स्टार्टअप कारोबार के विकास में मदद करने वाले सहायता केंद्र या संस्थानों को इनक्यूबेशन सेंटर कहते हैं। स्टार्टअप की शुरुआत में ये केंद्र उनके लिए संजीवनी का काम करते हैं। इनसे बेहद कम खर्च में कार्यस्थल उपलब्ध कराने से लेकर तकनीकी सुविधाएं, विशेषज्ञों की सलाह समेत मार्केटिंग व पूंजी जुटाने की प्रक्रिया में मदद मिलती है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मार्च 2022 में संसद को जानकारी दी थी कि देश के 640 जिलों में कुल 65,861 स्टार्टअप पंजीकृत हैं। 2016-17 में इनकी संख्या 726 थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2015 के अपने भाषण में स्टार्टअप अभियान की घोषणा की थी।
इस अभियान के तीन प्रमुख उद्देश्य थे— स्टार्टअप कारोबार में सरलता और उन्हें सहारा, पूंजी का प्रबंध व प्रोत्साहन तथा उद्योग-शैक्षिक संस्थानों की साझेदारी व इन्क्यूबेशन। इसके साथ ही लाइसेंस राज, जमीन व विदेशी निवेश से संबंधित अनुमति जैसे कई असुविधाजनक कानूनों से छुटकारा दिलवाना भी इस अभियान का प्रमुख लक्ष्य था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल हर वर्ष 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने इस वर्ष 48 स्टार्टअप्स को पुरस्कृत भी किया।
भारत में स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर
स्टार्टअप कारोबार के विकास में मदद करने वाले सहायता केंद्र या संस्थानों को इनक्यूबेशन सेंटर कहते हैं। स्टार्टअप की शुरुआत में ये केंद्र उनके लिए संजीवनी का काम करते हैं। इनसे बेहद कम खर्च में कार्यस्थल उपलब्ध कराने से लेकर तकनीकी सुविधाएं, विशेषज्ञों की सलाह समेत मार्केटिंग व पूंजी जुटाने की प्रक्रिया में मदद मिलती है। यह संपूर्ण तंत्र एक तरीके से स्टार्टअप के लिए गुरु और मार्गदर्शक का काम करता है। स्टार्टअप को अनेक प्रकार की सरकारी सहायता और अनुदान भी इन्हीं केंद्रों के माध्यम से दिए जाते हैं।
भारत में 326 से अधिक निजी और सरकारी स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर हैं। सबसे अधिक करीब 140 केंद्र दक्षिण राज्यों में हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और गोवा जैसे पश्चिमी राज्य आते हैं, जहां 75 केंद्र हैं। वहीं, उत्तर भारत के राज्यों में 64 स्टार्टअप केंद्र हैं, जिनमें 26 केंद्रों के साथ उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। ये स्टार्टअप इनक्यूबेशन केंद्र भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बद्ध हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार के अन्य विभागों के साथ भी अनेक स्टार्टअप सम्बद्ध हैं, जैसे- कृषि, शिक्षा, रक्षा मंत्रालय, पर्यटन एवं कौशल विकास मंत्रालय।
देश के सर्वोच्च प्रौद्योगिकी संस्थान माने जाने वाले देश के चुनिंदा आईआईटी संस्थानों के भी अपने-अपने स्टार्टअप इनक्यूबेशन केंद्र हैं, जो बेहतरीन काम कर रहे हैं। आईआईटी कानपुर का स्टार्टअप इनक्यूबेशन केंद्र बीते वर्षों के दौरान 150 से अधिक स्टार्टअप को अपनी सेवाएं दे चुका है। इस केंद्र ने अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। कोरोना के दौरान यहां विकसित एक सस्ता वेंटिलेटर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा था।
केंद्र सरकार की सहायता से तब सरकारी संस्थाओं ने इसका निर्माण भी किया था। साथ ही, पूजा में प्रयुक्त फूलों से सुगंधित धूप-अगरबत्ती बनाने और सस्ते ड्रोन का विकास भी इस केंद्र में किया जा चुका है और यह उत्तर प्रदेश सरकार को भी अपनी सेवाएं दे रहा है। उत्तर सरकार के कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल की पहल पर यह यह केंद्र सरकारी आईटीआई के शिक्षकों को नई विधाओं में प्रशिक्षित कर शिक्षा के स्तर को सुधारने में भी मदद कर रहा है। कोरोना काल के दौरान इसके आनलाइन प्रशिक्षण को पूरे प्रदेश के आईटीआई शिक्षकों ने सराहा था। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार नोएडा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अपना पहला सेंटर आफ एक्सिलेंस बनाने में भी इसकी मदद ले रही है।
केंद्र सरकार ने देश में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 2016 में नीति आयोग के तहत अपने मुख्य कार्यक्रम अटल इनोवेशन मिशन की शुरुआत की थी। इस अभियान के तहत पूरे देश में अटल इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना की गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में अटल इनक्यूबेशन सेंटर का उद्घाटन किया था। आधुनिक सुविधाओं के साथ आज यह पूर्वांचल के स्टार्टअप कारोबार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
गूगल स्टार्टअप स्कूल
गूगल ने 6 जुलाई, 2022 को इसकी शुरुआत की है। इसके जरिये देश के दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में 10 हजार स्टार्टअप को मदद देने की योजना है। गूगल अपने आप में विश्व की नई वर्चुअल सरकार बन चुका है। इसके बिना इंटरनेट की दुनिया में कुछ भी करना आसान नहीं है। गूगल की यह पहल स्टार्टअप कारोबारियों के लिए निश्चित ही बड़ी संभावनाओं के नए द्वार खोल सकता है।
स्टार्टअप कैसे शुरू करें?
कोई भी स्टार्टअप शुरू करने के लिए सबसे पहले एक बेहतरीन आइडिया की जरूरत होती है। फिर उसके मार्केट रिसर्च, ग्राहक और बाजार जैसे सभी पहलुओं पर काम करना होता है। कंपनी की आय कैसे होगी और मुनाफा कहां से आएगा, पूंजी का इंतजाम कैसे होगा जैसे अनेक मुद्दों पर कार्य योजना बनानी पड़ती है। जब आप आश्वस्त हो जाएं कि आपके उस नए विचार से किसी भी प्रकार की मौजूदा समस्याओं का हल किया जा सकता है और आपका यह उपक्रम आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी हो सकेगा, तब उसे शुरू किया जा सकता है।
पूंजी कैसे जुटाएं?
बूटस्ट्रैपिंग: किसी भी कारोबार के लिए अपना निवेश ही पूंजी का पहला माध्यम होता है। स्टार्टअप की दुनिया में स्व-वित्त पोषण के इस तरीके को बूटस्ट्रैपिंग के रूप में जाना जाता है।
क्राउडफंडिंग: यह पूंजी जुटाने का नया तरीका है, जिसका चलन तेजी से बढ़ रहा है। ज्यादा लोगों से छोटी-छोटी धनराशि जुटाने को क्राउडफंडिंग कहते हैं। यदि आपके कारोबारी विचार में दम है तो यह काम सरलता से हो सकता है। हालांकि क्राउडफंडिंग का उपयोग ज्यादातर सामाजिक कार्यों के लिए किया जा रहा है।
एंजेल निवेशक: स्टार्टअप की दुनिया में पूंजी जुटाने का यह तरीका सबसे अधिक लोकप्रिय है। देश-दुनिया में ऐसे अनेक व्यक्तिगत और संस्थागत निवेशक हैं, जो कारोबारी आइडिया पसंद आने पर स्टार्टअप को मनचाही फंडिंग देने को तैयार रहते हैं। हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है। आपको बड़े एंजेल निवेशक चाहिए तो पहले खुद को साबित करना होगा। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में एक हजार से अधिक एंजेल निवेशक हैं। अनेक सफल यूनीकॉर्न के स्टॉक मार्केट से पूंजी जुटाने के कारण इन निवेशकों को भी मोटा मुनाफा हुआ है। अत: अनेक हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल का रुझान इस ओर बढ़ रहा है।
सरकारी योजनाएं: भारत में केंद्र सहित विभिन्न राज्यों की अनेक योजनाएं हैं, जो स्टार्टअप को अनेक प्रकार की सहायता और अनुदान देने का काम करती हैं।
चुनौतियां भी कम नहीं
एक मोटे आकलन के अनुसार, 90 प्रतिशत स्टार्टअप अपनी शुरुआत के पहले पांच साल के भीतर ही बंद हो जाते हैं। इसलिए एक आकर्षक क्षेत्र होने के बावजूद यहां चुनौतियां कम नहीं हैं। पूंजीगत जोखिम के मुकाबले लाभ का अनुपात अधिक होने के कारण उत्साही नवयुवक यहां अपनी किस्मत आजमाने का प्रयास करते हैं। सुप्रसिद्ध टैक्सी सेवा उबर बेहद उपयोगी, सफल और चर्चित होने के बावजूद शुरुआत से लगातार नुकसान में है। इस वर्ष मई 2022 में अपनी आय में 136 प्रतिशत उछाल के बावजूद उबर ने 47,000 करोड़ रुपये के नुकसान की घोषणा की है।
ऐसे अनेक अंतरराष्ट्रीय यूनिकॉर्न लगातार भारी नुकसान में हैं। यह नए युग का अनोखा बिजनस मॉडल है जो बाजार के अनेक अनुभवी जानकारों की समझ से बाहर है। इसमें निवेशक बाजार के बड़े ग्राहक वर्ग तक पहुंच बनाने के लिए दांव लगाते रहते हैं। सुप्रसिद्ध स्टॉक मार्केट निवेशक स्व. राकेश झुनझुनवाला ऐसे बिजनेस मॉडल के मुखर आलोचक थे।
कुल मिलाकर यदि आपके पास बड़े निवेश की व्यवस्था नहीं है तो एक छोटी गलती भी आपको भारी पड़ सकती है। अन्यथा अनेक गलतियों के बावजूद भी आप सफल हो सकते हैं। इसलिए समझ-बूझ के साथ चलना बेहतर होगा और खुद पर भरोसा है तो इसे आजमाने में कोई हर्ज नहीं है।
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