भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर वैश्विक आतंकवाद के खतरे को रेखांकित किया गया है। भारत की ओर कहा गया है कि अफ्रीकी देशों में आतंकवाद तेजी से बढ़ रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत ने अनेक अवसरों पर आतंकवाद पर चोट करने का आह्वान करते हुए इसे मदद देने वाले पाकिस्तान जैसे देशों पर कड़र कार्रवाई की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद इस संदर्भ में अपना वक्तव्य दे चुके हैं।
अब भारत के विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि अफ्रीका जैसे प्रचुर संसाधनों वाले क्षेत्र का शोषण कर रहे आतंकवादियों सहित बाहर की ताकतों पर लगाम कसने के लिए अफ्रीका को हिंसा मुक्त करना जरूरी है। मुरलीधरन ने आगे कहा कि अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकवाद को मदद और उसका समर्थन करने के दोषी तथा वहां के संसाधनों का शोषण कर रहे लोगों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आड़े हाथों लेना चाहिए।
अफ्रीका में आईएसआईएल तथा अल-कायदा से गठजोड़ किए आतंकी गुट कई घरेलू फसादों और आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं तथा ऐसे तत्व राजनीतिक क्षेत्र पर अपनी लगाम कसने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के गुटों को किसी भी तरह की बातचीत में शामिल किया गया तो उससे आतंकवाद को वैधता ही मिलेगी। हमें इस बात को पहचानने में देर नहीं करनी चाहिए कि अफ्रीका में आतंकवाद सशस्त्र संघर्षों की शक्ल में बढ़ता जा रहा है।
भारत के विदेश राज्य मंत्री ने अपने वक्तव्य में बताया कि अफ्रीका के विभिन्न हिस्सों में अल-कायदा और आईएसआईएल से जुड़े आतंकवादी गुटों द्वारा पिछले कुछ वर्षों में सोने के अवैध खनन के दम पर बड़ी ताकत हासिल कर ली है। उन्हें दुर्लभ खनिजों, यूरेनियम, कोयला, लकड़ी आदि के अवैध व्यापार के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक तानेबाने की सहूलियत मिली हुई है।
संयुक्त राष्ट्र में मुरलीधरन ने यह बात ‘अफ्रीका में शांति और सुरक्षा पर चर्चा’ में भाग लेते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि अल शबाब जैसे आतंकवादी गुटों ने अपनी आतंकी कार्रवाइयों के लिए पैसे का एक बड़ा संजाल खड़ा कर लिया है। अगर हम इस पर ध्यान नहीं देते तो अफ्रीका के कई हिस्सों में आतंकवाद शांति की कोशिशों पर खतरे खड़े कर देगा।
विदेश राज्य मंत्री का कहना है कि आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक लड़ाई में भारत अग्रणी रहा है। भारत खुद पिछले तीन दशकों से सीमा पार से राज्य प्रायोजित जिहाद का शिकार रहा है। मुरलीधरन ने कहा कि भारत आतंकवाद की सामाजिक-आर्थिक तथा मानवीय नुकसान को भलीभांति जानता है। उन्होंने बताया कि 2018 में हमने पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में कई देशों की क्षमता बढ़ाने से जुड़े यूएनओसीटी कार्यक्रमों में 5 लाख 50 हजार डॉलर की मदद दी, जो 2021 में बढ़कर 10 लाख डॉलर हो गई थी।
भारत संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी समिति का अध्यक्ष है। इस नाते 28-29 अक्तूबर को मुंबई और दिल्ली में विशेष बैठक आयोजित की जाएगी। इसमें आतंकवाद के विरुद्ध एक वैश्विक खाका तैयार करने के बारे में मंथन किया जाएगा।
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