चंद्रभान
शूजाबाद, पाकिस्तान
भारत विभाजन के दौरान हमारे साथ जो हुआ, वह बहुत ही डरावना है। बंटवारे के वक्त मेरी उम्र 16 साल थी। चारों ओर मार-काट हो रही थी। हमारे गांव से करीब छह मील दूर तरेगने नाम से एक गांव है। वहां एक दिन मुसलमानों ने हिंदुओं पर हमला कर दिया। सभी हिंदू छत पर चढ़ गए और वहां से ईंट-पत्थर चलाकर मुसलमानों का मुकाबला करने लगे।
जब हिंदू भारी पड़ने लगे तो कुछ मुसलमान सिर पर कुरान रखकर सामने आए और बोले, ‘कसम कुरान की अब तक जो हुआ सो हुआ, आगे कुछ नहीं होगा। नीचे उतरो बातचीत करके मसला हल कर लेते हैं।’ जैसे ही कुछ लोग नीचे आए वैसे ही मुसलमानों ने कुरान को रखकर तलवार से उनकी गर्दन काट दी।
एक दूसरी घटना रामपुर में हुई। वह भी मेरे गांव के पास ही है। वहां डॉ. रूगनाथ जावा बड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उनका बड़ा घर था और घर के एक हिस्से में बहुत बड़ा हवन कुंड था। उसमें प्रतिदिन हवन होता था और उसमें गांव के लोग भी भाग लेते थे। एक सुबह उनके घर में हवन हो रहा था, तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। वे हवन छोड़कर दरवाजे पर आए तो देखा कि कुछ मुसलमान कुरान के साथ खड़े हैं।
उन मुसलमानों ने कहा, ‘देखो हाथ में कुरान है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। दरवाजा खोलो आपस में बैठकर बात करेंगे।’ उन्होंने जैसे ही दरवाजा खोला तो उनका सिर तन से अलग कर दिया गया। हवन के कारण घर में 20-25 पुरुष थे। कुछ उनका मुकाबला करने लगे और कुछ ने फटाफट दरवाजा बंद कर दिया। महिलाओं और लड़कियों ने हवन कुंड में कूद कर जान दे दी।
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