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तकनीक 5 जी : बड़ा लक्ष्य, बड़ी छलांग

5जी तकनीक के आने के बाद भारत में डिजिटल क्रांति आएगी। इससे न सिर्फ बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे, बल्कि राजस्व भी बढ़ेगा और देश को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Oct 12, 2022, 07:53 am IST
in भारत, विश्लेषण, मत अभिमत, विज्ञान और तकनीक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 अक्तूबर को 5जी तकनीक का उद्घाटन करते हुए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 अक्तूबर को 5जी तकनीक का उद्घाटन करते हुए

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देश में 5जी सेवाओं के आरंभ की घोषणा की। दूरसंचार के क्षेत्र में यह एक बड़ा पड़ाव है। खासकर 2जी, 3जी और 4जी के दौरान देश जहां प्रौद्योगिकी के लिए विदेशों पर निर्भर रहा, वहीं 5जी के संदर्भ में यह अधिकांश मामलों में आत्मनिर्भर होता दिख रहा है। इस आधुनिकतम दूरसंचार प्रौद्योगिकी को आम भारतीय तक पहुंचाना आसान काम नहीं है, लेकिन देश में ऐसा दूरसंचार ढांचा तैयार किया जा चुका है जो इस चुनौती के समाधान में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अक्तूबर को इंडिया मोबाइल कांग्रेस के दौरान देश में 5जी सेवाओं के आरंभ की घोषणा की। दूरसंचार के क्षेत्र में यह एक बड़ा पड़ाव है। खासकर 2जी, 3जी और 4जी के दौरान देश जहां प्रौद्योगिकी के लिए विदेशों पर निर्भर रहा, वहीं 5जी के संदर्भ में यह अधिकांश मामलों में आत्मनिर्भर होता दिख रहा है। इस आधुनिकतम दूरसंचार प्रौद्योगिकी को आम भारतीय तक पहुंचाना आसान काम नहीं है, लेकिन देश में ऐसा दूरसंचार ढांचा तैयार किया जा चुका है जो इस चुनौती के समाधान में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

तेज-रफ्तार दूरसंचार संपर्क से लेकर आधारभूत ढांचे के प्रसार और उपकरणों के विनिर्माण से लेकर किफायती दूरसंचार दरों तक के लिए सभी संबंधित हितधारक आतुर दिखाई देते हैं विशेषकर, केंद्र सरकार, दूरसंचार उद्योग और विनिर्माण कंपनियां। अगले कुछ वर्षों में 5जी भारत में विकास को गति देने वाली महत्वपूर्ण शक्ति बनकर उभरेगी। इसकी बदौलत जितने और जिस किस्म के अवसर उभरने की संभावना है, उनकी ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा है कि 5जी तकनीक सिर्फ तेज रफ्तार इंटरनेट ही नहीं देगी, बल्कि वह जिंदगगियां बदलने की शक्ति रखती है।

अर्थव्यवस्था में योगदान
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में 5जी की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। 2035 तक यह कुल मिलाकर एक ट्रिलियन डॉलर तक की आर्थिक हलचल पैदा करेगी। तात्पर्य यह कि इससे इतने बड़े परिमाण में आर्थिक अवसर, रोजगार, कारोबार, राजस्व आदि उत्पन्न होंगे। जाहिर है, यह सामान्य दूरसंचार प्रौद्योगिकियों से अलग महत्व रखती है। अक्सर जब इस तरह की भविष्योन्मुखी घटना घटती है तो पूर्वाग्रह ग्रस्त पश्चिमी देशों के मीडिया में सवाल उठता है कि क्या भारत जैसा विकासशील देश इस तरह की तकनीकों का लाभ उठाने की स्थिति में है?

इस बार खुद पश्चिमी कंपनियां इसका उत्तर दे रही हैं। एरिक्सन ने जून 2021 में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2025 तक भारत में 50 करोड़ दूरसंचार उपभोक्ता 5जी का प्रयोग कर रहे होंगे। इतना ही नहीं, भारत के कुल मोबाइल संचार का 56 प्रतिशत हिस्सा 5जी के जरिए संचालित हो रहा होगा। अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश सेवा कंपनी जैफरीज की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक आधे स्मार्टफोन उपभोक्ता 5जी का प्रयोग कर रहे होंगे। इधर, अनुसंधान और विश्लेषण करने वाली कंपनी केपीएमजी की तीन साल पहले की रिपोर्ट कहती है कि 2025 तक यही 5जी प्रौद्योगिकी भारत की अर्थव्यवस्था में आधा प्रतिशत का योगदान करने की क्षमता रखती है।

समृद्धि के नए रास्ते खुलेंगे

वर्तमान स्थिति

  • अमेरिका में सेवा प्रदाता के लिए न्यूनतम 12 एमबीपीएस गति देना अनिवार्य।
    भारत में ट्राई ने न्यूनतम इंटरनेट स्पीड 2 एमबीपीएस तय की है।
  •  एक स्मार्ट होम के लिए औसत 25 एमबीपीएस डाउनलोड रफ्तार चाहिए,
    पर भारत में औसत डाउनलोड गति 14.28 एमबीपीएस है।
  • 47 एमबीपीएस है देश में फिक्स्ड लाइन इंटरनेट की गति।

4G बनाम 5G

5जी दूरसंचार नेटवर्क की पांचवीं पीढ़ी है। 4जी की तुलना में 5जी नेटवर्क 10 गुना और 3जी से 30 गुना अधिक तेजी से काम करता है। यानी 4जी में सर्वश्रेष्ठ गति 100 एमबीपीएस है तो 5जी में यह 10,000 एमबीपीएस या 10 जीबीपीएस हो सकती है। यह आपके उपकरण से निकले संकेतों को उसके गंतव्य तक भेजने में लगने वाला समय है। 5जी में 4जी से बिल्कुल अलग मिलीमीटर वेवलेंथ का प्रयोग होता है। इसकी क्षमता पुरानी दूरसंचार तकनीकों की तुलना में बहुत अधिक है। 4जी की तुलना में यह 10 से 100 गुना अधिक डेटा प्रवाहित कर सकती है।

4जी

  • 20-30 मिली सेकिंड समय लगता है डेटा संचार में
  • प्रतिवर्ग किमी करीब 4,000 उपकरण जुड़ सकते हैं
  • 50 एमबीपीएस है अपलोड स्पीड
  • 150 एमबीपीएस है डाउनलोड स्पीड

5जी

  • 20 गुना तेजी से यानी एक मिली सेकेंड से भी कम
  • प्रति वर्ग किमी 10 लाख उपकरण आसानी से जुड़ सकते हैं
  • 1 जीबीपीएस
  • 10 जीबीपीएस से अधिक

ये हैं फायदे

  • इंटरनेट की गति के 10 से 100 गुना तक बढ़ने की उम्मीद है।
  • इंटरनेट कॉल में आवाज साफ आएगी। वीडियो कॉल भी नहीं अटकेगी।
  • इंटरनेट पर बिना बाधा फिल्म देख सकेंगे, बफरिंग से छुटकारा मिलेगा। 
  • भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी बिना रुकावट तेजी से डेटा भेजना संभव।
  • एक साथ कई उपकरण चला सकेंगे। हाईब्रिड कार्य संस्कृति का विस्तार होगा।
  • उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और कौशल विकास में मिलेगी मदद।
  • डिजिटल क्रांति आएगी, रोबोटिक्स तकनीक का विकास होगा। 
  • आटोमेशन का नया दौर शुरू होगा यानी बड़े शहरों तक सीमित चीजें गांवों तक पहुंचेंगी।
  • देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और ई-गवर्नेंस का विस्तार होगा।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी, आगमेंटेड रियलिटी, क्लाउड गेमिंग के लिए रास्ते खुलेंगे। 
  • कृषि में ड्रोन का प्रयोग, मेट्रो बिना चालक वाली गाड़ियों का संचालन आसान होगा।
  • मरीजों की रोबोटिक सर्जरी की जा सकेगी। टेलीमेडिसिन का विस्तार होगा।
  • मनोरंजन के लिए आनलाइन सामग्री के क्षेत्र में बदलाव होंगे।
  • यातायात, सफाई, सुरक्षा में मददगार, शहरों को स्मार्ट बनाने में मदद मिलेगी। 
  • स्मार्ट गैजेट्स चलाना होगा आसान।

 

5जी का आगमन न सिर्फ हमारे लिए कारोबारी, तकनीकी तथा सरकारी स्तर पर ही लाभप्रद होगा, दूरसंचार के क्षेत्र में देश की छवि को भी और मजबूत बनाएगा। पहले ही भारत वैश्विक दूरसंचार मानचित्र पर खास जगह रखता है, डेटा कनेक्टिविटी की कम लागत और डेटा की औसत खपत के मामले में। देश में इंटरनेट संपर्क का दायरा भी लगातार व्यापक होता जा रहा है, जिसकी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस के अपने भाषण में जिक्र भी किया। उन्होंने डिजिटल इंडिया के 4 स्तंभों का जिक्र किया, जिन पर सरकार ने अपना ध्यान केंद्रित किया हुआ है। ये हैं- उपकरणों के मूल्य, डिजिटल कनेक्टिविटी, डेटा की कीमत तथा ‘डिजिटल प्रथम’ की सोच।

5जी हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसकी झलक उद्योगपतियों तथा दूरसंचार व सूचना प्रौद्योगिकी के दिग्गजों के बयानों से मिलती है। रिलायंस के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने तो 5जी को आधुनिक ‘कामधेनु’ बताते हुए कहा है कि यह भारत की अर्थव्यवस्था को 2047 में 40 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने में मदद कर सकती है। केपीएमजी इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी यजदी नागपुरवाला भी मानते हैं कि इसके आने से भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ी उछाल आने के आसार हैं। वहीं आदित्य बिरला समूह के अध्यक्ष कुमारमंगलम बिरला का कहना है कि भारत ने प्रौद्योगिकी की दुनिया में एक पीढ़ी की छलांग मार ली है। 5जी से सेवा क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा और चौथी औद्योगिक क्रांति के तहत गांव-गांव तक विकास और समृद्धि का रास्ता खुलेगा।

क्या-क्या बदल जाएगा
5जी के आने से भारत में इंटरनेट की गति में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। फिलहाल, मोबाइल इंटरनेट गति मामले में भारत दुनिया में 125वें स्थान पर है। यह दावा दुनियाभर में इंटरनेट संपर्क की गति मापने वाली कंपनी ‘ऊकला’ का है। उसका कहना है कि ब्रॉडबैंड की रफ्तार के मामले में भारत 79वें नंबर पर है। वहीं, दूसरी तरफ औसत प्रति व्यक्ति डेटा खपत के मामले में भारत 18 गीगाबाइट डेटा के साथ बाकी दुनिया से बहुत आगे है। जहां दुनिया 11 गीगाबाइट डेटा खपत कर रही है, वहीं भारत करीब डेढ़ गुना डेटा खपत कर रहा है। 4जी नेटवर्क पर अमूमन एक फिल्म को डाउनलोड करने में पांच मिनट लगते हैं, जबकि 5जी नेटवर्क पर वही फिल्म आधे मिनट में डाउनलोड हो जाएगी।

5जी की बदौलत बेहतर इंटरनेट बेहतर गति के अलावा भी ऐसे ढेरों काम संभव हो जाएंगे, जिनमें बड़ी मात्रा में डेटा के आदान-प्रदान की जरूरत पड़ती है। मोबाइल बैंकिंग, वर्चुअल रियलिटी, आगमेंटेड रियलिटी, इंटरनेट आफ थिंग्स, 4 के वीडियो, स्वत: चालित वाहनों, टेलीप्रेजेन्स, होलोग्राम तकनीक, स्मार्ट शहर, रिमोट सर्जरी, क्लाउड-आधारित चिकित्सा सुविधाओं जैसी गतिविधियां सामान्य ढंग से संचालित होने लगेंगी, जिनका आज हम या तो अनुभव ही नहीं कर पाते या उनकी वास्तविक क्षमता के विपरीत बहुत सीमित अनुभव कर पाते हैं।

स्मार्ट शहरों, स्वास्थ्य, यातायात, मनोरंजन, कृषि, शिक्षा, आपदा प्रबंधन, परिवहन, गेमिंग, साइबर सुरक्षा आदि क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिलेंगे और अनेक क्षेत्रों में आधारभूत गतिविधियों की लागत में 15 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। यानी एक ओर नए अवसरों का पैदा होना तथा दूसरी तरफ खर्चों को नियंत्रित करने में मदद करना, हमारे आर्थिक लक्ष्यों के लिहाज से एक अच्छा संकेत है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर विशेष जोर दिया कि 5जी के साथ भारत पहली बार दूरसंचार प्रौद्योगिकी में वैश्विक मानक तय कर रहा है। एयरटेल और रिलायंस ने 5जी सेवाएं शुरू कर दी हैं, इसलिए यह प्रश्न बेमानी हो चुका है कि हमारे पास इस दूरसंचार तकनीक के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी है या नहीं।

कहां, कब आएगी 5जी
पहले चरण में भारत के 22 शहरों में 5जी नेटवर्क शुरू हो जाएंगे। इन शहरों में अहमदाबाद, बंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, गांधीनगर, गुरुग्राम, हैदराबाद, जामनगर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पुणे, सिलीगुड़ी और वाराणसी शामिल हैं। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, सरकार अगले छह महीनों में 200 शहरों में 5जी को पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। बाकी देश में अगले साल यह प्रौद्योगिकी पहुंच जाएगी। जहां तक दूरसंचार प्रदाताओं का सवाल है, एयरटेल ने आठ शहरों में यह सेवा शुरू करने की घोषणा की है।

ये शहर हैं- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, वाराणसी, बंगलुरु, सिलीगुड़ी और हैदराबाद। वहीं, रिलायंस जियो दीपावली पर चारों महानगरों- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में यह सेवा शुरू करने जा रही है। कंपनी के अध्यक्ष मुकेश अंबानी के अनुसार, कंपनी दिसंबर 2023 तक पूरे देश में 5जी शुरू कर देगी। इस बारे में वोडाफोन-आइडिया की ओर से फिलहाल कोई समयसीमा घोषित नहीं की गई है।

डेटा दरें कैसी होंगी

फिलहाल, किसी कंपनी ने 5जी के लिए साफ-साफ दरें घोषित नहीं की हैं। एयरटेल ने कहा है कि उसकी 5जी सेवाएं फिलहाल 4जी दरों पर ही उपलब्ध होंगी। 5जी की दरें बाद में अलग से घोषित की जाएंगी। यह स्वाभाविक है कि कंपनियों के डेटा प्लान स्पेक्ट्रम पर आने वाले खर्च पर निर्भर करेंगे, लेकिन दूसरी तरफ यह भी एक सच्चाई है कि भारत में दूरसंचार क्षेत्र में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है। ऐसे में कंपनियों के डेटा प्लान बहुत महंगे नहीं हो सकते, यह भी निश्चित दिखाई देता है। कंपनियों को ‘विशाल संख्या पर आधारित अर्थव्यवस्था’ (इकॉनमी आफ स्केल) का सहारा लेना होगा। वैसे ही जैसे कि रिलायंस जियो ने अब तक लिया है। उसने कम दरों पर बड़ी संख्या में लोगों को अपने नेटवर्क में लाकर न केवल अपने खर्चे निकाले, बल्कि बहुत अच्छा मुनाफा भी कमा रही है। इस बार भी जियो ने कहा है कि उसकी सेवाएं आसानी से वहन करने योग्य होंगी।

एक दिलचस्प तथ्य यह है कि अगर 5जी सेवाएं थोड़ी महंगी भी हुई तो डाउनलोड किए जाने वाले डेटा की मात्रा से तुलना की जाए तो ये दरें बहुत सस्ती होंगी। जब से दूरसंचार सेवाएं आई हैं, तब से प्राय: ये दरें लगातार सस्ती होती चली गई हैं। 5जी के अंतर्गत समान समय में सौ गुना ज्यादा तेज रफ्तार से डेटा डाउनलोड होने का अर्थ यह भी है कि प्रति जीबीपीएस डेटा डाउनलोड की दरें 4जी की तुलना में बहुत सस्ती होंगी।

स्मार्टफोन और सिम
सबके मन में प्रश्न है कि क्या उपभोक्ताओं को 5जी के लिए अलग से स्मार्टफोन लेने होंगे? क्या उनका सिम कार्ड बदलेगा? पहले प्रश्न का उत्तर आपके मौजूदा स्मार्टफोन पर निर्भर करता है। पिछले दो-तीन वर्षों से अनेक स्मार्टफोन 5जी क्षमता के साथ आ रहे हैं। अगर आपने वैसा कोई स्मार्टफोन खरीदा हुआ है तो नया खरीदने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन आपका स्मार्टफोन 5जी समर्थित नहीं है तो फिर आपको नया फोन खरीदना पड़ सकता है। एयरटेल ने यह बात स्पष्ट रूप से कही भी है कि उसके 5जी नेटवर्क का प्रयोग करने के लिए 5जी फोन की आवश्यकता होगी। रिलायंस जियो ने घोषणा की है कि वह दीपावली के आसपास अपना अलग 5जी फोन भी लाने जा रही है।

क्या आपके फोन में 5जी की क्षमता है? यह जानने के लिए अपने स्मार्टफोन के विवरण को जांचिए या उसके साथ आए दस्तावेजों में या कंपनी की वेबसाइट पर जाकर। अगर उसमें यह क्षमता है और आपके शहर में 5जी सेवा के शुरू होने के बावजूद फोन में इसका कोई संकेत दिखाई नहीं दे रहा तो आपको अपने फोन का सॉफ्टवेयर अपडेट करके देखना चाहिए।

जहां तक तक सिम कार्ड का सवाल है, तो इसका उत्तर यह है कि फौरी तौर पर इसकी आवश्यकता नहीं होगी। हो सकता है बाद में कंपनियां नया सिम कार्ड जारी करें। जियो ने आधिकारिक रूप से इस बारे में अभी कोई टिप्पणी नहीं की है। अलबत्ता एयरटेल ने कहा है कि उसके वर्तमान सिम कार्ड 5जी फोन पर भी आराम से काम करेंगे, क्योंकि ये 5जी समर्थित हैं।

तकनीक की स्थिति
5जी को लाने की प्रक्रिया में पहला जरूरी काम शोध और अनुसंधान का है जिस पर देश में काफी काम हो चुका है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर विशेष जोर दिया कि 5जी के साथ भारत पहली बार दूरसंचार प्रौद्योगिकी में वैश्विक मानक तय कर रहा है। एयरटेल और रिलायंस ने 5जी सेवाएं शुरू कर दी हैं, इसलिए यह प्रश्न बेमानी हो चुका है कि हमारे पास इस दूरसंचार तकनीक के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी है या नहीं।

रिलायंस जियो ने कई महीने पहले ही अनेक शहरों में 5जी ओपन रैन नामक प्रणालियों का परीक्षण कर लिया था। यह सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर से लैस ऐसा तकनीकी ढांचा है, जिसे कम कीमत पर, कम बिजली का इस्तेमाल करते हुए और सुरक्षित ढंग से 5जी सेवा मुहैया कराने के लिए सक्षम माना जाता है। रिलायंस जियो 5जी आधारित स्मार्टफोन उपकरणों के विनिर्माण के लिए भी गूगल तथा कुछ अन्य कंपनियों के साथ साझेदारी कर रही है। इससे भारतीय बाजार में चीनी कंपनियों के असर को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलेगी।

जियो की ही तरह एयरटेल ने 2017 में मैसिव मल्टीपल इनपुट मल्टीपल आउटपुट (मीमो) प्रणाली पर अमल की घोषणा की थी जो 5जी नेटवर्कों की स्थापना में अहम भूमिका निभाती है। इसी तरह, वोडाफोन ने भी मीमो और डायनेमिक स्पेक्ट्रम रिफ्रेमिंग (डीएसआर) नामक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए अपने नेटवर्क को अपग्रेड करने का सफल प्रयोग किया है।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट में निदेशक- भारतीय भाषाएं और सुगम्यता के पद पर कार्यरत हैं)

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