दिल्ली प्रांत ने समाज उपयोगी युवा शक्ति (सुयश) नाम से एक प्रकल्प शुरू किया है। इसका उद्देश्य दिल्ली की अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं को जोड़कर उनके कार्यों को व्यापक मंच देना है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत ने समाज उपयोगी युवा शक्ति (सुयश) नाम से एक प्रकल्प शुरू किया है। इसका उद्देश्य दिल्ली की अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं को जोड़कर उनके कार्यों को व्यापक मंच देना है। इस दृष्टि से गत 21 अगस्त को नई दिल्ली के डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में एक कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर उपस्थित कार्यकर्ताओं को रा. स्व. संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का मार्गदर्शन मिला। कार्यक्रम में दिल्ली में कार्य करने वाले स्वयंसेवी संगठनों के 707 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें से लगभग 30 प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव बताए। ‘नया रास्ता’ की संचालक रेणु सिंह ने बताया कि वे 10 वर्ष से पुनर्वास बस्ती में महिला सशक्तिकरण और बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रही हैं। ‘युवा शक्ति’ के मोहित कुमार ने बताया कि दिल्ली में हुए दंगों के बाद उनके क्षेत्र में हिंदुओं के पलायन की समस्या खड़ी हो गई थी, जिसे उनके संगठन ने रोकने का काम किया। ‘छोटी सी आशा’ की संचालिका सुशीला ओम ने बताया कि उनके संगठन ने कोरोना काल में लोगों को अस्पताल पहुंचाने से लेकर दवाइयां और भोजन प्रदान करने का काम किया। पंडित हरिओम ने बताया कि उनका संगठन योग, संगीत, हवन जैसी भारतीय परंपराओं के प्रसार के लिए दिल्ली के गरीब युवाओं के बीच काम कर रहा है। ‘ज्वाइंट-टू-गेदर’ के अमित कुमार ने बताया कि उनका संगठन गरीब मजदूरों के बच्चों का विद्यालयों में नामांकन कराने के साथ-साथ उनके लिए पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराता है। ‘रसोई आन व्हील’ की प्रमुख मोनिका बधवार ने कहा कि उनका संगठन गरीब और अभावग्रस्त बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए कार्यरत है। ‘यूनाइटेड सिख’ के जसपाल सिंह ने बताया कि उनका संगठन भारत सहित कई देशों में सेवा का काम कर रहा है। ‘राज बाला कोचिंग’ की सविता ने बताया कि उनका संस्थान महिलाओं और बच्चों को नि:शुल्क कंप्यूटर शिक्षा दे रहा है। सुनील ढेडा ने बताया कि उनकी संस्था बीमार गोवंश के लिए एंबुलेंस सेवा चलाती है और अब तक 2000 गोवंश की जान बचाई गई है।
सुयश का उद्देश्य दिल्ली की अनेक स्वयंसेवी
संस्थाओं को जोड़कर उनके कार्यों
को व्यापक मंच देना है।
कार्यक्रम में दिल्ली में कार्य करने वाले
स्वयंसेवी संगठनों के 707 प्रतिनिधियों
ने भाग लिया। इनमें से लगभग
30 प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव बताए।
कार्यक्रम में श्री मोहनराव भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब हमारे अंत:करण में अपनत्व का भाव होगा, तभी हम दूसरों की सेवा कर पाएंगे। समाज सेवा के भाव से मानवता का वैभव बढ़ता है और संपूर्ण समाज में सेवा का भाव जाग्रत होता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यों से मानवता का कल्याण तो होता ही है, साथ ही राष्ट्र को भी गति मिलती है। उन्होंने कहा कि सेवा का भाव ‘मैंने किया है’ में नहीं है, बल्कि ‘समाज के लिए किया है, अपनों के लिए किया है, राष्ट्र के लिए किया है’, इस तरह का सेवा का भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा का कार्य ईश्वर का कार्य है। इस भाव से जब हम सेवा कार्य करते हैं तो सभी कार्य स्वयं पूर्ण होने लगते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आपके कार्यों को राष्ट्रीय पटल पर ले जाएगा और आपकी सभी गतिविधियों में सहयोग करेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के कार्यवाह श्री भारतभूषण ने कहा कि समाज सेवा के लिए हमें सरकार या प्रशासन की तरफ मुंह नहीं ताकना चाहिए, बल्कि स्वयं पहल करके लोगों को राहत पहुंचाने का काम करना चाहिए।
भगवान स्वयं सेवा करने वालों को बल देते हैं। संत तुकाराम के संदेशों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वंचितों, अभावग्रस्तों और पीड़ितों की सेवा करने वाला साधु कहलाता है। उन्होंने कहा कि आप जिस भी क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उसमें तमाम अभावों और अड़चनों के उपरांत भी आपका सेवा भाव समाज में प्रकाश फैला रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आपके कार्यों को राष्ट्रीय पटल पर ले जाएगा और आपकी सभी गतिविधियों में सहयोग करेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के कार्यवाह श्री भारतभूषण ने कहा कि समाज सेवा के लिए हमें सरकार या प्रशासन की तरफ मुंह नहीं ताकना चाहिए, बल्कि स्वयं पहल करके लोगों को राहत पहुंचाने का काम करना चाहिए। दिल्ली प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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