राष्ट्र की संस्कृति, इतिहास और स्वाधीनता संग्राम को समर्पित अमृत महोत्सव को गुलाबी नगर जयपुर ने अनूठे रूप से मनाकर स्वराज-75 को स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कर दिया। इस अवसर पर जयपुर में तीन दिनों तक दीपावली मनाई गई। जयपुर के सभी सामाजिक-व्यावसायिक संगठनों और आम जनता ने मिलकर कार्यक्रम को राजनीतिक दलों की परिधि से ऊपर उठाकर देशभक्ति का ज्वार पैदा कर दिया। राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक कार में साथ बैठकर आयोजन स्थल रामनिवास बाग पहुंचे। मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल, पूर्व ओलम्पियन एवं पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री कर्नल राज्यवर्द्धन राठौड़ और पैरा ओलम्पिक चैम्पियन देवेंद्र झाझड़िया उपस्थित रहे। यह पहला अवसर था, जब तीनों जीवित परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह, कैप्टन योगेंद्र यादव और सूबेदार मेजर संजय कुमार एक साथ किसी सार्वजनिक मंच पर बैठे। सर्जिकल स्ट्राइक के नायक अभिनंदन वर्धमान पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए। भारत के प्रथम सीडीएस रहे जनरल बिपिन रावत का सम्मान प्राप्त करने के लिए उनकी पुत्री कृतिका रावत पहुंचीं। इन्हें भारत अमृत अलंकरण के साथ पांच-पांच लाख रुपए की सम्मान निधि भेंट की गई।
1857 से 1947 तक के अनेक प्रमुख राष्ट्र नेताओं-क्रांतिकारियों के परिजनों को एक मंच पर देखना किसी स्वप्न जैसा लग सकता है, लेकिन जयपुर ने इसे सच कर दिखाया। कश्मीर में कबायली आक्रमण से लेकर पुलवामा हमले में बलिदान हुए राजस्थान के वीर सपूतों के परिवारों की मौजूदगी का दृश्य अभूतपूर्व और अविस्मरणीय रहा। अमृत महोत्सव को अविस्मरणीय बनाने के लिए जनता की ओर से भारत अमृत महोत्सव समिति : स्वराज -75 का गठन किया गया। वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा इसके संयोजक बनाए गए। जयपुर में भाजपा और कांग्रेस द्वारा शासित दोनों नगर निगमों की एकजुटता और जनता की सक्रियता उल्लेखनीय रही। इन सबका परिणाम यह हुआ कि स्वतंत्रता दिवस के पहले से ही पूरा जयपुर विशेषकर घर, संस्थान और सड़कें तिरंगामय दिखाई देने लगे। 15 अगस्त की सुबह देश के कोने-कोने से पहुंचे क्रांतिकारी परिवारों के नेतृत्व में स्वराज यात्रा निकाली गई तो सड़कों पर राष्ट्रभक्ति का ज्वार उमड़ पड़ा। भारत माता की जय और वंदेमातरम् के नारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा। युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों सभी ने आगे बढ़कर सहभागिता की। दोपहर से ही अल्बर्ट हॉल की तरफ विशाल जनसमूह जुटने लगा। शाम 5 बजे से शुरू होने जा रहे समारोह के लिए इंतजार करना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा था।
पद्मश्री कैलाश खेर और कैलासा बैंड की प्रस्तुति भी युवाओं के लिए विशेष आकर्षण थी। लोग अपने मित्रों और परिजनों के साथ ऐतिहासिक समारोह के साक्षी बनने के लिए उत्साह के साथ बढ़ते दिखाई दे रहे थे। आने वालों की संख्या इतनी अधिक थी कि समारोह स्थल की ओर जाने वाले अनेक रास्तों को कई घंटे पहले ही बंद कर देना पड़ा। इस अवसर पर डेढ़ लाख से अधिक नागरिकों की उपस्थिति में तीनों परमवीर चक्र विजेताओं सहित जनरल बिपिन रावत (शहीदोपरांत) और ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान को भारत अमृत अलंकरण से सम्मानित किया गया। अपने महावीरों को सम्मानित होते देख देशभक्त जयपुर की जनता ने भारत माता की जय, वंदेमातरम् के नारों से आसमान गुंजा दिया। लघु काशी में महावीरों के विहंगम समागम को इंद्र देव ने भी जलाभिषेक करके अपना आशीर्वाद दिया। उस दौरान एक भी व्यक्ति अपनी जगह से नहीं हटा; सभी बारिश में भीगते हुए राष्ट्र गौरव के सम्मान के साक्षी बने रहे।
जब क्रांतिकारी-बलिदानी परिवारों का परिचय कराया जाने लगा तो भारत का संपूर्ण स्वाधीनता संग्राम और उसके बाद का दौर चलचित्र की तरह आंखों के सामने महसूस किया जा सकता था। महारानी लक्ष्मी बाई के वंशज योगेश झांसीवाले, मंगल पांडे के प्रपौत्र रघुनाथ पांडे, तात्या टोपे के प्रपौत्र सुभाष टोपे, बहादुरशाह जफर की वंशज समीना शोएब खान, बिरसा मुंडा के पौत्र सुखराम मुंडा, रामप्रसाद बिस्मिल के पौत्र राजबहादुर तोमर, अशफाकउल्ला खान के पौत्र अशफाकउल्ला खान, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी के प्रपौत्र सौरव लाहिड़ी, रामकृष्ण खत्री के पुत्र उदय खत्री, शचींद्रनाथ बक्शी की पौत्री नीता बक्शी, भगत सिंह के भतीजे किरणजीत सिंह, सुखदेव थापर के पौत्र अनुज थापर, शिवराम हरि राजगुरु के लिए नीलेश शंभुश, बालगंगाधर तिलक के प्रपौत्र शैलेष तिलक, लाला लाजपत राय के परिजन वजीरचंद गुप्ता, नारायण दामोदर सावरकर के पौत्र सात्यकि सावरकर, महावीर सिंह के पौत्र असीम राठौड़, बालाजी रायपुरकर के परिवार से प्रशांत रायपुरकर, उधम सिंह के दौहित्र उजागर सिंह, पं. अर्जुनलाल सेठी की पौत्रवधू डॉ. कोकिला सेठी, केसरी सिंह बारहठ के प्रपौत्र विशाल बारहठ, ठाकुर कुशल सिंह के वंशज दुर्गा प्रताप सिंह, गोविंद गुरु के प्रपौत्र करण सिंह, दुर्गा सिंह के वंशज विजय सिंह सिसोदिया, जलियांवाला बाग के बलिदानी परिवारों में खुशीराम के पौत्र टेकचंद, लाला हरिराम बहल के पौत्र महेश बहल, रामकिशन के पौत्र ज्ञानचंद, जलियांवाला बाग के संरक्षक सुकुमार मुखर्जी, राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी कालिदास स्वामी, हुकुमचंद सैनी, रामजी लाल यादव, ओमप्रकाश पांडे, उमराव सिंह, रामू सैनी, परमवीर चक्र विजेता पीरू सिंह के पुत्र ओमप्रकाश सिंह, परमवीर चक्र विजेता शैतान सिंह के पुत्र नरपत सिंह, परमवीर चक्र विजेता होशियार सिंह के पुत्र विजय कुमार दहिया, पुलवामा बलिदानी भागीरथ सिंह के चाचा जरदान सिंह, पुलवामा बलिदानी हेमराज मीणा की पत्नी मधु मीणा, पुलवामा बलिदानी जीतराम गुर्जर के भाई विक्रम गुर्जर, पुलवामा बलिदानी रोहिताश लांबा के भाई जितेंद्र लांबा, पुलवामा बलिदानी नारायण गुर्जर के परिजन, बलिदानी अमित भारद्वाज के पिता ओपी शर्मा, बलिदानी अभय पारीक की बहन शिल्पा पारीक, बलिदानी हिम्मत सिंह के पिता किशोर सिंह, बलिदानी योगेश अग्रवाल के पिता अजय अग्रवाल, बलिदानी जगदीश यादव की धर्मपत्नी प्रेम देवी, गाड़िया लोहार विकास संघ समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालूराम चौहान (फौजी) और क्रांतिकारी परिवारों को आपस में जोड़ने वाले विजय सागर को अमृत महोत्सव सम्मान प्रदान किया गया।
इस अद्भुत समारोह की सूचना पाकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पुत्री अनिता बोस भी भाव विभोर हो उठीं। उन्होंने जर्मनी से जारी अपने वीडियो संदेश में जयपुरवासियों को शुभकामनाएं दीं और स्वराज 75 को ऐतिहासिक पहल बताते हुए आयोजकों को साधुवाद दिया। उन्होंने इस बात पर खेद भी जताया कि स्वास्थ्य कारणों के चलते वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकीं। यह जयपुरवासियों के जज्बे और समर्पण का सुखद क्षण था। वहीं, कार्यक्रम स्थल स्वामी विवेकानंद, लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, केशव बलिराम हेडगेवार, भीमराव अंबेडकर, मदनमोहन मालवीय, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, सरदार पटेल के विशाल कट आउट और तिरंगों से सजा हुआ था। कार्यक्रम स्थल के एक किलोमीटर लंबे क्षेत्र में विभिन्न महापुरुषों के नाम पर ब्लॉक बनाकर बैठने की व्यवस्था की गई और सभी पांच द्वारों को जयपुर के बलिदानियों का नाम दिया गया था। कार्यक्रम से पूर्व वंदेमातरम का गान हुआ। जिस तरह सभी सामाजिक-व्यापारिक संगठनों और गणमान्य नागरिकों ने एकजुट होकर स्वराज 75 समारोह की सफलता के लिए काम किया तथा जनता ने राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर सकारात्मकता का संदेश दिया, वह पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय पहल है। अमृत महोत्सव की भावना को मूर्त रूप देने में जयपुर ने वास्तव में मिसाल कायम की। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के साक्षी क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम और सेना के अनेक पूर्व अफसर भी बने।
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