संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यानी ‘यूनेस्को’ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में शिक्षा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के कई देश जहां स्कूलों में शिक्षा का नया सत्र शुरू करने जा रहे हैं, वहीं कई देश ऐसे हैं जहां बच्चों को स्कूल ही नसीब नहीं हैं। शिक्षा की अनुपलब्धता ऐसी है कि दुनियाभर में 24 करोड़ से ज्यादा बच्चे स्कूली शिक्षा से दूर हैं।
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने 1 सितम्बर को यह रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए कहा कि हर बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार है, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। उनके इस अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी ऐसी स्थिति को स्वीकार नहीं कर सकता कि जिसमें उसे शिक्षा से वंचित रहना पड़े।
ऑड्रे अजोले ने चेतावनी देते हुए कहा कि इन नतीजों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने सभी के लिए 2030 तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने का जो लक्ष्य तय किया है, उसे पाने की सम्भावनाओं पर खतरा मंडरा रहा है। हमें शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय एजेंडे में सबसे पहले रखने के लिए दुनियाभर में इसके लिए प्रयास तेज करने होंगे।
उल्लेखनीय है कि महानिदेशक ऑड्री अजूले अपने इसी संदेश को आगामी 19 सितंबर को यूएन मुख्यालय में होने जा रहे एक बहुत खास शिक्षा परिवर्तन सम्मेलन में भी प्रस्तुत करने वाली हैं।
यूनेस्को ने रिपोर्ट में जो आंकड़े दिए हैं उनमें यह एक अच्छी बात सामने आई है कि दुनिया भर में स्कूली शिक्षा से वंचित रहने वाली लड़कियों और लड़कों के बीच जा फर्क दिखता था वह खत्म हो गया है। साल 2000 में, प्राइमरी स्कूली शिक्षा पाने बच्चों में यह फर्क 2.5 प्रतिशत का था, और सेकेंडरी स्तर की शिक्षा में यह 3.9 प्रतिशत था। अब यह अंतर खत्म हुआ है और शून्य रह गया है। लेकिन रिपोर्ट कहती है कि इलाकों की दृष्टि से कुछ फर्क तो अब भी बना हुआ है।
यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल का कहना है कि यूक्रेन में जारी संघर्ष की वजह से इस समय लगभग 40 लाख बच्चों को स्कूल का ऐसा सत्र शुरू करना पड़ रहा है, जिसके बारे में कुछ निश्चित नहीं है। कैथरीन हाल में यूक्रेन की तीन दिन की यात्रा पर गई थीं। वहां उन्होंने छात्रों, अभिभावकों तथा अध्यापकों के साथ बात की। उल्लेखनीय है कि वहां युद्ध छिड़े करीब सात महीने हो चुके हैं। कैथरीन का कहना था कि बच्चे, अपने स्कूलों में वापस तो लौट रहे हैं-लेकिन बहुत से बच्चे युद्ध से आहत हैं। कुछ कहा नहीं जा सकता कि उनके शिक्षक और मित्र उनका स्वागत करने के लिए वहां मौजूद भी होंगे कि नहीं। आज वहां बहुत से माता-पिता और अभिभावक ऐसे हैं जो अपने बच्चों को स्कूल भेजने से परहेज कर रहे हैं, क्योंकि वो अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं।
साफ है कि यूक्रेन में जारी युद्ध में हजारों स्कूल बर्बाद हो चुके हैं, या क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। देश के कुल स्कूलों में से सिर्फ 60 प्रतिशत ही ऐसे हैं जिन्हें फिर से खोलने लायक माना गया है।
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