गत 16 से 18 सितंबर तक झारखंड के पतरातू में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘ग्राम विकास’ एवं ‘गोसेवा गतिविधि’ के कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई। इसमें 44 प्रांतों से 153 कार्यकर्ता मौजूद रहे। इन कार्यकर्ताओं को आसपास के ही स्वयंसेवकों के यहां ठहराया गया। पहले दिन इन कार्यकर्ताओं को आसपास केे गांवों में भ्रमण कराया गया, ताकि ये लोग झारखंड के ग्रामीण जीवन को नजदीक सेे देख पाएं। इन कार्यकर्ताओं के गांव पहुंचने पर ग्रामीणों द्वारा स्थानीय तौर-तरीके से इनका स्वागत किया गया और उसके बाद कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। ग्रामीणों ने झारखंड के प्रसिद्ध लोक नृत्य छऊ की प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया।
बैठक के दूसरे दिन कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबोले का मार्गदर्शन मिला। इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री वी भागैया और ग्राम विकास कीे अखिल भारतीय टोली के सदस्य श्री सिद्धनाथ सिंह का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
बैठक के बाद अखिल भारतीय गोसेवा प्रमुख श्री अजीत कुमार महापात्र और अखिल भारतीय ग्राम सेवा प्रमुख डॉ दिनेश ने बताया कि गांव और गाय का आपस में गहरा संबंध है। इसलिए गो आधारित ग्राम विकास और ग्राम आधारित कुटीर उद्योग साथ-साथ चलने चाहिए। इसी उद्देश्य के साथ इस बैठक का आयोजन किया गया था। इसमें पंचगव्य का सही तरीके से उपयोग हो सके, इस पर भी विस्तृत चर्चा की गई। इसमें यह भी तय हुआ कि अभी तो हर गांव के कम से कम 25 परिवारों को इस योजना से जोड़ा जाएगा, ताकि उन परिवारों में गोआधारित खेती हो सके। इसके बाद अगले 3 साल तक पूरे देश के हर एक मंडल के एक गांव को आदर्श गांव बनाने की भी योजना बनाई गई है, ताकि वहां पूरी तरह से गोआधारित खेती हो सके।
बैठक के अंतिम दिन 18 सितम्बर को पतरातू स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में स्वयंसेवकों का महाएकत्रीकरण हुआ। इसमें रामगढ़ जिले के कोने-कोने से गणवेशधारी स्वयंसेवक पहुंचे। इन स्वयंसेवकों को श्री भागैया ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भले ही राष्ट्रभक्ति दूसरे संगठनों में भी सिखाई जाती हो, लेकिन संघ के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अनुशासन ही होता है। उन्होंने कहा कि संघ का जन्म भगवान बिरसा मुंडा, महर्षि अरविंदो, स्वामी विवेकानंद, वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक जैसे राष्ट्र भत्तफ़ों के सपनों को पूरा करने के लिए हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाली जातियों और जनजातियों की वेशभूषा और भाषा भले ही अलग हों, लेकिन उनके आराध्य और प्रकृति के प्रति समर्पण एक जैसा ही है। इस महा एकत्रीकरण में रामगढ़ जिले से लगभग 800 से अधिक स्वयंसेवक मौजूद रहे। इन स्वयंसेवकों के अनुशासन को देखकर आम लोग चकित रह गए।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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