चित्र नंदा सुनंदा, नयना देवी नैनीताल
नैनीताल । नैना देवी मंदिर परिसर में मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों को स्थापित कर उनका विधिवत पूजन शुरू हो गया। कुमाऊं के हजारों लोग मां नंदा सुनंदा की पूजा के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं। अल्मोड़ा, भवाली, चंपावत आदि शहरों में भी नंदा उत्सव की धूम है।
केले के पेड़ से बनती हैं मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियां
नंदा देवी महोत्सव नैनीताल शहर में पिछले 120 वर्षों से मनाया जा रहा है। इस महोत्सव का सबसे खास आकर्षण इसके लिए तैयार होने वाली मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियां हैं, जो कदली यानी केले के पेड़ से तैयार की जाती हैं। इसमें भी कला व पर्यावरण पर खास ध्यान रखा जाता है। इसके लिए प्राकृतिक रंगों के साथ ईको फ्रेंडली वस्तुओं का ही चयन किया जाता है।
ऐसे तैयार होती हैं मूर्तियां
नंदा देवी उत्तराखंड की कुल देवी हैं। उपासना के लिए केले के पेड़ से खास तरह की मूर्तियां बनाई जाती हैं। ये मूर्तियां भी आयोजक संस्था के कभी अध्यक्ष रहे स्व. ठाकुर दास साह का परिवार ही बनाता है। इसके लिए पांच फीट का केले का तना काटकर उसमें खपच्चियों से चेहरे का आकार दिया जाता है। आंख, कान और नाक के लिए बड़े बटन लगाए जाते हैं। सांचे को दबाने के लिए रूई भी उपयोग में लाई जाती है। साथ ही तीन मीटर का सूती का कपड़ा लेकर उसे पीले रंग से रंगा जाता है। आकार बनाने के बाद मूर्ति को गहने पहनाए जाते हैं।
महोत्सव के समापन के साथ इन मूर्तियों का विसर्जन कर दिया जाता है। इस बार सात सितंबर को नैनीताल शहर में नंदा सुनंदा की मूर्तियों का डोला पूरे शहर में घूमेगा और देर शाम को नैनी झील में इनका विसर्जन होगा। अगले तीन दिन पूरे नैनीताल में उत्सव का माहोल होता है हर घर से लोग अपनी कुलदेवी की पूजा करने नैना देवी मंदिर पहुंचेंगे।
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