इंद्रसेन ढींगरा
मरदान, पाकिस्तान
हमारा पूरा परिवार विभाजन के बाद अक्तूबर, 1947 तक पाकिस्तान में ही रहा। इलाके के हालात ऐसे थे कि रात होने के बाद यही लगता था कि सुबह तक कोई जिंदा बचेगा या नहीं।
मेरे इलाके में सबसे ज्यादा सिखों के साथ ज्यादती हुई। हुआ यह था कि मास्टर तारा सिंह ने लाहौर में जिहादियों को आड़े हाथों लेते हुए एक भाषण दिया था, इससे मुसलमान भड़क गए। हिंदू या सिख जहां मिलते उन्हें वहीं गोली मार दी जाती।
इसी डर से हमारे इलाके के हिंदू और सिख सब कुछ छोड़-छाड़कर मरदान पहुंचे। हमें यहां दो महीने शिविर में रहना पड़ा। वहां से निकले तो जान बचाते हुए भारत आए।
आज जब उन दिनों को याद करता हूं तो सोच में पड़ जाता हूं कि आखिर हमारी क्या गलती थी? हम हिन्दू-सिखों को सिर्फ इसलिए मार कर भगाया गया कि हम इस्लाम को नहीं मानते थे।
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