विभाजन की विभीषिका : ‘एक-एक दाने को तरसकर रह गए’
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

विभाजन की विभीषिका : ‘एक-एक दाने को तरसकर रह गए’

स्वतंत्रता दिवस विशेषांक (खून के आंसू) बंटवारे की त्रासदी पर केंद्रित था। पाठकों की ओर से मिली जबरदस्त सराहना को देखते हुए अब से प्रत्येक अंक में विभाजन के भुक्तभोगियों की आपबीती प्रकाशित की जाएगी। प्रस्तुत है पहली कड़ी

by पाञ्चजन्य वेब डेस्क
Sep 5, 2022, 04:28 pm IST
in भारत
भगवान दास

भगवान दास

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

न भूलने वाला पल
बंटवारे के बाद परिवार एक-एक रोटी मांगता फिर रहा था। बड़ा दुख होता था ये सब देखकर।

भगवान दास

यारू, डेरा गाजीखान

 

बंटवारे के समय मैं 12 साल का था। सातवीं कक्षा में पढ़ता था। मेरा घर डेरा गाजीखान स्थित यारू में था। मेरी तीन बहनें और तीन भाई थे। मेरा घर पक्का था, जहां हम सब माता-पिताजी के साथ रहते थे। बड़ा खुशनुमां माहौल था उन दिनों। हमारा इलाका हिन्दू बहुल था। पिताजी किराने की दुकान करते थे। मुझे आज भी अपने स्कूल के दिन याद हैं, जहां मैं दोस्तों के साथ खूब खेलता था। मेरे दोस्त धर्मचंद्र, सेवाराम और गंगा राम थे, जिनके साथ पूरा दिन अलग-अलग खेल खेलता रहता था। स्कूल में उर्दू सफी मोहम्मद पढ़ाते थे तो अन्य विषय अहमद खान पढ़ाते थे।

मुझे याद है कि विभाजन के एक साल पहले से ही तनाव होने लगा था। आए दिन जगह-जगह से अराजकता की खबरें आनी शुरू हो गई थीं। इसी बीच 1947 की शुरुआत में हमारे इलाके में भी मुसलमानों ने हमला कर दिया। घरों को आग लगाई, लूट-मार की। ऐसी घटनाएं आए दिन होने लगीं। मैं अपने घर की छत से आग की लपटों को देखा करता था।

मुझे याद है उन दिनों अचानक से ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगाता झुंड किसी के भी घर में घुस आता था और लूटमार करने लग जाता था। इनके हाथों में तलवारें और धारदार हथियार होते थे। यह सब मैंने अपनी आंखों से देखा है। यहां हमारी सुरक्षा को कोई नहीं था। पुलिस भी उनसे मिल गई थी। एक तरीके से कहें तो पुलिस जिहादियों को संरक्षण देती थी और हिन्दुओं को पलायन के लिए मजबूर करती थी। भय से व्याकुल हिन्दू परिवार डेरा गाजीखान के शिविरों में रहने को मजबूर हो रहे थे। एक दिन हमारे घर भी डाका पड़ा।

सब कुछ लूट लिया जिहादियों ने। डरकर फिर हम सभी पलायन कर गए। डेरा गाजीखान के शिविर में हम कुछ दिन रहे। हम पूरी बस्ती के साथ थे। किसी तरह से गोरखा रेजिमेंट के जवान हमें बचाकर अमृतसर लाए। इस दौरान रास्ते में जवान बराबर हमें चेतावनी दे रहे थे कि ट्रेन की सभी खिड़कियां बंद रखें। किसी तरीके से हम अमृतसर आ पाए। कुछ दिन यहां रहने के बाद परिवार सहित हिसार, गुड़गांव, पलवल, फरीदाबाद और फिर महरौली में भटकते रहे। इस दौरान दर-दर की ठोकरें खार्इं। एक-एक दाने को तरसकर रह गए।

सरकार की ओर से शिविरों में जो खाने को दिया जाता, उसी से पेट भरता था। कहां अपने घर के समृद्ध थे। लेकिन बंटवारे के बाद कहां परिवार एक-एक रोटी मांगता फिर रहा था। बड़ा दुख होता था ये सब देखकर। मैंने एक सेठ के यहां मजदूरी की। कुछ रुपए मिल जाते थे, उससे घर का गुजारा चलता था। यही सोचकर मन शांत कर लेता था कि सबके साथ ऐसा हुआ है, तो हमारे साथ भी ऐसा हुआ है। सबका दर्द, अपना दर्द और अपना दर्द, सबका समझकर मन शांत कर लेता था।

मुझे अपनी माटी से आज भी प्रेम है। लेकिन अब वहां जाने का कभी मन नहीं करता, क्योंकि मुसलमानों ने हमारा सब उजाड़ दिया। इतना दुख-दर्द दिया, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। हमारा पूरा जीवन ही बदल गया। मैं जीते जी इस त्रासदी को भला कैसे भूल सकता हूं।

Topics: सब कुछ लूट लिया‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारेअपनी माटी से आज भी प्रेम हैविभाजन की विभीषिका
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

नवनीत राणा की सभा में हंगामा

अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते हुए हमलावरों ने किए गंदे इशारे, कुर्सियां फेंकी : नवनीत राणा

आज भी देश झेल रहा है विभाजन की विभीषिका का दंश, पंजाब और बंगाल को भुगतना पड़ा बहुत बड़ा खामियाजा

बंटवारे के दौरान मुसलमान हावी हो गए थे

चारों तरफ आग, धुआं और कटी लाशें थीं

एक राहत शिविर

आहत हिंदुओं का सहारा बने स्वयंसेवक

आजादी, आह और सबक

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Germany deported 81 Afghan

जर्मनी की तालिबान के साथ निर्वासन डील: 81 अफगान काबुल भेजे गए

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies