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… ताकि सुरक्षित रहे हृदय

विश्व हृदय दिवस पर विशेष : कोरोना संक्रमित होने वाले बहुतायत लोगों में हृदय संबंधी परेशानी देखी जा रही है। विशेषज्ञ इसे ‘लॉन्ग कोविड’ मान रहे हैं, जिसका प्रभाव अभी रहेगा। इसलिए जीवनशैली और आहार पर ध्यान दें। खासतौर से कोलेस्ट्रॉल पर निगाह रखें

by निशि भाट
Sep 28, 2022, 06:10 am IST
in भारत
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देश कोरोना के दौर से निकल कर आगे बढ़ चुका है। 15 अगस्त को उत्साह के साथ आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया। हमारे वैज्ञानिकों ने आत्मनिर्भर भारत का परिचय देते हुए देश में ही कोरोना टीका बनाया, जो अब तक 200 करोड़ से अधिक लोगों को लगाया जा चुका है।

 

देश कोरोना के दौर से निकल कर आगे बढ़ चुका है। 15 अगस्त को उत्साह के साथ आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया। हमारे वैज्ञानिकों ने आत्मनिर्भर भारत का परिचय देते हुए देश में ही कोरोना टीका बनाया, जो अब तक 200 करोड़ से अधिक लोगों को लगाया जा चुका है। टीकाकरण की सफलता के बीच, बीते कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण का दूरगामी असर भी देखने को मिल रहा है। जाने-माने हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव का 58 की उम्र में निधन हो गया। राजू को जिम में व्यायाम करते हुए हृदयाघात हुआ था। कुछ समय पहले छोटे परदे के अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की मृत्यु भी हृदयाघात की वजह से हुई थी। विशेषज्ञ इसे ‘लॉन्ग कोविड’ मान रहे हैं, जिसका प्रभाव हमारे बीच कुछ दिनों तक रहेगा। इसलिए दिल को सबसे अधिक सुरक्षित रखने की जरूरत है। एक्यूट या एस्चेमिक (अकस्मात) हृदयाघात के लक्षणों को समय रहते पहचान लिया जाए तो दिल को सुरक्षित रखा जा सकता है।

ऐसा हो आहार

नैचुरोपैथ विशेषज्ञ
डॉ. रविन्दर सिंह डवास
के परामर्श के अनुसार-

  • संरक्षित या प्रीजरवेटिव चीजों का सेवन कम करें। घर पर ही तैयार किया गया आचार प्रयोग करें। यह प्राकृतिक और सुरक्षित होगा।
  • संरक्षित या प्रीजरवेटिव चीजों का सेवन कम करें। घर पर ही तैयार किया गया आचार प्रयोग करें। यह प्राकृतिक और सुरक्षित होगा।गेहूं की जगह मल्टी ग्रेन यानी मोटे अनाज को शामिल करें, जिसमें बेसन, ज्वार, बाजरा और मकई का आटा हो सकता है।
  • गेहूं की जगह मल्टी ग्रेन यानी मोटे अनाज को शामिल करें, जिसमें बेसन, ज्वार, बाजरा और मकई का आटा हो सकता है।
  • दिनभर कम से कम दस गिलास पानी पिएं। यह आदत त्वचा को चमकदार बनाए रखेगी और बीमारियों से भी बचाएगी।
  • माइक्रोन्यूट्रिएंट (सूक्ष्म पोषक) युक्त ताजे फलों का जूस ही पीएं, जिसे घर पर तैयार किया जा सकता है।
  • नाश्ते में अंकुरित चने, पोहा और उपमा का प्रयोग किया जा सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखेगा।
  • रोजाना खाने में कम से कम एक चम्मच देसी घी जरूर खाएं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोविड के बाद दिल की बढ़ती बीमारी को देखते हुए संभव है कि दिल की जांच को 45 की उम्र के बाद अनिवार्य कर दिया जाए। अभी इस पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। युवावस्था में लोग दिल की परेशानी लेकर हमारे पास आ रहे हैं, जिसमें मांसपेशियों के कमजोर होने की शिकायत अधिक है। इसके लिए हमें सर्तक रहने की जरूरत है।
– डॉ. वेद प्रकाश चतुर्वेदी, पूर्व डीजीएचएस और
सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक

 

अनियंत्रित रक्तचाप को ‘साइलेंट हार्ट अटैक’ माना जाता है। यदि बिना वजह आपको गुस्सा आता है, चिड़चिड़ापन बना रहता है तो यह बीपी अनियंत्रित होने का अहम लक्षण है। बीपी अधिक या बहुत कम होना, दोनों ही स्थितियां सही नहीं हैं। इसके लिए तुरंत चिकित्सक से मिलें।
– डॉ. ओपी यादव, कार्डियक सर्जन, नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट

 

कुछ मरीजों में स्टेरॉयड के अधिक प्रयोग से दिल की परेशानी बढ़ी हुई देखी जा रही है। ऐसे लोगों में धड़कन तेज होना, दिल की पंपिंग प्रक्रिया प्रभावित होना आदि समस्याएं बढ़ गई हैं। ऐसे में अधिक सचेत रहने की जरूरत है। स्वस्थ आहार के साथ रोजाना 30 से 45 मिनट पैदल चलें या व्यायाम करें। सिगरेट और शराब को पूरी तरह छोड़ दें।
– डॉ. तरुण कुमार, प्रोफेसर कार्डियोलॉजी, राम मनोहर लोहिया अस्पताल

 

सितंबर महीने में अकस्मात हृदयाघात के तीन मामले सामने आए हैं। सामान्य मायोकार्डियल अटैक में चिकित्सक के पास समय होता है, लेकिन आजकल अधिकांश मरीजों की हृदयगति अचानक काफी बढ़ जाती है या रुक जाती है। इसको वेंट्रिकूलर ट्रेकिकार्डिया या फिब्रिलेशन कहा जाता है। ऐसे मामलों से बचने के लिए संतुलित आहार और व्यायाम बहुत जरूरी है।
– डॉ. मोहसीन वली, वरिष्ठ चिकित्सक, सर गंगाराम अस्पताल

कोरोना दूरगामी असर
कोरोना के एसएआरसीओवी-2 वायरस ने कई तरह से लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इससे संक्रमित होने वाले लोगों को हृदय संबंधित परेशानियां अधिक हो रही हैं। धमनियों में रक्त का थक्का जमने के अतिरिक्त हृदय की मांसपेशियों के कमजोर (मायोकार्डियल इफ्रेक्शन) होने से भी दिल का दौरा पड़ सकता है। इस स्थिति में धमनियों में रक्ता का प्रवाह सुचारु रूप से होता है, लेकिन हृदय को जरूरी आक्सीजन नहीं मिल पाती और यह काम करना बंद कर देता है। कम उम्र में और अचानक होने वाले 60 प्रतिशत हृदयाघात का कारण मायोकार्डियल हार्ट अटैक को पाया गया है। कुछ लोगों पर कोविड का असर बहुत हल्का देखा गया या कह सकते हैं उन्हें ‘माइल्ड कोविड’ हुआ। ऐसे लोगों में भले ही इसके लक्षण अधिक स्पष्ट नहीं देखे गए, पर उनमें ‘लॉन्ग कोविड’ का असर देखा जा रहा है। पोस्ट कोविड परेशानी में ज्यादातर लोगों में मायकार्डिटिस या दिल में सूजन की भी शिकायत देखी गई। इन मरीजों को अकसर चलते समय छाती में दर्द, सांस फूलना या फिर घबराहट होती है। चूंकि ऐसे मरीजों में कोविड के अधिक गंभीर लक्षण सामने नहीं आए थे, इसलिए अधिकांश मरीजों ने कोरोना की जांच भी नहीं कराई। ईको कार्डियोग्राफी से दिल की सूजन का पता लगाया जा सकता है। दिल के बीमार होने की किसी भी स्थिति में लक्षणों को पहचानना जरूरी है। इसके अतिरिक्त जीवनशैली, आहार और व्यवहार भी दिल को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।

घर पर करें जांच
आपका हृदय स्वस्थ है या नहीं, इसकी जांच घर पर भी की जा सकती है। इसके लिए कोरोना के समय घर में प्रयोग किए जाने वाले पल्स आॅक्सीमीटर का भी प्रयोग किया जा सकता है। छह मिनट तेज गति से चलने पर यदि आॅक्सीमीटर पर आॅक्सीजन का स्तर 94 प्रतिशत तक पहुंचता है तो इसका मतलब है कि हृदय सामान्य रूप से काम कर रहा है। यदि आक्सीमीटर पर पल्स 92 प्रतिशत से कम हो तो अधिक व्यायाम कतई न करें। इसे चिकित्सीय भाषा में सिम्पमेटिक लिमिटेड एक्टिविटी कहा जाता है, यानी आप सामान्य रूप से स्वस्थ तो दिखते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हृदय भी स्वस्थ है।

पूर्व में कभी माइल्ड या हल्का कोविड हो चुका है तो जिम में पसीना बहाना है या नहीं? इसका निर्णय चिकित्सक की सलाह के बाद ही लें। बेहतर होगा कि जिम की जगह खुली हवा में व्यायाम करें। एक अनुमान के मुताबिक, कोविड काल में हर तीसरे व्यक्ति का औसतन दो से चार किलो वजन बढ़ गया है। ऐसे में जो पहले से दिल के रोगी हैं, उन्हें दिल की गंभीर समस्या हो सकती हैं। उम्र और लंबाई के अनुसार यदि शरीर का बीएमआई निर्धारित मानक से अधिक है तो ऐसी महिला या पुरुष को ओबिज या फिर मोटा माना जाता है। अधिक वजन होने पर सबसे पहले रक्तचाप पर असर पड़ता है।

2019 में जारी ग्लोबल सर्वे आन हार्ट सरवाइवर के आंकड़े बताते हैं कि 63 प्रतिशत लोगों को पता ही नहीं है कि उनका कोलेस्ट्रॉल स्तर कितना है। रिपोर्ट के अनुसार दस में से आठ लोग दिल की बीमारी के बेहद करीब हैं। दिल के मरीज होने के बाद भी केवल 44 प्रतिशत लोग ही कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच कराते हैं।
(लेखिका स्वतंत्र स्वास्थ्य पत्रकार हैं)

Topics: डॉ. ओपी यादवडॉ. मोहसीन वलीडॉ. वेद प्रकाश चतुर्वेदीडॉ. रविन्दर सिंह डवासso that the heart is safeहृदय
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