मुंबई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समूह को बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना नाम मिलने से उद्धव ठाकरे समूह नाराज हो गया है। ठाकरे समूह के प्रवक्ता अनिल परब ने कहा कि चुनाव आयोग ने पक्षपातपूर्ण निर्णय लिया है, इसलिए आयोग के इस फैसले को मंगलवार को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
अनिल परब ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के समक्ष पहले क्रम में इसी नाम की मांग की थी लेकिन चुनाव आयोग ने यह नाम शिंदे समूह को दे दिया। उनकी बात को अनसुना कर दिया है। इसलिए हम आयोग के फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे। अनिल परब ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे, उद्धव ठाकरे के पिता हैं, फिर चुनाव आयोग यह नाम शिंदे समूह को कैसे दे सकता है।
दरअसल सोमवार को चुनाव आयोग ने ठाकरे समूह को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम दिया है और शिंदे समूह को बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना नाम दिया है।
शिवसेना के उद्धव गुट को जलती मशाल चुनाव चिन्ह आवंटित किया
चुनाव आयोग ने सोमवार को शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को चुनाव चिन्ह और नाम आवंटित कर दिया। उद्धव ठाकरे गुट आगामी उपचुनाव में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और जलती मशाल चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल कर सकता है। चुनाव आयोग ने पार्टी नाम और चुनाव चिन्ह को लेकर उद्धव ठाकरे गुट की ओर से प्राप्त विकल्प पर विचार किया। इसके बाद आयोग ने उक्त विकल्पों पर अपनी सहमति व्यक्त की। आयोग ने गुट की ओर से प्राप्त कुछ प्राथमिक सुझावों को विभिन्न कारणों से मना कर दिया। उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना (बाला साहब ठाकरे) नाम की मांग की थी। आयोग का कहना है कि शिंदे गुट ने भी इस नाम को मांगा था, इसलिए उन्हें यह नाम नहीं दिया जा सकता। ऐसे में दूसरे विकल्प को आयोग ने अनुमति प्रदान की।
चुनाव चिन्ह को लेकर आयोग ने शिवसेना से प्राप्त विकल्पों में से प्रथम त्रिशूल और उगता सूरज पर अपनी सहमति नहीं दी। आयोग का कहना है कि त्रिशूल धार्मिक चिन्ह होने के साथ ही शिंदे गुट की भी प्राथमिकता है। वहीं उगता सूरज द्रमुक पार्टी को पहले से आवंटित है। हालांकि जलती मशाल भी समता पार्टी को आवंटित चुनाव चिन्ह था। समता पार्टी 2004 में ही राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा गवां चुकी है। ऐसे में आयोग ने जलती मशाल को मुक्त कर इसे उद्धव ठाकरे गुट को आवंटित कर दिया। उल्लेखनीय है कि शिवसेना वर्तमान में उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट में बटी हुई है।
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