सामाजिक समता के लिए समाज से तथा स्वयं के जीवन से शोषक प्रवृत्ति को जड़ मूल से हटाना होगा : श्री मोहन भागवत
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सामाजिक समता के लिए समाज से तथा स्वयं के जीवन से शोषक प्रवृत्ति को जड़ मूल से हटाना होगा : श्री मोहन भागवत

- संविधान के कारण राजनीतिक तथा आर्थिक समता का पथ प्रशस्त हो गया, लेकिन सामाजिक समता को लाए बगैर वास्तविक और टिकाऊ बदलाव नहीं आएगा

WEB DESK by WEB DESK
Oct 5, 2022, 04:22 pm IST
in भारत, संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री डॉ. मोहन भागवत......

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री डॉ. मोहन भागवत......

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https://panchjanya.com/wp-content/uploads/speaker/post-252887.mp3?cb=1664977627.mp3

विजयदशमी पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को नागपुर में अपना उद्बोधन दिया. इस दौरान उन्होंने सामाजिक समरसता पर बोलते हुए कहा- संविधान के कारण राजनीतिक तथा आर्थिक समता का पथ प्रशस्त हो गया, परन्तु सामाजिक समता को लाये बिना वास्तविक व टिकाऊ परिवर्तन नहीं आएगा, ऐसी चेतावनी पूज्य डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जी ने हम सबको दी थी। बाद में कथित रूप से इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर कई नियम आदि बने । परन्तु विषमता का मूल तो मन में ही तथा आचरण की आदत में है। व्यक्तिगत तथा कौटुंबिक स्तर पर आपस में मित्रता के, सहज अनौपचारिक आनेजाने, उठने बैठने के संबंध बनते नहीं; तथा सामाजिक स्तर पर मंदिर, पानी, श्मशान सब हिन्दुओं के लिए खुले नहीं होते, तब तक समता की बातें केवल स्वप्नों की बातें रह जाएंगी।

जो परिवर्तन तंत्र के द्वारा लाया जाए ऐसी हमारी अपेक्षा है, वह बातें हमारे आचरण में होने से परिवर्तन की प्रक्रिया को गति व बल मिलता है, वह स्थायी हो जाता है। ऐसा न होने से परिवर्तन प्रक्रिया अवरुद्ध हो सकती है और परिवर्तन स्थायित्व की ओर नहीं बढ़ता। परिवर्तन के लिए समाज की विशिष्ट मानसिकता को बनाना अनिवार्य पूर्व शर्त है। अपनी विचार परम्परा पर आधारित उपभोगवाद व शोषण से रहित विकास को साधने के लिए समाज से तथा स्वयं के जीवन से भोग वृत्ति व शोषक प्रवृत्ति को जड़ मूल से हटाना पड़ेगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को नागपुर में आयोजित विजय दशमी कार्यक्रम में शक्ति की साधना का आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने शस्त्र पूजा भी की इस दौरान उनके साथ पहली बार महिला मुख्य अतिथि संतोष यादव मौजूद रहीं। संतोष दो बार माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली दुनिया की एक मात्र महिला हैं।

 

Topics: Sarsanghchalak Shri Dr. Mohan BhagwatSarsanghchalak's speech on Vijayadashamiसामाजिक समताराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघसरसंघचालक के उद्बोधन में सामजिक समताRashtriya Swayamsevak SanghShri Mohan Bhagwat on Social Equity Vijayadashamiश्री मोहन भागवतSocial equalityShri Mohan BhagwatSocial equality in the speech of SarsanghchalakFEATUERDविजयदशमीसरसंघचालक श्री डॉ. मोहन भागवतविजयदशमी पर सरसंघचालक का उद्बोधन
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