पाकिस्तानी सरकार और सेना दोनों की नींद हराम करने वाले जिहादियों ने अब खुलकर धमकी दी है कि वे पाकिस्तान में इस्लामी हुकूमत कायम करेंगे। इतना ही नहीं पड़ोसी इस्लामी देश की नाक में दम करने वाले जिहादियों के इस गुट टीटीपी ने कहा है कि भारत में तो मुसलमान कामयाब नहीं हुए हैं।
टीटीपी यानी तहरीके तालिबान पाकिस्तान, जिसे अफगानी तालिबान का ही पाकिस्तानी हमजोली माना जाता है, के जिहादी सरगना नूर वली महसूद ने यह धमकी देते हुए पाकिस्तान में इस्लामिक सत्ता कायम करने की बात की है। महसूद ने कहा कि भारत में मुसलमान ‘उलमा-ए-हिंद’ का मुकाम पाने में असफल रहे हैं, लेकिन वे पाकिस्तान में यह करके दिखाएंगे।
अफगानिस्तान की धरती से पाकिस्तान पर लगातार आतंकी हमलों में लिप्त टीटीपी के जिहादी सरगना महसूद ने पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ की सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने की खुली धमकी भी दी है। महसूद कहता है कि वे पाकिस्तान में इस्लामिक हुकूमत बनाना चाहते हैं, क्योंकि डेमोक्रेसी गैर इस्लामिक चीज है। उसका जिहादी गुट इसके विरुद्ध जिहाद छेड़ेगा। महसूद ने यहां तक कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र थोड़े है, वहां तो अभी बस फौजी हुकूमत है। (देखें वीडियो)
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नूर वली साफ कहता है कि टीटीपी ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ की एक उपशाखा है। पाकिस्तान में इस्लामिक सरकार कायम करने के लिए उनका जिहाद लोकतंत्र नाम की गैर इस्लामिक व्यवस्था के विरुद्ध शुरू हुआ है। पाकिस्तान में कहीं कोई असल लोकतंत्र नहीं है, वहां तो हमेशा से फौज का राज चला आ रहा है। वह बोलता है कि इस्लामिक हुकूमत चाहते हैं तो उसके लिए कुछ संसाधनों की जरूरत तो है लेकिन उससे भी ज्यादा एकजुट होने की जरूरत है।
टीटीपी के इस जिहादी ने आगे कहा कि पाकिस्तानी फौज ने ही मुल्क में ऐसी व्यवस्था कायम की है कि जिससे उसका राज चलता रहे। उसने कहा कि पाकिस्तान में इस्लामिक हुकूमत लाने के लिए उनके मुजाहिदीनों ने अपनी जान दी है। अब सबको इस मकसद को पूरा करने के लिए वफादारी दिखानी होगी, एकता बनाए रखनी होगी। नूर वली कहता है कि अंग्रेजों ने इस उपमहाद्वीप को हिस्सों में बांट दिया। उन्होंने मुस्लिमों की ताकत को दो मुल्कों, हिंदुस्थान और पाकिस्तान में बांट दिया। भारत में मुसलमानों की तादाद पाकिस्तान में कुल मुसलमानों से ज्यादा है।
भारत के मुसलमानों के लिए नूर वली कहता है कि भारतीय मुस्लिमों ने जिहाद छेड़ा, कुर्बानी दी लेकिन वहां मुस्लिमों में एकता नहीं है। यही वजह है कि वे अपने ‘उलमा-ए-हिंद’ के मकसद को नहीं पा सके। उसी तरह पाकिस्तान सिर्फ कहने के लिए इस्लाम के नाम पर आजाद हुआ, लेकिन पाकिस्तान में भी अभी तक इस्लामिक व्यवस्था लागू नहीं की गई है, जिसका कि उस वक्त वादा किया गया था।
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