होगी।
स्वावलम्बी भारत अभियान के आगामी दौर में अब सभी जिलों में रोजगार सृजन केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं। इन प्रयासों की अनुगूंज के आधार पर ही सरसंघचालक जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि आज ‘इस राष्ट्रीय नवोत्थान की प्रक्रिया को अब सामान्य व्यक्ति भी अनुभव कर रहा है।’
अर्थशास्त्रियों के अनुसार यदि देश की सम्पूर्ण कार्यशील आयु की जनसंख्या पूर्णत: रोजगार-युक्त हो जाए तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद 400 खरब डालर अर्थात 40 ट्रिलियन डॉलर तुल्य हो सकता है। आज भारत का सकल घरेलू उत्पाद 33 खरब डालर अर्थात 3.3 ट्रिलियन डालर तुल्य है, जो बढ़कर 12 गुना हो सकता है। आज अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी 20 ट्रिलियन डालर की ही है।
भारत की इस जनसामर्थ्य को पहचानते हुए ही सरसंघचालक जी ने अपने उद्बोधन में समाज व संघ के कार्यकर्ताओं से स्वदेशी, स्व-उद्यम व स्वावलम्बन की ओर अग्रसर होने का आवाहन किया है। उन्होंने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में, विगत एक वर्ष से स्वयंसेवकों द्वारा चलाए जा रहे ‘स्वावलम्बी भारत अभियान’ का उल्लेख करते हुए कहा है कि आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले देश के विविध संगठन, लघु उद्यमी, कुछ सम्पन्न सज्जन, कला कौशल के जानकार, प्रशिक्षक तथा स्थानीय स्वयंसेवकों ने लगभग 275 जिलों में स्वदेशी जागरण मंच के साथ मिलकर यह प्रयोग प्रारम्भ किया है।
इस प्रारम्भिक अवस्था में ही रोजगार सृजन में उल्लेखनीय योगदान देने में सफल हुए हैं, ऐसी जानकारी मिल रही है। वस्तुत: संघ द्वारा प्रतिनिधि सभा में इस विषय पर पारित प्रस्ताव से ही देशवासी व स्वयंसेवक इस दिशा में सक्रिय हो गए हैं।
स्वरोजगार पर उक्त प्रस्ताव के बाद देश भर में ‘स्वावलम्बी भारत अभियान’ ने गति पकड़ ली थी। स्वदेशी जागरण मंच सहित आर्थिक श्रेणी के राष्ट्रव्यापी संगठनों के सघन प्रयासों से अभियान के अन्तर्गत विगत दो माह में 450 से अधिक जिलों में 2350 उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन हुए हैं, जिनमें 4000 प्रकल्पों के प्रदर्शन के साथ 4 लाख से अधिक युवाओं की सहभागिता हुई है।
स्वावलम्बी भारत अभियान के आगामी दौर में अब सभी जिलों में रोजगार सृजन केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं। इन प्रयासों की अनुगूंज के आधार पर ही सरसंघचालक जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि आज ‘इस राष्ट्रीय नवोत्थान की प्रक्रिया को अब सामान्य व्यक्ति भी अनुभव कर रहा है।’
वस्तुत: स्वावलम्बी भारत अभियान की फरवरी 2022 की प्रथम कार्यशाला से ही विविध राष्ट्रीय संगठनों व स्वयंसेवकों के साथ ही खादी ग्रामोद्योग आयोग, नाबार्ड जैसी कई संस्थाएं भी स्वावलम्बी भारत अभियान को बढ़ा रही हैं।
(लेखक उदयपुर में पैसिफिक विश्वविद्यालय समूह के
अध्यक्ष-आयोजना व नियंत्रण हैं)
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