पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में इन दिनों लोगों में गुस्सा उबल रहा है। उन्हें गुस्सा है पाकिस्तान सरकार के हाल के संविधान के 15वें संशोधन से। यही वजह है कि आजकल पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में लोग धरना प्रदर्षन कर रहे हैं। इनकी एक ही मांग है कि यह संशोधन निरस्त होना चाहिए नहीं तो उनका विरोध-धरना जारी रहेगा।
जम्मू कश्मीर के पाकिस्तानी कब्जे वाले इलाके में पड़ोसी इस्लामी देश की सरकार ने पर्यटन प्राधिकरण अधिनियम के साथ ही संविधान में 15वें संशोधन किया है। वहां के नागरिक मानते हैं कि इसके जरिए पाकिस्तान पीओजेके पर कब्जा करना चाहता है। यही वजह है कि यहां कोटली जिले की तहसील चारहोई विरोध प्रदर्शन का नया केंद्र बनकर उभरी है।
कोटली ही नहीं, पीओजेके में मुजफ्फराबाद, बाग, चकेवरी, ताओबत और इफ्तिखाराबाद आदि अनेक हिस्सों में लोग सड़कों पर उतरे हैं। इसी मुद्दे पर पिछले कुछ दिनों रावलकोट, मुजफ्फराबाद, नीलम घाटी तथा आसपास के क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया था।
इस विरोध प्रदर्षन में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज, पीपीपी, जेईआई, इस्लामी जमीयते-तालाबा सहित अनेक छात्र संगठन और व्यापारी वर्ग शामिल हैं। इन सभी ने संविधान के 15वें संशोधन को कश्मीर को अस्थायी तौर पर बांटने का षड्यंत्र बताया है। विरोध करने वालों का साफ कहना है कि जब तक यह संशोधन वापस नहीं हो जाता तब तक प्रदर्शन जारी रहेंगे।
इतना ही नहीं, विरोध प्रदर्शन करने वाले तमाम नेताओं का आरोप है कि पाकिस्तान की सरकार तथा विपक्षी दल, दोनों साथ मिलकर स्थानीय निकाय चुनावों को टालने की कोशिश कर रहे हैं। इन सभी ने यहां के सांसदों पर भी आरोप लगाया है कि ये यहां के अवाम की ताकत को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पीओजेके पर भारत के स्पष्ट रुख और संसद के प्रस्ताव को देखते हुए, पड़ोसी पाकिस्तान जैसे भी हो, पीओजेके पर कब्जा करना चाहता है। यही वजह है कि पीओजेके के स्थानीय नेताओं ने इस 15वें संशोधन को सिरे से खारिज कर दिया है।
प्रदर्शनकारी बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी का भी तीखा विरोध कर रहे हैं। उन्होंने घोषणा की है कि वे स्थानीय निकाय चुनावों को टालने के प्रयासों को कामयाब नहीं होने देंगे। उनका कहना है कि अगर निकाय चुनावों को टाला गया तो वे सब पीओजेके की सरकार के विरुद्ध एक बड़ा आंदोलन करेंगे। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ी तो वे यहां के सभी विधायकों का भी बहिष्कार करेंगे।
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