24 अक्तूबर को दिवाली है, लेकिन पंजाब के परिवहन कर्मचारियों को बोनस तो छोड़िए सितंबर महीने का वेतन अभी तक नहीं मिला है। मुफ्त की रेवडिय़ां बांटने की राजनीतिक दलों की नीतियों का परिणाम कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। वे कह रहे हैं कि मुफ्त की रेवड़ियां नहीं, उनके वेतन चाहिए जिससे कि घर का खर्च चल सके। मुफ्त की रेवड़ियों के चक्कर में विभाग कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि वेतन में देरी होने का यह पहला मौका है, बल्कि कई महीने से या तो सैलरी समय से नहीं दी जा रही या फिर किश्तों में दी जा रही है।
पनबस के अध्यक्ष रेशम सिंह गिल ने बताया कि पंजाब सरकार के पास पनबस का करीब 100 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि पीआरटीसी का 200 करोड़ रुपये बकाया है। पंजाब सरकार को दोनों रोडवेज का कुल 300 करोड़ रुपए बकाया चुकाना है, लेकिन कर्मचारियों को समय से सैलरी ही नहीं दी जा रही है। ऐसे में सरकारी स्तर पर बकाया देने का फिलहाल कोई संकेत नहीं है। पंजाब में निवर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा शुरू करने के बाद परिवहन विभाग की हालत खराब होनी शुरू हुई। बस में सफर फ्री होने से पहले औसतन 35-40 रुपये की एक सीट होती थी, लेकिन बसों में महिलाओं का सफर फ्री होने पर उनकी संख्या अधिक बढ़ गई है और इससे एक सीट औसतन 7 रुपए पर आ गई है। नकदी की सवारी करीब 10-15 ही रहती है, जबकि बस में भारी संख्या में सवारियां होती हैं। टिकट के नाम पर महिलाओं को आधार कार्ड पर केवल जीरो चार्ज की टिकट दी जाती है, जिसका भुगतान बाद में राज्य सरकार करती है। आर्थिक तंगी के चलते सरकार पीआरटीसी व पनबस को काफी समय से भुगतान नहीं कर पा रही है।
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