ओडिशा के संबलपुर में श्रीनिवास अग्रवाल की स्मृति में राधा श्रीनिवास ट्रस्ट की ओर से स्मृति सभा आयोजित की गई, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व सांसद तरुण विजय शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने धर्म सशक्तिकरण के बल पर राष्ट्रीय विकास संभव का आह्वान करते हुए कहा कि भारत की आत्मा तो धर्म में बसती रही है। इसलिए इस देश में किसी पंथ के निरादर की बात कदापि स्वीकार नहीं है। यहां तो धर्म रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्यागने वाले बलिदानी व्यक्ति को जनमानस में आदर्श के रूप में प्रतिष्ठित कर उनकी पूजा की जाती है। कुछ इसी प्रकार व्यक्तित्व के धनी रहे श्रीनिवास अग्रवाल की तृतीय पुण्यतिथि के अवसर पर हम सब आज यहां एकत्रित हुए हैं। श्री विजय ने कहा कि किसी व्यक्ति के मन में दूसरों के प्रति संवेदना रहने पर ही वह समाज सेवा के लिए अपना घर छोड़कर आगे आ सकता है और इस पैमाने पर खरा उतरते हुए उन्होंने समाज सेवा का बीड़ा उठाया, जिसके लिए आज भी वे चिर स्मरणीय हैं।
इस अवसर पर ओडिशा सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री नव किशोर दास ने श्रीनिवास अग्रवाल के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें अग्रवाल जी से प्रत्यक्ष मिलने का मौका नहीं मिला, लेकिन उनके बारे में सुनी बातों से वे काफी प्रभावित रहे हैं। वहीं, रांची स्थित वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा व विकास में वनवासियों की भूमिका प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में फिलहाल 12 करोड़ से अधिक वनवासी हैं, जो समाज के विभिन्न क्षेत्र व भारतीय सेना में भी अपनी महती भागीदारी निभाते हैं, क्योंकि उनके हृदय में राष्ट्रीयता की भावना भरपूर निहित है। उन्होंने कहा कि वर्तमान ही नहीं, रामायण व महाभारत सहित मुगलों व अंग्रेजों के शासन के दौरान उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती आई है।
इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पश्चिम प्रांत संघ चालक विपिन नंद ने कहा कि संघ के सामाजिक कार्य सहित तत्कालीन जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में आम चुनाव के दौरान खड़े होकर अग्रवाल जी ने अपनी सक्रियता का परिचय दिया था और अपनी अंतिम सांस तक वे वनवासी कल्याण आश्रम के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे। सभा के प्रारंभ में पूर्व मंत्री प्रसन्न कुमार आचार्य ने श्रीनिवास अग्रवाल को अपना राजनीतिक गुरु बताते हुए उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की और कहा कि 1975 के दौरान घोषित आपातकाल के समय उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी कर ली थी। तब राजनीति में उनके लिए पदार्पण का दौर था। तभी एक गुरुजन के रूप में अग्रवाल जी ने उन्हें सलाह दी कि गिरफ्तार करने के लिए पुलिस आपको खोज रही है, इसलिए आंदोलन को सक्रिय बनाए रखने के लिए किसी प्रकार से भी आपको पुलिस के हाथों से दूर रहना है। हालांकि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें अग्रवाल जी के साथ जेल में रहना पड़ा और आपातकाल की समाप्ति के बाद ही उन्हें जेल से मुक्ति मिल पाई।
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