बीएचयू में इतिहास के प्रश्न पत्र में पूछा गया – “औरंगजेब की नीति एवं मंदिरों को तोड़ने का वर्णन कीजिए”?

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा- अगर किसी मामले को लेकर न्यायालय में वाद योजित किया गया है तो इससे इतिहास पढ़ाना बंद नही किया जा सकता है।

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संवाद सूत्र

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इतिहास के परास्नातक के सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा में दो प्रश्न पूछे गए. ये दोंनों प्रश्न औरंगजेब और उसकी मंदिर तोड़ने की नीतियों से जुड़े हुए थे . इसको लेकर सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया है। सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है। कुछ कट्टरपंथियों द्वारा इसका विरोध भी किया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि दोनों प्रश्न पाठ्यक्रम से जुड़े हुए हैं और दूसरी बात यह कि अगर किसी मामले को लेकर न्यायालय में वाद योजित किया गया है तो इससे इतिहास पढ़ाना बंद नही किया जा सकता है।

इतिहास विभाग के प्रो.  राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि  यह अपनी जगह ठीक बात है कि किसी बिंदु पर वाद न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन इतिहास को पढ़ाना बन्द नहीं कर दिया जाएगा.  औरंगजेब के बारे में  पढ़ाया जा रहा है तो उससे जुड़े सवाल भी परीक्षा में पूछे जाएंगे। सभी सवाल पाठ्यक्रम से ही पूछा गया है। जिस पुस्तक को लेकर प्रश्न पूछा गया है , वो सब पाठ्यक्रम में है।

उल्लेखनीय है कि इतिहास  की परीक्षा 24 सितम्बर को आयोजित की गई थी। प्रश्न पत्र में एक प्रश्न पूछा गया था कि  “औरंगजेब ने काशी के आदि विश्वेश्वर मंदिर का विध्वंस किया. इस बात का जिक्र किसने और किस पुस्तक में किया है?” दूसरा सवाल था  “मासिर-ए-आलमगीरी के प्रकाश में औरंगजेब की धार्मिक नीति एवं मंदिरों को तोड़ने का वर्णन कीजिए”?  इसको लेकर कुछ लोग विवाद उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे हैं । विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि सभी सवाल पाठ्यक्रम से जुड़े हुए हैं. कोई भी ऐसा प्रश्न नहीं  पूछा गया जो पाठ्यक्रम के बाहर का हो।

 

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