दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक रेस्तरां संचालक के खिलाफ दर्ज बलात्कार के आरोपों की प्राथमिकी को रद्द करते हुए, कहा कि एक समाज सेवा के रूप में उन्हें नोएडा और मयूर विहार में कम से कम 100 बच्चों वाले दो अनाथालयों में स्वच्छ और अच्छी गुणवत्ता वाले बर्गर परोसने होंगे।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को उसके खिलाफ बलात्कार की प्राथमिकी रद्द करने की शर्त के रूप में दो अनाथालयों को “स्वच्छ और अच्छी गुणवत्ता वाले बर्गर” परोसने का निर्देश दिया है, जिनमें से प्रत्येक अनाथालय में कम से कम 100 बच्चे होने चाहिए।
उच्च न्यायालय ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है, कि बर्गर अच्छी तरह से बनाए गए हों, और COVID-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में पकाए गए हों। साथ ही अदालत ने प्रतिवादी को 4.5 लाख रुपये तक का जुर्माना देने का भी आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अध्यक्षता वाली एकल न्यायाधीश की पीठ ने इसे “वैवाहिक विवाद” का मामला बताया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान मामले में प्रतिवादी की शादी याचिकाकर्ता से हुई थी, और उसके बाद उनमें मतभेद हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने अलग होने का फैसला किया। इसी के साथ-साथ प्रतिवादी नंबर 2 ने खुद बताया है, कि वह बिना किसी दबाव, बिना किसी जबरदस्ती और अपनी मर्जी से इस मामले को खत्म करना चाहती है। जिसको देखते हुए, आईपीसी की धारा 376 के तहत लगे आरोपों को खारिज किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सिंह ने आगे कहा कि प्राथमिकी “गलत सलाह और गलतफहमी” के कारण दर्ज की गई थी। उच्च न्यायालय ने कहा, कि मामला 2020 से चल रहा है और पुलिस, न्यायपालिका का पर्याप्त समय जो महत्वपूर्ण मामलों में इस्तेमाल किया जा सकता था, वह बर्बाद हो गया है।
कोर्ट के आदेश में कहा गया है, कि याचिकाकर्ता को कुछ सामाजिक भलाई करनी चाहिए। जिसके लिए याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया है, कि वह नोएडा और मयूर विहार में बर्गर सिंह और वाट-ए-बर्गर के नाम से जो रेस्तरां चला रहा है। वह कम से कम 100 बच्चों वाले दो अनाथालयों को स्वच्छ और अच्छी गुणवत्ता वाले बर्गर प्रदान करेगा।
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