राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में एक सरकारी कर्मचारी को महादेव के कुंड में मौजमस्ती करने गए मुस्लिम युवकों की मौत को लेकर फेसबुक पोस्ट करना भारी पड़ गया। सरकारी कर्मचारी का परिवार विभाग की तरफ से फेसबुक पोस्ट पर की गई पक्षपातपूर्ण कार्रवाई से पूरी तरह तनाव में है। वह इसे मुस्लिम को खुश करने के लिए द्वेषतापूर्ण की गई कार्रवाई बता रहे हैं।
दरअसल, 29 जुलाई को सवाई माधोपुर के रणथंभौर रोड पर स्थित अमरेश्वर महादेव मंदिर के कुंड में पिकनिक मनाने आए जयपुर के दो मुस्लिम युवक तारिक और आदिल की डूबने से मौत हो गयी थी। युवकों की मौत का समाचार फेसबुक पर वायरल हुआ, जिस पर 56 वर्षीय कान सिंह जो की समग्र शिक्षा अभियान (समसा), शिक्षा विभाग, सवाई माधोपुर में वरिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने दो कमेंट किए। कान सिंह ने पहले कमेंट में लिखा, ‘वहां विधर्मियों का क्या काम”, जबकि दूसरे कमेंट में उन्होंने सरकार से मांग करते हुए लिखा, ‘हम सरकार से प्रशासन से मांग करते हैं विधर्मी वहां भोले के स्थान पर अमिष भोजन व मदिरापान कर स्थान की मर्यादा, पवित्रता भंग करते हैं, इनका प्रवेश वर्जित होना चाहिए, यही हाल झोझेष्वर का है।’
कान सिंह की पोस्ट को लेकर सवाई माधोपुर के विधायक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार दानिश अबरार ने जिला कलेक्टर सुरेश ओला एवं जिला एसपी को पत्र लिख कर कान सिंह के खिलाफ धार्मिक द्वेषता फैलाने का आरोप लगाते हुए शिकायत की तथा कान सिंह को बर्खास्त कर इनके फिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने कान सिंह को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया और सिर्फ निलंबन ही नहीं, विधायक की शिकायत पर जिला पुलिस ने कान सिंह के ऊपर भारतीय दंड सहिंता के तहत धारा 108 एवं 151 में मुकदमा भी दर्ज कर लिया। फिलहाल कान सिंह जमानत पर है और शिक्षा विभाग मामले की जांच कर रहा है।
कान सिंह के सस्पेंशन और उन पर दर्ज मुकदमे को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों में आक्रोश देखने को मिला। ट्विटर यूजर सुजीत स्वामी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सवाई माधोपुर विधायक दानिश अबरार, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया एवं अन्य को टैग करते हुए लिखा, ‘अशोक गहलोत जी की सरकार में 56 वर्षीय कान सिंह जी को सिर्फ फेसबुक पोस्ट के अपराध में निलंबित कर दिया, क्योंकि शिकायत दानिश अबरार जी ने की थी। कान सिंह जी के पक्ष में कोई आवाज नहीं उठी, वो एक महीने से तनाव में हैं।’
@ashokgehlot51 ji की सरकार में 56 वर्षीय कानसिंह जी को सिर्फ फेसबुक पोस्ट के अपराध में निलंबित कर दिया, क्योंकि शिकायत @danishabrar2016 जी ने की थी। कानसिंह जी के पक्ष में कोई आवाज नहीं उठी,वो 1 महीने से तनाव में है।@DrSatishPoonia @Rajendra4BJP@DrBDKallaINC @dmsawaimadhopur pic.twitter.com/6bV1GA8Po8
— Sujeet Swami️ (@shibbu87) August 28, 2022
कान सिंह का परिवार इसी बात को लेकर आज तक तनाव में है। कान सिंह के 25 वर्षीय पुत्र कुणाल का कहना है, ‘पिताजी अब किसी से बात करने में भी संकोच करते हैं। उन्होंने किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं लिखा था, बल्कि विधर्मी लिखा था, जो किसी भी समुदाय का हो सकता है। महादेव के उस कुंड में मांस-मदिरा का सेवन करके लोग आते हैं और इसी वजह से नशे में उनकी मृत्यु हो जाती है जो दुखद है। इसलिए विधर्मी शब्द का प्रयोग किया था, चूंकि पिताजी हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार आदि कार्यों में ज्यादा रूचि लेते हैं, इसलिए विधायक दानिश अबरार ने हिन्दू-मुस्लिम की दृष्टि से देखते हुए मामला दर्ज करवा दिया और प्रशासन ने उक्त मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया। पिताजी की लगभग चार वर्ष की नौकरी शेष है, लेकिन उससे पहले उन्हें बेवजह निलंबित कर रिकॉर्ड खराब किया गया है, ताकि उनकी सेवानिवृति में अड़चन पैदा हो सके। इस वजह से वो ज्यादा तनाव में हैं।’
कान सिंह के मामले में सवाई माधोपुर से सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने कहा, ‘कान सिंह ने कुछ गलत नहीं कहा, उन्होंने तो किसी भी धर्म का नाम नहीं लिया, लेकिन तुष्टिकरण के नाम पर इस सरकार में हिन्दुओं के साथ अत्याचार की सारी सीमाएं लांघ दी गयी हैं। समुदाय विशेष को खुश करने के लिए यह सरकार इस हद तक नीचे गिर चुकी है कि सवाई माधोपुर में इनके पार्षद, विधायक द्वारा सरकारी शौचालयों को तुड़वा कर बनाये गए अवैध कब्जों पर भी आंखे मूंद कर अनदेखा कर रही है। क्षेत्र के विधायक दानिश अबरार मुख्यमंत्री सलाहकार हैं, इस वजह से प्रशासन उनके सामने गौण साबित हो रहा है। हिन्दुओं का शोषण हो रहा है। कान सिंह का निलंबन एवं उन पर आपराधिक मुकदमा हिन्दुओं को डराने और मुस्लिमों को खुश करने के लिए किया गया है, अभिव्यक्ति
की आज़ादी का गला घोटा जा रहा है राजस्थान की कांग्रेस सरकार में।’
टिप्पणियाँ