कहते हैं महिलाओं के दर्द साझे होते हैं, क्योंकि उनकी पीड़ा का स्वर एक ही होता है, क्योंकि उनकी कैद एक समान होती है आदि आदि, जैसा दावा किया जाता है। परन्तु ईरान में जो हो रहा है, अर्थात हिजाब को लेकर जो विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं, उन्हें लेकर भारत में शांति देखी जा रही है। यह शांति अजीब है, क्योंकि भारत में फेमिनिज्म बार-बार यही कहता है कि वह यूनिवर्सल फेमिनिज्म अर्थात वैश्विक फेमिनिज्म पर विश्वास करता है।
यदि यह वैश्विक फेमिनिज्म पर विश्वास करता है, तो मुम्बई में एक दृश्य उस फेमिनिज्म के लिए बहुत ही अचंभित करने वाला होना चाहिए। दरअसल वह दृश्य भारत की हर उस मुस्लिम एवं कथित प्रगतिशील महिला के लिए अचम्भित करने वाला होना चाहिए, जो इन दिनों उन आन्दोलनों का हिस्सा बन रही है, जो उनके समुदाय की महिलाओं को काले पर्दे में वापस भेजने के लिए अदालतों के द्वार पर जाकर बैठ गए हैं।
मुम्बई में 4 अक्टूबर को एक महिला अकेली ही ईरान की उन महिलाओं की पीड़ा को बताने के लिए आगे आईं, जो इन दिनों अपने यहां की हुकूमत की लाठियों और गोलियों का शिकार हो रही हैं। महसा अमीनी की मृत्यु के बाद से वहां पर आन्दोलनों की बाढ़ आई हुई है। और लडकियां उन प्रतिबंधों को कंधे से उतारकर फेंक रही हैं, जो उन पर मजहब के नाम पर उन पर थोप दिए गए हैं। भारत में अभी तक इस विषय में चुप्पी थी, वीरानियत से भरी यह चुप्पी क्यों थी, इस विषय में शोध अवश्य ही किया जाना चाहिए! भारत में पहली बार ईरान के साथ महिला आई तो, मगर वह भी उन फेमिनिस्ट चेहरों में से नहीं थी, जो हिन्दू विरोधी आन्दोलनों में आगे रहती हैं।
सामने आईं, ईरान की अभिनेत्री मन्दाना करीमी! मंदाना करीमी ने मुम्बई में ईरान की महिलाओं के प्रति अपना समर्थन देते हुए विरोध प्रदर्शन किया। और यह और भी विस्मयकारी था कि वह इस लडाई में अकेली ही थीं। बॉलीवुड से एक भी अभिनेत्री उनके साथ नहीं थी।
It takes “One Only” to start a revolution. You aren’t alone @manizhe
For millions of oppressed who can’t come in open & support, u are a role model to ensure #Tsunami started in #Iran against #Hijab continues.@TarekFatah @SubuhiKhan01 @abbas_nighat @NatashaFatah @arifaajakia pic.twitter.com/LpVs1vUu9i
— REACH 🇮🇳 (UK) Chapter (@reachind_uk) October 5, 2022
इतना ही नहीं मंदाना करीमी ने मात्र बॉलीवुड का वही चेहरा सामने नहीं किया है, जो पूरी तरह से हिन्दू विरोधी एवं कट्टर इस्लाम परस्त है, बल्कि मंदाना करीमी ने बॉलीवुड के एक और चेहरे को बेनकाब किया है और वह है स्त्री विरोधी चेहरा। मन्दाना करीमी ने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया है। उन्होंने अलविदा इसलिए कहा कि वह साजिद खान के “बिग बॉस” में प्रतिभागी बने रहने को लेकर हैरान थीं।
बिग बॉस 16 में साजिद खान प्रतिभागी के रूप में नजर आए हैं। उनकी इस एंट्री को लेकर मंदाना करीमी हैरान रह गयी थीं क्योंकि मंदाना उन अभिनेत्रियों में से एक हैं, जिन्होनें साजिद खान पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। मंदाना ने कहा कि वह अब इस इंडस्ट्री में नहीं रहना चाहती हैं, जहाँ पर महिलाओं का सम्मान नहीं होता है।
बात यदि साजिद खान की हो तो मात्र मंदाना करीमी ही नहीं बल्कि जिया खान की बहन ने भी एक बार कहा था कि साजिद ने जिया खान के साथ भी अभद्रता की थी। इतना ही नहीं उर्फी जावेद तक ने बिग बॉस के इस निर्णय का विरोध किया था कि और कहा था कि आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? यौन शोषण के आरोपी को कैसे सम्मिलित कर सकते हैं।
मंदाना करीमी ने बॉलीवुड के इसी दोहरे रवैये के चलते बॉलीवुड को छोड़ने की घोषणा की, परन्तु यह और भी अधिक विस्मयकारी समाचार है कि भारत का कथित मुख्य धारा का मीडिया मंदाना करीमी की इस घोषणा को तो लिख रहा है, परन्तु वह उनके अकेले विरोध प्रदर्शन को नहीं दिखा रहा है। एवं महिलाऐं भी उनके साथ नहीं हैं। इस बात को लेकर बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने भी लिखा कि आखिर वह मुस्लिम महिलाऐं सामने क्यों नहीं आ रही हैं, जिन्हें जबरन हिजाब पहनने को बाध्य किया जाता है।
Iranian actress Mandana Karimi staged a solo protest in Mumbai against the hijab. Why is she alone protesting? Why Muslim women from Mumbai who are forced to wear hijab not joining her?
— taslima nasreen (@taslimanasreen) October 5, 2022
मंदाना करीमी जब भारत में प्रदर्शन कर रही थीं, तो ऐसे समय में ईरान में प्रदर्शन और उग्र हो गया था और 6 अक्टूबर 2022 को एक और 17 वर्षीय किशोरी निकाशकरामी की मृत्यु भी इसी प्रकार सामने आई। वह मसाह अमीनी की हत्या का विरोध कर रही थी। उसे विरोध प्रदर्शन के दौरान उठाया गया और एक सप्ताह बाद सुरक्षा बालों ने उसके मृत शरीर को वापस दिया, जिसमें उसकी नाक पूरी तरह से टूटी हुई थी।
Islamic Republic of #Iran killed her in the protest over the murder of Mahsa Amini.
Nika Shakarami 17, vanished during the protest. After a week, security forces delivered her dead body with her nose fully smashed.#NikaShakarami #MashaAmini#مهسا_امینی
#نیکا_شاکرمی pic.twitter.com/Q6i9s3lrYM— Fazila Baloch🌺☀️ (@IFazilaBaloch) October 5, 2022
इस लड़ाई में लड़कियां रोज ही मारी जा रही हैं। ऐसा नहीं है कि केवल लड़कियां ही इस कट्टरता का शिकार हो रही हैं। ईरान में कई युवक भी शासन की गोलियों का शिकार हो रहे हैं। वह भी मारे जा रहे हैं। क्या यही कारण है कि भारत की फेमिनिस्ट जिनका फेमिनिज्म खड़ा ही “पुरुष घृणा” पर है। वह इस बात को नहीं समझ पा रही हैं कि इसमें वह किसका साथ दें और किसका विरोध करें, और यही कारण है कि वह चुप हैं।
वह चुप हैं मंदाना करीमी के अकेले होकर प्रदर्शन करने पर, वह चुप हैं ईरान में हो रही लड़कियों की हत्याओं पर, वह चुप हैं उन युवा सपनों की मृत्यु पर, जो मजहबी कट्टरता का शिकार हो गए हैं। यही चुप्पी बहुत कुछ कहती है, यह चुप्पी जैसे स्वयं से प्रश्न करती हो कि “यह अकेले प्रदर्शन कर रही महिला कौन है?”
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