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विभाजन : ‘आज भी लगता है डर’

पहले हम गांव महमूद दी बस्ती, तहसील अलीपुर में रहते थे। मेरे पिताजी जासुराम जी की प्रतिष्ठित परचून और किराने की दुकान थी

by पाञ्चजन्य वेब डेस्क
Sep 1, 2022, 10:30 am IST
in भारत
जवाहरलाल तनेजा

जवाहरलाल तनेजा

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जवाहरलाल तनेजा

मुजफ्फरगढ़, पाकिस्तान

 

भारत के बंटवारे से पहले हम गांव महमूद दी बस्ती, तहसील अलीपुर में रहते थे। मेरे पिताजी जासुराम जी की प्रतिष्ठित परचून और किराने की दुकान थी। उसके ठीक बराबर में उनके ताऊजी घनश्याम दास तनेजा की कपड़े की दुकान थी। उनके चाचा उद्धव दास तनेजा की पंसारी की दुकान थी। वे वैद्य भी थे।

बंटवारे के दिनों में जब दंगे होने शुरू हुए, तो हमारे पिता अपनी दुकान और घर अपने कर्मचारियों के हवाले करके हमारे परिवार और मामा जी के परिवार को साथ लेकर हिन्दुस्थान की ओर चल दिए।

हम सब रास्ते भर भूखे-प्यासे रहे। बस एक ही चिंता थी कि कैसे भी हम भारत की सीमा तक पहुंच जाएं।

हमारे चाचाजी और ताऊजी साथ नहीं आए थे, वे दोनों वहीं रुक गए। भारत आकर सबसे पहले हम लोग कुरुक्षेत्र में लगे कैंप में गए। उन दिनों को याद करके आज भी कपकंपी छूट जाती है।

Topics: भारत की सीमाकुरुक्षेत्र में लगे कैंपहिन्दुस्थान की ओर चल दिए
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