उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अयोध्या के निर्मोचन चौराहा स्थित राधा कृष्ण अम्मा मंदिर में रामानुजाचार्य की मूर्ति का अनावरण किया। अनावरण के मौके पर मुख्यमंत्री के साथ जगद्गुरु रामानुजाचार्य राघवाचार्य और जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीधराचार्य उपस्थित रहे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ज्ञान की भूमि है। समय -समय पर भारत में आध्यात्मिक संतों का मार्गदर्शन मिला है। स्वामी रामानुजाचार्य ने समाज को दृष्टि दी थी। संतों का सानिध्य भारतवर्ष को हर कालखण्ड में मिला। संतों की इस परम्परा पर हमें गौरव की अनुभूति होती है। द्वैत-अद्वैत लक्ष्य पर पहुंचने के अलग-अलग मार्ग हैं। भारतीय मनीषा ने कभी नहीं कहा कि जो हम कह रहे हैं, वही धर्म है। महापुरुषों के द्वारा जो बताया गया, वही धर्म है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत लोक कल्याण के मार्ग पर चलने की हमें प्रेरणा देते हैं। जात-पात पूछे नहि कोई, हरि को भजे सो हरि को होई…। इस मार्ग से जब हम हटे तब विदेशी आक्रान्ताओं ने हमें कमजोर किया। हम सनातन धर्म को मजबूत कर एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने के साथ ही दुनिया को शांति का संदेश देंगे।
संतों ने मुख्यमंत्री से लखनऊ का नाम लक्ष्मणपुरी करने का निवेदन किया। दक्षिण भारती की शैली में बने इस मंदिर में रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती पर मूर्ति स्थापित की गयी है। अयोध्या में रामानुजाचार्य की यह पहली मूर्ति है। मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम के अलावा श्रीराम मंत्र अर्थ मंडपम हर्षण नगर के श्रीराम मंत्र महायज्ञ रजत जयंती महोत्सव कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद अधिकारियों के साथ दीपोत्सव कार्यक्रम की समीक्षा बैठक करेंगे।
इस अवसर पर महंत अवधेश दास बड़ा भक्तमाल, रसिक पीठाधीश्वर महंत जनमेजय शरण, अयोध्या सांसद लल्लू सिंह, अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और रुदौली के विधायक रामचन्द्र यादव प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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