तालिबान राज में आहत अफगानिस्तान में महिलाओं पर जिस तरह एक के बाद एक पाबंदियां लगाई जाती रही हैं, उनके बीच एक खबर ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। वहां बदख्शां सूबे में सौ से ज्यादा महिला पुलिस अधिकारियों को दोबारा नौकरी पर बहाल किया गया है।
तालिबान के राज में मानवाधिकारों का जिस तरह घोर उल्लंघन होता आ रहा है, उससे वहां गंभीर चुनौतियां खड़ी हुई हैं। ऐसे में महिला पुलिस अधिकारियों की बहाली उम्मीद की एक किरण के रूप में देखी जा रही है। अन्यथा अब महिलाओं का अफगानिस्तान में खुलकर सांस लेना तक दूभर बना दिया गया है।
यह जानकारी देते हुए बदख्शां के पुलिस अधिकारियों का कहना था कि यह बात सही है कि यहां सौ से ज्यादा महिला पुलिस अधिकारियों को दोबारा नौकरी पर बहाल किया गया है। इनमें से ज्यादातर महिला पुलिस अधिकारी पिछली सरकार के राज में काम कर चुकी हैं। उधर अफगानिस्तान के प्रमुख समाचार चैनल टोलो न्यूज की रिपोर्ट बताती है कि दोबारा ड्यूटी पर तैनात की गईं इन महिला पुलिस अधिकारियों में से 20-25 वरिष्ठ अधिकारी तथा लेफ्टिनेंट हैं, जबकि 70-80 महिलाएं फौजी हैं।
हालांकि काम पर लौटाई गईं ये महिला पुलिस अधिकारी सुरक्षा ड्यूटी में तैनात नहीं की जाएंगी। इन्हें लोगों के घरों में जाकर मुआयना करने और घर की महिलाओं की तलाशी लेने जैसे काम दिए जाने की बात है। बदख्शां में कार्यरत एक महिला पुलिसकर्मी गोल जान का कहना है कि उनका काम होगा घर घर जाकर ‘महिला अपराधियों’ की खोज करना, उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजना।
लोगों को संदेह है कि इस काम की आड़ में कहीं ऐसी महिलाओं पर नजर न रखी जाने लगे जो शरिया के कड़े कायदों के हिसाब से रहन-सहन न रख रही हों। उनके साथ कहीं जोर-जबरदस्ती न की जाए। क्योंकि महिलाओं के प्रति तालिबान के नजरिए से कोई अनजान नहीं है।
जैसा पहले बताया, अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में बंदूक के दम पर कुर्सी पर आ बैठे तालिबान के राज में महिलाएं घुटन भरी जिंदगी जीने को मजबूर बना दी गई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, तालिबान पर अपना रवैया सुधारने का अंतरराष्ट्रीय दबाव है। तालिबान लड़ाकों की सरकार विदेशी सहायता चाहती है इसलिए भी वह अपना चेहरा साफ दिखाना चाहती है। तालिबान बार बार दावा करता रहा है कि लड़कियों की तालीम और सेहत की देखभाल जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। लेकिन इस मोर्चे पर अभी कोरे वायदे ही हैं, धरातल पर कुछ नहीं है। अभी 23 मार्च को ही लड़कियों के लिए छठी कक्षा से आगे पढ़ने की मनाही है। वहां महिलाओं को सिर से पांव तक बुर्के और हिजाब में ढके रहना जरूरी बना दिया गया है।
आज अफगानिस्तान में हर क्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता बहुत कम हो चुकी है। मीडिया में करीब 80 प्रतिशत महिलाओं को बेरोजगार बनाया जा चुका है। वहां करीब 1.8 करोड़ महिलाएं स्वास्थ्य, शिक्षा तथा सामाजिक अधिकार पाने के लिए जूझ रही हैं।
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