हिमाचल में प्रवासियों के सत्यापन पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग तेज, डिजिटल तंत्र विकसित करे सरकार-हिंदू जागरण मंच
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हिमाचल में प्रवासियों के सत्यापन पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग तेज, डिजिटल तंत्र विकसित करे सरकार-हिंदू जागरण मंच

हिमाचल प्रदेश में एक अनुमान के अनुसार इस समय दस से बारह लाख लोग राज्य से बाहर के काम कर रहे हैं। भू-कानून की वजह से यह यहां स्थाई निवासी नहीं हो सकते हैं, लेकिन इनकी पहचान और इनका सत्यापन को लेकर राज्य की जयराम ठाकुर सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है।

विशेष संवाददाता by विशेष संवाददाता
Oct 3, 2022, 12:49 pm IST
in भारत, हिमाचल प्रदेश
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https://panchjanya.com/wp-content/uploads/speaker/post-252617.mp3?cb=1664781564.mp3

हिमाचल प्रदेश में एक अनुमान के अनुसार इस समय दस से बारह लाख लोग राज्य से बाहर के काम कर रहे हैं। भू-कानून की वजह से यह यहां स्थाई निवासी नहीं हो सकते हैं, लेकिन इनकी पहचान और इनका सत्यापन को लेकर राज्य की जयराम ठाकुर सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है।

जानकारी के मुताबिक कुछ महीने पहले हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिले में संबंधित उपायुक्तों द्वारा अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें प्रत्येक प्रवासी जिस थाने में रह रहा है, या जिस थाने में व्यापार कर रहा है। उसे उसी थाने पर अपना सत्यापन, पंजीकरण तथा उसका समय-समय पर नवीनीकरण करवाना होगा। इसी कड़ी में यदि कोई भी प्रवासी पुलिस पंजीकरण, सत्यापन तथा पुलिस पहचान पत्र के बिना पकड़ा जाता है, तो उस प्रवासी तथा उसके मकान मालिक के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

बावजूद इन सबके हिमाचल प्रदेश में सत्यापन की रफ्तार सुस्त है, इसकी एक वजह पुलिस की कार्य में रुचि कम होना, वहीं दूसरा कारण पुलिस फॉर्म भरवा कर इनके मूल पाते थाने को सत्यापन के लिए भेजती है, लेकिन वहां से फार्म पर वापसी का कोई जवाब नहीं मिल रहा है। जिसके बाद पुलिस का यह अभियान स्वत: ही धीमा हो गया है।

इस मामले में हिमाचल को असम और उत्तराखंड की तरह व्यवस्था लागू करनी चाहिए, जिसके अंतर्गत वह अपने मूल निवास के थाने से स्वयं अपना फॉर्म सत्यापित करके लाए, कि अम्मुख व्यक्ति यहां का रहने वाला है, और इस पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं है।

उपायुक्तों द्वारा जारी अधिसूचना को न तो यहां काम करने आए या उनके मकान मालिक ही गंभीरता से लेते हैं, और न ही पुलिस विभाग इस अधिसूचना को गंभीरता से ले रहा है। यही वजह है, कि इस अधिसूचना के जारी होने के लगभग 8 से 10 महीने बाद भी अभी तक 90% से अधिक प्रवासी बिना पंजीकरण के निर्भीक होकर हिमाचल प्रदेश में घुसपैठ कर बैठे हुए है।

हमीरपुर हिंदू जागरण मंच की हमीरपुर इकाई के संयोजक कुलदीप शर्मा ने पुलिस अधीक्षक हमीरपुर, उपायुक्त हमीरपुर, पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव तथा अन्य प्रशासनिक उच्चाधिकारियों से पत्र लिखकर मांग की है, कि हिमाचल प्रदेश में रह रहे एक स्थाई नीति बनाकर प्रवासियों के लिए एक “डिजिटल तंत्र” विकसित करें, जिसके माध्यम से उनके सत्यापन के उपरांत ही प्रत्येक प्रवासी को पहचान पत्र बनाया जाए।

उन्होंने मांग करते हुए, कहा कि वर्तमान में पुलिस विभाग प्रवासियों का सत्यापन नहीं कर रहा है, इसलिए प्रत्येक प्रवासी का सत्यापन सुनिश्चित किया जाए और उसे समय-समय पर नवीनीकरण करना भी सुनिश्चित किया जाए।

हिजाम के प्रदेश मंत्री कमल गौतम का कहना है, कि इतनी बड़ी संख्या में हिमाचल प्रदेश में प्रवासियों का बिना किसी कानूनी भय के विभिन्न प्रकार की वैध, अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहना, कर-चोरी, मादक पदार्थों की तस्करी तथा वितरण करना, अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देना हर दिन बढ़ता जा रहा है।

बावजूद इसके पुलिस प्रशासन तथा हिमाचल प्रदेश सरकार इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है, उन्होंने मांग करते हुए, कहा कि सरकार इस ज्वलंत विषय पर गंभीरता से विचार करें, साथ ही न्यायोचित कार्रवाई भी करें, नहीं तो भविष्य में हिमाचल प्रदेश का माहौल खराब होने की आशंका है, साथ ही यहां के मूल निवासियों का रहना भी काफी मुश्किल हो जाएगा।

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