असम में पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में युवा उग्रवादी संगठनों में शामिल हुए हैं। वहीं, हजारों की संख्या में आत्मसमर्पण भी किया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बीते 6 सालों में 1500 से ज्यादा युवा उग्रवादी संगठन से जुड़े। 2016 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से असम के कुल 1,561 युवा उग्रवाद में शामिल हो गए हैं। जबकि 7,935 विद्रोही मुख्यधारा में लौट आए हैं।
इन 5 संगठनों में शामिल हुए युवा
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि 2016 से 2022 तक 811 युवा एनडीएफबी में शामिल हुए, जबकि 164 युवा एनएलएफबी में शामिल हुए, 351 युवा पीडीसीके में शामिल हुए, 203 युवा उल्फा में शामिल हुए। इसके साथ ही इस अवधि के दौरान 32 युवा यूपीआरएफ से जुड़े।
7935 ने किया आत्मसमर्पण
सीएम ने जानकारी देते हुए ये भी बताया, ‘इस दौरान 23 विभिन्न उग्रवादी संगठनों के 7935 कार्यकर्ताओं ने आत्मसमर्पण किया और मुख्यधारा में शामिल हो गए। एनडीएफबी के 4516, एनएलएफबी के 465, केपीएलटी के 915, पीडीसीके के 388, यूपीएलए के 378, केएलएनएलएफ के 246, डीएनएलए के 181, एडीएफ के 178, यूजीपीओ के 169, उल्फा के 105, एनएसएलए के 87, टीएलए के 77 और केएलएफ के 60 कार्यकर्ता सरेंडर कर चुके हैं।
जिहादी गतिविधियों के लिए 84 लोग गिरफ्तार
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी कहा कि राज्य में 2016 से जब से बीजेपी राज्य में सत्ता में आई है, इस अवधि के दौरान कुल 84 लोगों को जिहादी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी), हिजबुल मुजाहिदीन और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) जैसे इस्लामी आतंकवादी समूहों का हिस्सा थे। गिरफ्तार किए गए लोगों में से 10 व्यक्ति मदरसों से जुड़े थे।
मस्जिद और मदरसों का किया गलत इस्तेमाल
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विधानसभा को सूचित किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम युवाओं और लोगों को जिहादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए मस्जिदों, मदरसों, जलापा और धर्म सभाओं का इस्तेमाल किया।
युवाओं को सोशल मीडिया के जरिए करते है आकर्षित
सीएम सरमा ने कहा कि उल्फा जैसे आतंकवादी समूह अपनी विचारधारा को प्रचारित करने के लिए फेसबुक, मैसेंजर और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए आतंकी समूह युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं और वे सोशल मीडिया के जरिए कई लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए प्रभावित करने में सफल रहे हैं।
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