आतंकियों और कट्टरपंथियों की कमर तोड़ने के लिए एनआईए ने देश के 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापेमारी कर पीएफआई के 100 से अधिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राज्यों की पुलिस ने आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए बीते दिनों देशभर में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) और उससे जुड़े संगठनों के ठिकानों पर छापेमारी की।
15 राज्यों में 93 ठिकानों पर की गई इस छापेमारी में 106 पीएफआई नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 45 को एनआईए ने, जबकि शेष 61 को ईडी और राज्यों की पुलिस ने गिरफ्तार किया। एनआईए के महानिदेशक दिनकर गुप्ता की निगरानी में 21 सितंबर की रात से लेकर 22 सितंबर की शाम तक चली छापेमारी में 500 से अधिक अधिकारी शामिल थे।
यह एनआईए की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। यह छापेमारी आईबी से मिले इनपुट और ठोस सबूतों पर की गई। छापेमारी के बाद गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली ने एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें एनएसए अजित डोवाल, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, एनआईए के महानिदेशक दिनकर गुप्ता के अलावा सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे।
क्यों हुई छापेमारी?
पीएफआई नेताओं और उसके कैडर पर आतंकियों को धन मुहैया कराने, आतंकी गतिविधियों के लिए सशस्त्र प्रशिक्षण देने और प्रतिबंधित आतंकी संगठनों में शामिल करने के लिए युवाओं को बरगलाने के ठोस सबूत मिले हैं। इस मामले में एनआईए ने यूएपीए के तहत 5 मामलों में यह कार्रवाई की है। छापेमारी में पीएफआई के शीर्ष नेताओं व कार्यकर्ताओं के घरों, कार्यालयों से नकदी, आपत्तिजनक दस्तावेज, धारदार हथियार और बड़ी संख्या में डिजिटल उपकरण बरामद हुए हैं।
छापेमारी केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, बिहार और मणिपुर में की गई। इस दौरान एनआईए ने जिन 45 आरोपियों को गिरफ्तार किया, उनमें केरल के 19, तमिलनाडु के 11, कर्नाटक के 7, आंध्र प्रदेश के 4, राजस्थान के 2 तथा उत्तर प्रदेश व तेलंगाना के 1-1 आरोपी शामिल हैं।
फिलहाल, एनआईए इस कट्टरपंथी संगठन से जुड़े कुल 19 मामलों की जांच कर रही है। 2010-11 से पहले पीएफआई से जुड़े मामलों में 46 लोग दोषी ठहराए गए, जबकि 355 लोगों के विरुद्ध आरोप-पत्र दाखिल हुए हैं। बीते साल फरवरी में ईडी ने धनशोधन मामले में पीएफआई और उसके छात्र विंग कैंपस फ्रंट आॅफ इंडिया (सीएफआई) के विरुद्ध आरोप-पत्र दाखिल किया था। इसमें सीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव के.ए. राऊफ शेरिफ का भी नाम है। एक अन्य मामले में ईडी का कहना था कि यूएई स्थित एक होटल ने पीएफआई के लिए धनशोधन के जरिये पैसे जुटाए। बाद में इसकी कड़ियां पाकिस्तान से भी जुड़ी थीं।
ये अपराध बने आधार
बीते कुछ वर्षों में कई राज्यों में पीएफआई और उसके नेताओं पर हिंसक गतिविधियों में शामिल होने को लेकर बड़ी संख्या में आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। एनआईए के मुताबिक, तेलंगाना के निजामाबाद पुलिस थाने में इस साल 4 जुलाई को पीएफआई के 25 से अधिक कार्यकर्ताओं पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इन पर मजहब के आधार पर समाज में वैमनस्य फैलाने के उद्देश्य से हिंसक और आतंकी गतिविधियां चलाने का मामला भी दर्ज किया गया था। जांच में पता चला कि पीएफआई कराटे सिखाने के नाम पर हथियार चलाने का प्रशिक्षण दे रहा था।
जुलाई में ही पटना के फुलवारी शरीफ में पीएफआई के गजवा-ए-हिंद षड्यंत्र का खुलासा हुआ था। दोनों मामलों में एनआईए ने छापेमारी की थी। इसके अलावा, हिजाब विवाद के दौरान कर्नाटक, राजस्थान के उदयपुर और गुजरात के अमरावती में जो निर्मम हत्याएं हुर्इं, उसमें भी पीएफआई का हाथ था। इसके अलावा, ईश निंदा के आरोप में केरल के एर्नाकुलाम जिले के प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काटना, हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या, प्रमुख लोगों और स्थानों पर लक्षित हमले के लिए विस्फोटक जमा करना, आईएसआईएस को समर्थन और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे कृत्य भी शामिल रहे। इन कारणों से लोगों में भय का माहौल बना।
तीन राज्यों में सर्वाधिक गिरफ्तारी
केरल में 39, तमिलनाडु में 16, कर्नाटक में 12, आंध्र प्रदेश में 7, राजस्थान व महाराष्ट्र में 4-4, उत्तर प्रदेश व दिल्ली में 2-2, तेलंगाना, असम, मध्य प्रदेश, गोवा, पश्चिम बंगाल, बिहार और मणिपुर में एक-एक जगह छापेमारी हुई। सबसे अधिक गिरफ्तारी केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र से हुई है। इसके अलावा, कट्टरपंथी संगठन के कुछ बड़े नेता भी हत्थे चढ़े हैं।
इनमें केरल में मलप्पुरम जिले के मंजेरी से पीएफआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम, दिल्ली अध्यक्ष परवेज अहमद, राष्ट्रीय सचिव वीपी नजरुद्दीन, केरल प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद बशीर और पीएफआई के राष्ट्रीय परिषद का सदस्य प्रोफेसर पी. कोया भी शामिल है। छापेमारी में पीएफआई को खाड़ी देशों से मिलने वाली आर्थिक सहायता को लेकर ठोस सबूत भी मिले हैं। पीएफआई को हर साल सऊदी अरब, कतर, कुवैत, यूएई और बहरीन से 500 करोड़ रुपये मिलते हैं।
देशभर में बनाई पैठ
बीते कुछ वर्षों के दौरान पीएफआई ने केरल से बाहर दूसरे राज्यों में भी अपनी पैठ बना ली है। कट्टरपंथी संगठन का दावा है कि उसने 23 राज्यों में अपना विस्तार कर लिया है और देशभर में उसके 4 लाख कार्यकर्ता हैं। यही नहीं, यदि केंद्र सरकार इस पर प्रतिबंध लगाती है, तो उससे बचने के लिए इसने कई मुखौटा संगठन भी खड़े कर लिए हैं।
इनमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआई), कैंपस फ्रंट आफ इंडिया, राष्ट्रीय महिला मोर्चा, अखिल भारतीय इमाम परिषद, अखिल भारतीय कानूनी परिषद, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, नेशनल कॉन्फेडरेशन आफ ह्यूमन राइट आर्गनाइजेशन, सोशल डेमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन और एचआरडीएफ आदि प्रमुख हैं। पीएफआई खुद को एक सामाजिक संगठन बताता है और दावा करता है कि वह मुसलमानों और दलितों के लिए काम करता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि यह प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का दूसरा रूप है। इसमें सिमी के कई आतंकी सक्रिय हैं।
13 फरवरी, 2010 में मुंबई के जर्मन बेकरी ब्लास्ट में पुलिस ने हिमायत बेग नामक जिस आतंकी को पुणे से गिरफ्तार किया था, वह पीएफआई का कार्यकर्ता था। वह युवाओं को संगठन के साथ जोड़ने का काम करता था। बीते साल अक्तूबर-नवंबर में त्रिपुरा में जो सांप्रदायिक दंगे हुए थे, उसके लिए मुसलमानों को पीएफआई ने ही उकसाया था। हाल के दिनों में जो गिरफ्तारियां हुई हैं, उसमें पीएफआई के कैडर का अंसार-अल-इस्लाम के साथ गठजोड़ उजागर हुआ है। यह भी पता चला है कि पीएफआई के तार सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में आईएसआईएस से जुड़े हैं। इस बाबत कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
बहरहाल, पीएफआई की गतिविधियों पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी। खाड़ी देशों से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल कहां हो रहा है, इसे लेकर ठोस सबूत मिलने के बाद ही एनएआईए ने जांच का दायरा बढ़ा दिया था। आतंकी मामलों की जांच के दौरान जांच एजेंसी ने जब केरल में पीएफआई के ठिकाने पर छापा मारा तो कड़ियां जुड़ती चली गईं। इसके बाद तेलंगाना में प्रशिक्षण शिविर और विदेश से धन मिलने के कई सबूत हाथ लगे। इसके बाद जांच का दायरा बढ़ते-बढ़ते आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के बाद दूसरे तक पहुंच गया।
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