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तहरीके तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी और पाकिस्तान की सरकार आपसी बातचीत में शायद किसी नतीजे पर पहुंच गए हैं जिसके तहत टीटीपी स्वात वैली से रवानगी डालने लगी है। आतंकवादी गुट टीटीपी अभी तक खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की स्वात घाटी में डेरा डाले बैठी थी और आएदिन सरकार को आतंकी हमलों की धमकियां दे रही थी। इसकी धमकियों ने इस्लामाबाद को सांसत में डाला हुआ था। तहरीक के आतंकवादियों ने कुछ महीने पहले स्वात जिले में मट्टा की पहाड़ियों को अपने कब्जे में ले लिया था। इससे कई पड़ोसी जिलों में दहशत फैल गई थी।
पाकिस्तान के प्रसिद्ध दैनिक द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट है कि जिस दिन तालिबान के घाटी में आने का पता चला था, पाकिस्तानी अवाम में एक गुस्से की लहर पैदा हुई थी। स्वात वैली कभी पर्यटन के लिए मशहूर थी, अब लोग उस तरफ मुंह करने से भी कतराने लगे थे। इससे पर्यटन उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा था।
खैबर पख्तूनख्वा की और इस्लामाबाद की सरकारें अब तक इस मुद्दे पर मुंह सिले हुए थीं। लेकिन जब मामला हद से बढ़ने लगा तो पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बयान दिया था कि स्वात में तालिबान आतंकियों की मौजूदगी को लेकर पाकिस्तान सरकार अफगान सरकार से वार्ता कर रही है। पाकिस्तान के एक बड़े अफसर ने बताया है कि तालिबान ने स्वात के स्थानीय लोगों की अपील मानते हुए बिना खूनखराबे के स्वात को छोड़कर जाने के लिए तैयार हो गए। ताजा जानकारी के अनुसार, 20 अगस्त की दोपहर बाद से टीटीपी ने स्वात से निकलना शुरू कर दिया है।
अखबार के अनुसार, इस्लामाबाद ने स्वात के लिए अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं। इसके पीछे सोच यही है कि कहीं तालिबानी किसी जगह हमले न करने शुरू कर दें। फौज को स्वात के रास्ते में कई स्थानों पर तैनात किया गया है। लेकिन अभी तक स्वात से किसी हिंसक घटना की कोई खबर नहीं आई है।
दरअसल, अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से ही पाकिस्तान अफगानिस्तान की तरफ से सीमा पार से लगातार आतंकी हमले झेल रहा था। इससे दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था। इसी दिक्कत को दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच 2021 के अक्तूबर माह में बातचीत शुरू हुई थी। अफगान तालिबान की मध्यस्थता में हुई बातचीत की ही वजह से नवंबर 2021 में एक महीने का संघर्शविराम हुआ था। लेकिन ज्यादा दिन नहीं बीते थे कि मतभेद एक बार फिर उभर आए थे।
दोनों पक्षों के बीच समझौते के मुख्य बिन्दु क्या रहे इस पर फिलहाल पाकिस्तान की ओर से कोई वक्तव्य नहीं आया है। लेकिन टीटीपी की मुख्य मांगें दो थीं, एक, स्वात के आसपास फौज की तादाद कम की जाए और दो, जेलों में बंद हजारों टीटीपी आतंकियों को छोड़ा जाए। इन मुद्दों पर आखिरी बात क्या हुई, यह जल्दी ही पता चल जाएगा।
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