भारत के सबसे बड़े इस्लामिक केंद्र में से एक देवबंद दारुल उलूम के वार्षिक बजट में साढ़े आठ करोड़ से ज्यादा का इजाफा किया गया है। इस्लाम के प्रचार और मदरसों के लिए देव बंदियों ने इस साल अपने बजट में 25 प्रतिशत की वृद्धि की है।
देवबंद में मजलिस-ए-शूरा में दारुल उलूम के बोर्ड ने अगले साल का बजट 43 करोड़ 53 लाख 80 हजार रुपए तय किया है। पिछले साल के बजट से ये धन राशि 8.58 करोड़ रुपए अधिक तय की गई है। यानी करीब 25 फीसदी से ज्यादा धनराशि, मजहब प्रचार, मदरसों के संचालन में खर्च की जाएगी।
दारुल उलूम, यूपी, उत्तराखंड, असम और अन्य राज्यों में मदरसों की सरकार द्वारा जांच कराए जाने के मुद्दे पर गंभीर है और इस बारे में 18 सितंबर को देवबंद में एक बड़ी बैठक बुलाई गई है, जिसमें सर्वे को लेकर सरकारों की मंशा पर चर्चा होगी।
दारुल उलूम ने नवंबर माह में राब्ता ए मदारिसा कार्यक्रम किए जाने की भी घोषणा की है, जिसमें दुनियाभर के देवबन्दी प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा। बैठक में मोहम्मद मुफ्ती, अबुल कासिम मोमानी, मौलाना अरशद मदनी आदि मौजूद रहे।
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