बिहार में सरकार बदलने के बाद अपराध इस कदर बढ़ा है कि जब तक कोई रिपोर्ट तैयार की जाती है तब तक किसी की हत्या, बलात्कार, लूटपाट, डकैती जैसी घटना हो जाती है। यानी सुबह अपराध का जो आंकड़ा होता है वो शाम तक बढ़ ही जाता है । और अपराध भी वैसा जो मोहम्मद शहाबुद्दीन की याद दिला देता है। दुनिया को पता है कि कुख्यात अपराधी और सिवान से राजद का सांसद रहा मोहम्मद शहाबुद्दीन लोगो को तेजाब से नहला कर मारता था। अब एक ऐसी ही घटना मुजफ्फरपुर में हुई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बरुराज थाना के कोडगीवां गांव के संजीत कुमार का अपहरण 27 अगस्त की रात में कर लिया गया था। अपहरण की जानकारी मिलते संजीत की खोजबीन शुरू की जाने लगी। इसी बीच 28 अगस्त की शाम को उसका शव पानी भरे नाले में मिला। शव को देखकर प्रतीत हो रहा था कि छात्र की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई होगी । शरीर के कई हिस्सों पर चाकू से गोदने के निशान पाए गए। इसके साथ ही अपराधियों ने संजीत की दोनों आँखें फोड़ दी थीं और शव को तेजाब से जला दिया गया था।
पता चला है कि संजीत देवघर में रहकर नौकरी की तैयारी कर रहा था। बिहार पुलिस की मुख्य परीक्षा भी उसने पास की थी। जिस दिन संजीत का अपहरण हुआ उसी दिन वह देवघर से अपने घर आया था और खाना खाने के बाद घर के बरामदे में अकेले सो रहा था। अपहरण के बाद संजीत के पिता जय ईश्वर साह ने 28 अगस्त को बरुराज थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
जय ईश्वर साह के अनुसार विगत सात वर्ष से पड़ोसी से उनका जमीन विवाद चल रहा था। इसे लेकर दोनों पक्षों में कई बार झड़प भी हो चुकी है। लेकिन किसी ने ऐसा भी नहीं सोचा था कि आपसी विवाद में इस होनहार युवक की वीभत्स हत्या भी हो जायेगी। थानाध्यक्ष राजकुमार के अनुसार यह नृशंश हत्या है और संजीत की हत्या चाकू से गोदकर की गई है। मृतक के पूरे शरीर पर जख्म के निशान पाये गये हैं। शव एकदम काला पड़ा हुआ है, जैसा कि तेजाब डालने के बाद होता है।
याद आया सीवान का चर्चित तेजाब कांड
बता दें कि जिस तरह से संजीत की हत्या की गई है ठीक इसी तरह तेजाब से नहलाकर सीवान के व्यवसायी चंद्रेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों की हत्या शहाबुद्दीन के गुर्गों ने 16 अगस्त, 2004 को कर दी थी। शहाबुद्दीन के गुर्गों ने सतीश और उसके भाई की हत्या तेजाब डालकर कर दी थी। उसके बाद दोनों लाशोें को टुकड़े-टुकड़े कर के बोरे में भरकर फेंक दिया गया था। घटना के प्रत्यक्षदर्शी राजीव की हत्या भी 16 जून, 2014 को गोली मारकर कर दी गई थी। उस दिन राजीव की शादी के सिर्फ 17 दिन बीते थे। इसके बाद दिसंबर, 2020 में चंदा बाबू की भी मृत्यु हो गई।
थम नहीं रहा है तेजाब का मामला
संजीत की हत्या ने एक बार फिर बिहार में जंगलराज की यादें ताजा कर दी हैं। बता दें कि इसी तरह तेजाब की घटनाओं के कारण बिहार में सरकारें बनती-बिगड़ती रही हैं। आपको याद होगा 1979-80 में भागलपुर में बहुचर्चित ‘अखफोड़वा कांड’ हुआ था । इसमें 33 अपराधियों की आँखों में तेजाब डालकर उन्हें अंधा बना दिया गया था। इसी कांड पर बिहार के ही रहने वाले फ़िल्म निर्देशक प्रकाश झा ने ‘गंगाजल’ नाम की एक फिल्म भी बनाई थी। इसी ‘अखफोड़वा कांड’ को मुद्दा बनाकर लालू प्रसाद ने 1990 में जनता दल की सरकार बनायी थी। उसके बाद वर्ष 2004 में सीवान के तेजाब कांड ने लालू की सरकार गिराने का काम किया था। 2005 में नीतीश कुमार और भाजपा ने बिगड़ती कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर ही चुनाव लड़ा था और बिहार के लोगों ने कानून व्यवस्था ठीक करने के नाम पर ही सत्ता सौंपी थी । लेकिन अब एक बार फिर से नीतीश कुमार उसी राजद के साथ जुड़ गए हैं, जिसे जंगलराज का प्रतीक माना जाता है।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि ‘सुशासन’ बाबू अब राज्य में बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने में सक्षम नहीं हैं इसलिए उन्हें अविलंब त्याग-पत्र दे देना चाहिए। बिहार विधान परिषद् में प्रतिपक्ष के नेता सम्राट चौधरी के अनुसार मुख्यमंत्री इन घटनाओं के प्रति बिल्कुल गंभीर नहीं हैं। वर्ष 2005 से लगातार गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहा है। उनके सबसे प्रिय अधिकारी इस विभाग के प्रमुख बने रहे हैं। फिर भी बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार नही हो पाया है। सीवान तेजाब कांड में शहाबुद्दीन को जेल भेजवाकर उन्होंने सुशासन बाबू की छवि तो बना ली थी। लेकिन अब उनकी यह छवि भी समाप्त हो चुकी है। बिहार का यही स्थिति रही तो बढ़ते अपराध के कारण ही उनकी सत्ता से अंतिम विदाई भी हो जायेगी।
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