श्रीलंका की एक अदालत ने वहां के पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना को 2019 में ईस्टर के मौके पर हुए बम धमाकों में संदिग्ध के रूप में शामिल करने को हरी झंडी दिखाकर श्रीलंका वालों को हैरान कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि ईस्टर के मौके पर 21 अप्रैल, 2019 को आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़े जिहादी गुट नेशनल तौहीद जमात के नौ फिदायीन आतंकियों ने श्रीलंका के तीन चर्चों तथा कई आलीशान होटलों में श्रृंखलाबद्ध बम धमाके किए थे। इन आतंकी हमलों में 270 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 11 भारतीय भी शामिल थे।
अदालत ने कल इस घटना में पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना को भी संदिग्ध के रूप में शामिल करने की अनुमति दी है। कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट की अदालत ने सिरिसेना पर बम धमाकों से जुड़ी गुप्तचर रिपोर्टों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए उक्त निर्णय सुनाया है। 71 साल के मैत्रीपाल सिरिसेना को आदेश दिया गया है कि वे 14 अक्तूबर को अदालत में पेश होकर अपनी बात रखें।
दरअसल पूर्व राष्ट्रपति को एक जांच कमेटी ने बम धमाकों की घटना के लिए जिम्मेदार पाया था। उस कमेटी को भी कैथोलिक चर्च तथा पीड़ितों के रिश्तेदारों के दबाव के बाद गठित किया गया था। इधर सिरिसेना ने उन पर लगे तमाम आरोप को बेबुनियाद बताया है।
जैसा पहले बताया, तीन कैथोलिक चर्चों और आलीशान होटलों पर हुआ यह पूर्व नियोजित फिदायीन जिहादी हमला इतना जबरदस्त था कि देखते ही देखते ढाई सौ से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके पीछे आतंकी गुट नेशनल तौहीद जमात का हाथ बताया गया था जो वैश्विक जिहादी संगठन आईएसआईएस से जुड़ा है।
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