बिहार में कोई अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम नहीं है। बिहार क्रिकेट एसोसिशन को अब जाकर बीसीसीआई ने मान्यता दी है। लेकिन इससे प्रतिभाएं कहां रुकती हैं। पानी और प्रतिभा अपना रास्ता स्वयं बनाती है। इस उक्ति को बिहार के लाल मुकेश कुमार ने चरितार्थ कर दिखाया है। काफी समय बाद बिहार को भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिली है। भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच भारत में तीन मैचों की वन डे सीरिज आज से प्रारंभ हो रही है। ये मैच 6 अक्टूबर, 8 अक्टूबर और 11 अक्टूबर को होंगे। इसमें बिहार के तेज गेंदबाज मुकेश कुमार अपना जलवा दिखाएंगे। हाल में हुए इंडिया-ए और न्यूजीलैंड-ए टीम के टेस्ट मैच में मुकेश कुमार के बेहतर प्रदर्शन के बाद से बीसीसीआई ने उनका चयन भारतीय क्रिकेट टीम के लिए किया है।
मुकेश कुमार ने काफी संघर्ष से अपनी पहचान बनाई है। मुकेश कुमार का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत काकड़कुंड गांव में हुआ। पिता स्व. काशीनाथ सिंह कोलकाता में टैक्सी चलाते थे। माता मालती देवी गृहिणी हैं। दियारा क्षेत्र का यह गांव कभी गुमनामी में था लेकिन अब मुकेश की अथक मेहनत और लगन के कारण सुर्खियों में है।
मुकेश ने गांव की गलियों से खेलना प्रारंभ किया। स्थानीय मैच में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहता था। लोग अपनी टीम में उनको शामिल कराने के लिए लालायित रहते थे। लेकिन घर के लोगों को उनका क्रिकेट खेलना पसंद नहीं था। गोपालगंज में पहली बार मुकेश कुमार चर्चा में उस समय आए थे, जब उन्होंने एक प्रतियोगिता में सात मैच में एक हैट्रिक सहित 34 विकेट लिए थे। उस समय गोपालगंज क्रिकेट टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी सत्य प्रकाश नरोत्तम और उस समय के हेमन ट्रॉफी के जिला क्रिकेट टीम के कप्तान अमित सिंह की नजर उन पर पड़ी। उस प्रतियोगिता के बाद मुकेश जिला टीम में आ गए। उसके बाद स्टीयरिंग कमिटी का अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट में मुकेश ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन दुर्भाग्यवश बिहार में क्रिकेट की मान्यता नहीं होने के कारण उन्हें बंगाल का रुख करना पड़ा। फिर उन्होंने वहां से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्नातक कर चुके मुकेश रणजी ट्रॉफी के लगातार दो सीजन में 30 से ज्यादा विकेट लेकर चयनकर्ताओं की नजर में आए।
मुकेश के रहने की व्यवस्था इडेन गार्डन स्टेडियम में की गई थी। वहीं रहकर उनकी प्रतिभा और निखरती चली गई। उसके बाद वह समय भी आया जब दुनिया ने उनकी गेंदबाजी के जलवे देखे। बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए क्रिकेट मैच में मुकेश कुमार के प्रदर्शन से लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। मुकेश कुमार के साथ गोपालगंज क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अमित सिंह भी वहां पहुंचे थे। हिदुंस्तान की टीम में पहली बार किसी गेंदबाज़ ने 23 ओवर में 5 ओवर मेडन, 106 डॉट्स बॉल, 5 विकेट लेते हुए 86 रन दिया है। अंडर-19, अंडर-23, हिदुंस्तान-ए और वरिष्ठ क्रिकेट टीम के किसी भी खिलाड़ी ने आज तक ऐसा प्रदर्शन नहीं किया था।
इससे मुकेश के परिजन बहुत खुश हैं। उनकी मां मालती देवी कहती हैं, “मेरा बाबू का सलेक्शन टीम इंडिया में हुआ। वह आज भारत की ओर से दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वन डे सीरीज खेलेगा। आज मैं बहुत खुश हूं। यह उसकी जीत है। आज उसके पिता जीवित होते तो वे भी मुकेश की सफलता पर फूले नहीं समाते । दुख है कि उसके पिता इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन आज वे उसे आशीर्वाद दे रहे होंगे। मुकेश हमेशा फोन करता है। जब भी उसका फोन आता है तो मैं उसे सदा सफल होने का आशीर्वाद देती हूं।”
वहीं मुकेश के चाचा धर्मनाथ सिंह कहते हैं, हमलोग बहुत खुश हैं। गांव के लोग भी काफी खुश हैं। मुकेश मेहनत के बल पर आगे बढ़ा। घर की स्थिति ठीक नहीं थी फिर भी उसने ग्रेजुएशन किया। बचपने से क्रिकेट खेलता था। आज टीवी पर उसे मैच खेलते हुए देखकर सभी लोग गर्व का अनुभव करेंगे।
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