इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गैंगस्टर एक्ट के एक मुकदमे में मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है। उच्च न्यायालय ने मुख्तार को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई। उस पर पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए यह सजा सुनाई। मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर के इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। मामले में वर्ष 1999 में थाना हजरतगंज में एफआईआर दर्ज की गई थी।
दो दिन पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने मुख्तार अंसारी को सात साल की सजा सुनाई थी। वर्ष 2006 से जेल में बंद मुख्तार अंसारी को पहली बार किसी मुकदमे में सजा सुनाई गई थी। लखनऊ के आलमबाग थाने में एक जेलर को धमकाने के आरोप में मुख्तार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस मामले में मुख्तार अंसारी को जनपद न्यायालय ने बरी कर दिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुये मुख्तार को दो वर्ष की सजा सुनाई। वर्ष 2003 में तत्कालीन जेलर एस.के अवस्थी ने थाना आलमबाग में मुख्तार अंसारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में कहा गया था कि जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी। इसके साथ ही उन्हें गाली देते हुए मुख्तार ने उन पर पिस्तौल भी तान दी थी। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने मुख्तार को बरी कर दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने अपील दाखिल की थी।
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