सोशल मीडिया पर एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है। आपने भी देखी होगी। इस फोटो में दिख रहा है कि एक बड़े मैदान में गायों के शव पड़े हुए हैं। शवों को खुले में फेंक दिया गया है। यह फोटो बीकानेर की है, लेकिन राजस्थान में रोजाना हजारों गायें लंपी वायरस से मर रही हैं। इन गायों की भी लंपी वायरस से मौत हुई है।
लंपी वायरस ने राजस्थान और गुजरात को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले लिया है। ये दोनों राज्य दुग्ध बेल्ट में आते हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी यह वायरस पहुंच चुका है। यह वायरस गौवंशों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। राजस्थान में लंपी वायरस पर रोक नहीं लग पा रही है। गायों के शवों को गड्ढों में और खुले में फेंका जा रहा है।
तीन महीने में 60 हजार से अधिक गायों की मौत
राजस्थान में अब तक 8 लाख से ज्यादा गौवंश इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। करीब तीन महीने में 60 हजार से अधिक गायों की मौत हो चुकी है। प्रदेश के 33 में से 22 जिलों में यह वायरस फैल चुका है। बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा गायों की मौत श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर जालौर में हुई है। हालांकि जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन ये इतना प्रभावी नहीं हो पा रहा है। लोग खुले में गौवंश के शव फेंक रहे हैं।
कहीं यह महामारी न बन जाए…
भाजपा नेता और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गायों के शवों की फोटो को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि यह तस्वीर भले ही बीकानेर की हो, लेकिन पूरे राजस्थान में आज गौमाता की यही स्थिति है। मृत गायों को खुले में फेंकने से संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कहीं यह महामारी न बन जाए। क्योंकि मृत गायों की दुर्गंध और प्रदूषण से आस-पास के लोगों में भी अन्य बीमारियां फैल रही हैं।
यह तस्वीर भले ही बीकानेर की हो, लेकिन पूरे राजस्थान में आज गौमाता की यही स्थिति है। मृत गायों को खुले में फेंकने से संक्रमण तेजी से फेल रहा है। कहीं यह महामारी न बन जाए।
क्योंकि मृत गायों की दुर्गंध और प्रदूषण से आस-पास के लोगों में भी अन्य बीमारियां फेल रही है।#lumpyskindisease pic.twitter.com/GMbH7hBReN— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) September 7, 2022
वर्ष 1929 में अफ्रीका में आया था यह रोग
लंपी त्वचा का रोग है। यह कैप्रीपॉक्स वायरस की फैमिली से है। इसका पूरा नाम लंपी स्किन डिजीज वायरस (LSDV) है। इस वायरस की उत्पत्ति अफ्रीका से मानी जाती है। इसकी पहचान वर्ष 1929 में हुई थी। यह पशुओं में फैलने वाली बीमारी है। पशुओं से मानवों में इसका संक्रमण नहीं होता है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अधिसूचित बीमारी की श्रेणी में रखा है।
पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण
पशुओं में बुखार, दूध में कमी, शरीर पर गांठें और चकत्ते, गले में सूजन इसके प्रमुख लक्षण हैं। यह गौवंश को अपना शिकार बनाता है। इसका संक्रमण तेजी से होता है, लेकिन इससे मृत्युदर कम है। इससे संक्रमित होने पर गौवंश को आइसोलेट कर देना चाहिए।
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