मथुरा: वृंदावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के तहखाने और बैंकों में बंद पड़े खजाने को खोलने की मांग हो रही है। उनका उपयोग जनहित की सेवा कार्यों में किए जाने की चर्चा तेज हो गई है। मंदिर में मौजूद खजाना कई सालों से तिजोरियों में बंद पड़ा है।
कहा जाता है कि ठाकुर जी के मंदिर में मुख्य मूर्ति के दाहिने तरफ की सीढ़ी के नीचे एक तहखाना जाता है। जिसे 1864 में मंदिर निर्माण के दौरान बनाया गया था। इस तहखाने में खजाने के साथ-साथ कीमती दस्तावेज भी शामिल हैं। तहखाने के अंदर मंदिर निर्माण संघर्ष में बलिदान हुए गोस्वामी रूपानंद महाराज और मोहनलाल महाराज के प्रति श्रद्धांजलि उल्लेखित पत्र, भूमि दानदाताओं के दस्तावेज, राजा महाराजाओं द्वारा दी गई स्वर्ण मुद्राएं, स्वर्ण कलश, शेष नाग की मूर्तियां आदि खजाना शामिल है।
1926 और 1936 में इस खजाने को चोरी करने का भी प्रयास किया जा चुका है। कहा ये भी जाता है, कि 1971 में तत्कालीन मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्यारे लाल गोयल ने चढ़ावे में आए स्वर्ण और चांदी के आभूषण आदि को एक बक्से में बंद कर, भूतेश्वर स्टेट बैंक के लॉकर में रखवा दिया था, और इन सारे समानों की एक सूची बनाकर अपने सात अन्य साथियों को दे दी थी।
2002 और 2004 में इन तहखानों और खजाने को लेकर कानूनी प्रकिया भी शुरू की गई थी, लेकिन यह कोशिश सफल नहीं हो पाई। अब एक बार फिर से इन खजानों को सार्वजनिक करने और इसका उपयोग नीतिगत फैसले लिए किए जाने की मांग जोर पकड़ रही है।
हाल ही में मंदिर के नए कॉरिडोर के निर्माण के लिए सरकार ने मंदिर के खातों से ही धन लिए जाने की बात कही है। जिसमें आसपास के भवनों का सरकार अधिग्रहण करेगी, और उसकी रजिस्ट्री मंदिर के नाम पर की जाएगी। जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओ की सुविधाओं में और इजाफा होगा।
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