बिहार के कायम नगर में सड़क के लिए तो मंदिर तोड़ दिया गया, लेकिन एक मजार को हटाने की बात पर हो गया हंगामा। मुसलमान कह रहे हैं कि मजार नहीं हटेगी और बिहार सरकार वोट बैंक के लिए उनके खिलाफ कुछ नहीं कर पा रही है।
बिहार में सेक्युलरिज्म की परिभाषा अपने ढंग से गढ़ी जा रही है। विकास कार्यों के लिए मंदिर की बलि ली जा रही है, लेकिन प्रशासन की हिम्मत नहीं की वह मजार और मुसलमानों से जुड़े किसी स्थल को हाथ तक लगा सके। पटना में मेट्रो स्टेशन का निर्माण जब अंजुमन इस्लामिया हॉल के निकट किया जा रहा था तो आनन फानन में उसे 1 किलोमीटर आगे स्थानांतरित कर दिया गया। अब इसके लिए 100 वर्ष से अधिक पुराने मंदिर को तोड़ने की बात की जा रही है। परंतु जब आरा के कायमनगर में सड़क के बीचो-बीच बनी मजार को स्थांतरित करने बात होती है तो पुलिस टीम पर हमला होता है।
यह मामला आरा के कायमनगर का है। आरा यानि वीर कुंवर सिंह की कर्म भूमि। इसी कायमनगर में बाबू कुंवर सिंह ने अपनी तलवार की ताकत अंग्रेजों को दिखाई थी। 50 से अधिक अंग्रेज सिपाही मैंगो गार्डन के युद्ध में मारे गए थे। बाबू कुंवर सिंह की तलवार की स्मृति में यहां 21 फीट ऊंची कांसे की तलवार की स्थापना पर्यटन विकास निगम ने की है। पर्यटन विभाग कायमनगर को राष्ट्रीय मानचित्र पर लाने का प्रयास कर रहा है। पटना बक्सर फोर लेन सड़क यहीं से होकर गुजर रही है, लेकिन मुसलमानों की जिद्द के आगे सब कुछ बेकार है। भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता सियाराम सिंह इसे वर्षों से पाली जा रही तुष्टिकरण का परिणाम बताते हैं।
दरअसल इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में एक मजार का पेंच फंस गया है। यह मजार भोजपुर जिले के कोईलवर इलाके में कायमनगर बाजार के पास है। इस मजार के दोनों तरफ की सड़क लगभग बन गई है। केवल थोड़ा सा हिस्सा मजार के कारण अधूरा है। गत दिनों प्रशासन की टीम इस मजार को हटाने पहुंची, तो भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद प्रशासन बिना मजार को हटाए लौट गया। प्रशासन के बैरंग वापस लौटने के बाद हिंदुओं का गुस्सा भड़क गया। कुछ दिन पहले सड़क निर्माण के रास्ते में गिद्दा स्थित माता रानी दुर्गा जी का मंदिर आ रहा था। प्रशासन की अपील पर हिंदू उसे हटाने को सहमत हो गए। प्रदर्शन कर रहे हिंदू इसे सरकार का दोमुहंपन बताते हैं।
मुसलमानों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग से सटी शहीद बाबा की मजार 100 वर्ष से अधिक पुरानी है। इसलिए इसे नहीं तोड़ा जाये। सड़क के बीचों बीच इसे यथावत रहने दिया जाए। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों का मानना है कि ऐसा करना सड़क की सुरक्षा कारणों से उचित नहीं है। अधिकारी सम्मानपूर्वक मजार को स्थानांतरित करने की बात भी कर रहे हैं, लेकिन मुसलमानों की जिद्द मजार की स्थिति यथावत बनाए रखने की है।
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