मास्को की एक अदालत ने देश के एक बड़े और स्वतंत्र अखबार का लाइसेंस रद्द कर दिया है। अब यह अखबार अगले आदेश तक नहीं छपेगा। बता दें कि यह अखबार रूस के सत्ता केन्द्र क्रेमलिन की तीखी आलोचनाएं प्रकाशित करता रहा है। इतना ही नहीं, इसने यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस सरकार विरोधी रवैया ही दर्शाया है और युद्ध को जल्दी से जल्दी रोकने की मांग करता रहा है।
उल्लेखनीय है कि रूस में देश के अनेक स्वतंत्र मीडिया संस्थानों, विपक्षी राजनीतिज्ञों और मानवाधिकार समूहों के विरुद्ध पिछले एक महीने से कड़ी कार्रवाई चल रही है। रूस के लोग वर्तमान कार्रवाई को उसी की एक कड़ी के रूप में देख रहे हैं। रूस के इस मशहूर अखबार ‘नोवाया गजेटा’ के विरुद्ध लाइसेंस रद्द करने का यह निर्णय यूक्रेन में रूस के हमले और रूसी सत्ता के अपने आलोचकों का मुंह बंद कराए जाने की कोशिशों के दौरान देखने में आया है।
यहां ध्यान देने वाली बात एक और है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तरफ से 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन में अपने सैनिक भेजने के कुछ ही दिन बाद रूस की संसद ने एक कानून पारित किया था, जिसके तहत रूसी सेना की कथित निंदा करने या यूक्रेन में देश के सैन्य अभियान को लेकर ‘‘गलत जानकारी’’ फैलाने पर रोक लगा दी गई थी। इससे विरुद्ध बड़ी संख्या में रूस के स्वतंत्र मीडिया संस्थानों पर रोक लगा दी गई। दूसरे बहुत से ऐसे भी हैं, जिन्होंने यूक्रेन से जुड़ी कोई भी समाचार न छापने की घोषणा की हुई है।
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अखबार के मुख्य संपादक हैं दिमित्री मुरातोव, जिन्हें नोबल शांति पुरस्कार मिल चुका है। वे पुतिन सरकार के कटु आलोचकों में से एक माने जाते हैं। दरअसल उनके अखबार के विरुद्ध रूस के मीडिया और इंटरनेट नियामक ने मोर्चा खोला था और अखबार का लाइसेंस रद्द किया था। नोवाया गजेटा का लाइसेंस रद्द करने के अपने फैसले पर मुहर लगवाने के लिए अदालत में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में आरोप लगाया था कि अखबार नियामक अधिकारियों के सामने समय पर न्यूज़रूम चार्टर प्रस्तुत नहीं कर पाया। अदालत ने भी सुनवाई के बाद रूसी संस्थान के फैसले को बनाए रखा।
अखबार के मुख्य संपादक दिमित्री मुरातोव ने रूस सरकार के इस निर्णय को ‘राजनीतिक’ बताते हुए इस पर लंबी लड़ाई लड़ने के संकेत दिए हैं। उनका कहना है कि इस प्रतिबंध का कोई कानूनी आधार नहीं है।
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