चीन सरकार ने सिंक्यांग प्रांत को लॉकडाउन में जकड़ दिया है। बताया जा रहा है कि वहां कोरोना महामारी ‘खतरनाक स्तर’ तक पहुंच गई है। प्रांत में उइगरों की एक बड़ी आबादी रहती है। इसलिए कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन एक तरह से उइगरों को एक जगह ‘कैद’ रखने की चाल से ज्यादा कुछ नहीं है। सरकार ने उस प्रांत से नागरिकों के बाहर जाने पर कड़ी पाबंदी लगा दी है। वहां से हवाई और सड़क परिवहन सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
सिंक्यांग में पहले से ही कड़े प्रतिबंध लगाए जा चुके थे लेकिन अब बताया जा रहा है कि जबरदस्त कोरोना संक्रमण की वजह से ‘जीरो टॉलरेंस’ के मद्देनजर संपूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है। वहां के लोग सिंक्यांग से बाहर नहीं जा सकते और कोरोना की जांच भी अनिवार्य बना दी गई है। बता दें कि अभी कुछ सप्ताह पहले ही वहां कोरोना पाबंदियों में थोड़ी छूट दी गई थी, लेकिन अब दोबारा कड़ाई कर दी गई है।
हालांकि सिंक्यांग के प्रांत उपाध्यक्ष ल्यू सुशी ने कहा है कि कोरोना वायरस देश के दूसरे हिस्सों तक न पहुंचे इसलिए हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन बंद करके चौकियों पर सख्ती बढ़ाई गई है। इतना ही नहीं, बाहर से वहां जाने वाली रेलों, हवाई जहाजों, बसों को भी फिलहाल बंद कर दिया गया है।
सिंक्यांग प्रांत की आबादी करीब दो करोड़ है। यहां देश में उइगरों की सबसे ज्यादा आबादी निवास करती है, जो यहां अल्पसंख्यक हैं। एक अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी के अनुसार, सिंक्यांग प्रांत में कोरोना के 38 मरीज सामने आए थे, लेकिन उनकी जांच में महामारी का कोई लक्षण नहीं दिखा है। इस वजह से प्रांत में सख्ती बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे इस प्रांत से बाहर न जाएं जब तक कि कोई बहुत आवश्यक काम न हो।
प्राप्त समाचारों के अनुसार, उरुमकी हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाली करीब 97 प्रतिशत उड़ाने और उतरने वाले भी करीब 97 प्रतिशत जहाज तीन दिन पूर्व रोक दिए गए हैं। इस दौरान, सिंक्यांग के दूसरे सबसे बड़े नगर काशगर से सभी उड़ानें रद्द की जा चुकी हैं।
प्रांत के प्रशासन की तरफ से बताया गया है कि सिंक्यांग के इतिहास में कोरोना महामारी का वायरस वर्तमान दौर में सबसे ज्यादा दूर तक तेजी से फैलने वाला और काबू करने में सबसे मुश्किल माना गया है। एक आकलन के अनुसार, गत जुलाई माह के अंत से अभी तक सिंक्यांग प्रांत में कोरोना के 5,790 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
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