दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने एक बार फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की है। एलजी ने 6 पन्ने के इस पत्र में कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी उनके (एलजी) खिलाफ झूठे और व्यक्तिगत आरोप लगाकर मर्यादा लांघ रहे हैं।
एलजी ने कहा कि वह अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं और बदले में उनपर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। एलजी ने केजरीवाल को यह भी याद दिलाया है कि कैसे उन्होंने नितिन गडकरी और अरुण जेटली जैसे लोगों से माफी मांगी।
एलजी ने लिखा है कि केजरीवाल और उनके सहयोगी मर्यादा लांघने के साथ अपने संवैधानिक कर्तव्यों और शासन की जिम्मेदारियों से पीछे भाग रहे हैं। केजरीवाल की सरकार विज्ञापनों और भाषणों के बल पर चल रही और जनहित के मौलिक काम से विमुख होती दिख रही है। अफसोस की बात यह है कि जब मैंने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए आपको इन कमियों से अवगत कराते हुए इनके निवारण का अनुरोध किया तो आपने और आपके सहयोगियों ने उन विषयों पर जवाब न देकर, न सिर्फ लोगों को गुमराह किया बल्कि आदतन तथ्यहीन और व्यक्तिगत आक्षेप भी लगाए। एलजी ने कहा है कि उन्होंने जो भी मुद्दे उठाए वे आम नागरिकों की भलाई के लिए थे और ऐसा करना उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है।
एलजी ने उन सभी मुद्दों का जिक्र किया जिनकी वजह से आप नेताओं ने उन्हें निशाना बनाया। एलजी ने कहा कि सोची समझी नीति के तहत ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने लिखा, आप और आपके सहयोगी पहले बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाते हैं, मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से इन आरोपों को हवा देते हैं और फिर भाग खड़े होते हैं। जब तथ्य सामने आते हैं तो आप निर्लज्जता से माफी मांग लेते हैं। हालांकि तब तक पब्लिक डोमेन में उस आरोपित व्यक्ति की अपूर्णीय क्षति और आपका राजनीतिक फायदा हो चुका होता है।
एलजी ने आगे लिखा, ”आपने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और पंजाब के पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया के मामले में भी ऐसे ही अनर्गल आरोप लगाए और बाद में माफी मांगी। मेरे खिलाफ भी आपके सहयोगी ने मुद्दों से भटकाने के लिए बेहद आपत्तिनजक, मनगढ़त और झूठे आरोप लगा कर, मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से अविश्वास का माहौल बनाने का कुत्सित प्रयास किया।”
एलजी ने कहा कि इस कोर्ट ने भी माना कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद और अपमानजनक हैं। कोर्ट ने इन्हें सोशल मीडिया से हटाने का आदेश दिया। एलजी ने कहा, ”मेरा आपसे आग्रह है कि राजनीतिक सुचिता, संवैधानिक मूल्यों, सामान्य सामाजिक शिष्टाचार और राष्ट्रहित में भविष्य में ऐसा करने से बचें।’
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