एक बहुत हैरान करने वाली खबर मिली है कि चीन ने दुनिया के कई देशों में अपने ही पुलिस थाने खोले हुए हैं। विशेषज्ञ कयास लगा रहे हैं कि आखिर चीन की सरकार की मंशा क्या है, क्योंकि ये पुलिसथाने खोले हैं। अनेक का मानना है कि ये और कुछ नहीं चीन के लिए जासूसी करने के ठिकाने हैं।
उल्लेखनीय है कि चीन दुनिया की महाशक्ति बनने का सपना पाले हुए है। उसकी अपनी ही अति महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं। बताया यह भी जाता है राश्ट्रपति शी जिनपिंग इन महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए वे कुछ भी कर गुजरने की सोच सकते हैं। वहां की कम्युनिस्ट सत्ता अपनी सरहदों के विस्तार का एजेंडा अपनाए हुए हैं। उसके लिए उसकी अपनी गुप्त योजनाएं हैं। यहां ध्यान रखना होगा कि चीन दूसरे देशों में बेवजह दखल देता आ रहा है। बहुत हद तक अपनी इसी शरारत को आगे बढ़ाते हुए चीन दुनिया के अनेक देशों में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है।
चीन ने जिन देशों में अपनी पुलिस चौकियां बनाई हैं उनमें कनाडा तथा आयरलैंड जैसे विकसित देश हैं तो कई गरीब देश भी हैं। लेकिन इसकी जो भी वजह हो, दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ता ड्रेगन की इस साजिश को लेकर चिंता में पड़े हैं। पत्रिका ‘इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म रिपोर्टिका’ में छपी रिपोर्ट पर गौर करें तो पूरे कनाडा में जनसुरक्षा ब्यूरो से जुड़े चीनी पुलिस थाने असल में चीन के विरोधियों की निगरानी रखने के लिए बनाए गए हैं। इतना ही नहीं, अंदेशा यह भी है कि चीन की सरकार इन पुलिस थानों के रास्ते उन-उन देशों की गुप्तचरी भी करता है।
‘इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म रिपोर्टिका’ की रिपोर्ट बताती है कि पूरे कनाडा में चीन के ऐसे कई पुलिस थाने हैं। बेशक, चीन की सरकार अपने विरोधियों को बर्दाश्त न करने के लिए कुख्यात है। स्थानीय मीडिया में आए समाचार बताते हैं कि कनाडा में गुपचुप चल रहे है ऐसे संभवतः तीन पुलिस थाने सिर्फ ग्रेटर टोरंटो इलाके के अंदर ही हैं। रिपोर्ट आगे बताती है कि चीन सरकार इन गैरकानूनी पुलिस थानों के माध्यम से चीन कुछ देशों में चुनाव पर भी अपना असर डाल रहा है। पुलिस का मानना है कि उसकी जानकारी के अनुसार, चीन 21 देशों में ऐसे 30 पुलिस थाने खोल चुका है।
कनाडा और आयरलैंड ही नहीं, बल्कि यूक्रेन, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी तथा ब्रिटेन में भी चीन के पुलिस थाने हरकत में हैं। इनमें से कई देशों के बड़े बड़े नेता अपने देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में खुलकर बोलते रहे हैं। वे मानवाधिकार हनन को लेकर चीन की भर्त्सना कर चुके हैं।
कई मानवाधिकार कार्यकर्ता चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के विरुद्ध अपने देश में दुर्व्यवहार किए जाने का आरोप लगा चुके हैं। सब जानते हैं कि चीन अपने यहां के नागरिकों, विषेशकर उइगर मुसलमानों को यातना शिविरों में कैद रखे हुए है, उइगर परिवारों को अलग अलग रखने तथा उनकी आबादी पर लगाम लगाने के लिए महिलाओं की जबरन नसबंदी करने जैसे अपराध हैं। चीन से इन बातों के दस्तावेजी सबूत मिलते रहे हैं।
चीन ने अपने देश में मीडिया पर कथित प्रतिबंध लगाए हुए हैं। हालांकि चीन यातना शिविरों को ‘वोकेशनल स्किल ट्रेनिंग सेंटर’ बताता है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की पूर्व उच्चायुक्त मिशेल बेचलेट चीन में सिंक्यांग जाकर अपनी आंखों से असलियत देख चुकी हैं और अपनी रिपोर्ट में उन्होंने चीन पर खुलकर आरोप लगाए हैं।
इतना ही नहीं, चीन की सरहद चौदह देशों से सटी है। इन देशों के साथ ही चीन का अन्य बाइस देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। चीन की विस्तारवादी नीति की वजह से ज्यादातर देशों से इसके संबंध कड़वे चल रहे हैं। भारत भी यह समस्या झेल रहा है। चीन ने लद्दाख तथा अरुणाचल प्रदेश में हमारी हजारों किलोमीटर की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है।
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