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दमदार का सहारा

कोरोना से संभल रही वैश्विक अर्थव्यवस्था रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतों के चलते सहमी हुई। इसकी छाया शेयर बाजार पर भी। ऐसे में ब्लूचिप कंपनियों पर भरोसा करना बेहतर, मान रहे हैं विशेषज्ञ

पाञ्चजन्य ब्यूरो by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Jul 29, 2022, 10:12 pm IST
in भारत, बिजनेस
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दुनिया भर के शेयर बाजारों में शंका का दौर है। इसका कारण है रूस और यूके्रेन का युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतें। भारतीय शेयर सूचकांक भी हरे निशान में कम और लाल में ज्यादा रह रहा है।

आशंका में गिर जाने और उम्मीद में चढ़ जाने वाले दुनिया भर के शेयर बाजारों में शंका का दौर है। इसका कारण है रूस और यूके्रेन का युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतें। भारतीय शेयर सूचकांक भी हरे निशान में कम और लाल में ज्यादा रह रहा है। आशंका जताई जा रही है कि अगर वैश्विक संकट बना रहा तो शेयर बाजार और गिर सकता है। कुछ लोग बाजार की चाल में मंदी की आहट तक देखने लगे हैं। स्वाभाविक है, ऐसे में निवेशकों के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि क्या करें।

सबसे पहले तो यह बात समझने की है कि शेयर बाजार की स्वाभाविक प्रकृति बढ़ने की होती है, घटने की नहीं। यानी गिरना अस्थायी है, बढ़ना स्थायी। अभी जो गिरावट का दौर है, वह अस्थायी है और बाजार फिर से उठेगा और दौड़ेगा। बात बस इतनी-सी है कि वह समय कब आएगा। निवेशकों में सारी घबराहट इसी को लेकर है कि गिरने का दौर लंबा चला तो क्या होगा। चूंकि हमारा बाजार भी काफी हद तक बाहरी कारकों पर निर्भर है, इसलिए सबसे पहले कुछ बड़े देशों पर नजर डालें।

दुनिया का हाल
दुनिया अभी चीन के ‘कोरोना तोहफे’ की तासीर से बाहर आ ही रही थी कि यूके्रन संकट ने आ घेरा और इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर आने में दिक्कत हो रही है। रूस-यूक्रेन संकट के कारण तेल और खाद्य वस्तुओं के दाम महंगे हो गए हैं और यह विकास की गाड़ी को पीछे खींच रहा है। इसी वजह से कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती का दौर चल रहा है। अमेरिका में इस साल की पहली तिमाही के दौरान वास्तविक जीडीपी की वृद्धि नकारात्मक रूप से -1.5 प्रतिशत सालाना रही, जबकि पिछले साल की चौथी तिमाही में यह 6.9 प्रतिशत रही थी। ब्रिटेन की जीडीपी बढ़ने की रफ्तार भी घटी है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान वहां जीडीपी विकास दर 0.8 प्रतिशत रही, जबकि 2021-2022 की चौथी तिमाही के दौरान यह 1.3 प्रतिशत थी। इसके साथ ही दुनिया में बड़े आर्थिक समूह के तौर पर स्थापित यूरोपीय संघ की जीडीपी विकास दर 2022-23 की पहली तिमाही के दौरान 0.3 प्रतिशत रही, जो 2021-2022 की चौथी तिमाही के बराबर है। साफ है, दुनिया की अर्थव्यवस्था दबाव में है और लोगों के मन में भविष्य को लेकर डर है। भारत की स्थिति जरूर अच्छी है, लेकिन यहां शेयर बाजार में निवेश करने वालों में कुछ चिंताएं हैं।

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एलआईसी शेयर का भविष्य

एलआईसी के शेयर का भाव आईपीओ के स्तर से काफी नीचे ट्रेड कर रहा है और इसको लेकर खुदरा निवेशकों में खास तौर से चिंता है। इसमें मोटे तौर पर दो बातें समझने की है। एक, एलआईसी मार्केट लीडर है और अगर बैंकिंग क्षेत्र की कंपनी एसबीआई की बीमा इकाई के शेयर हजार रुपये के ऊपर हैं, तो भला एलआईसी का शेयर इससे काफी नीचे कैसे रह सकता है। दो, अगर आप दीर्घकालिक निवेशक हैं तो आपके लिए चिंता करने की कोई बात नहीं है। अगर आपने आनन-फानन मुनाफा कमाने के लिए शेयर खरीदा था तो फिर जरूर सोचने की बात है, क्योंकि इसके शेयर जितने नीचे चले गए हैं, वहां से संभलने और आईपीओ के स्तर तक आने में वक्त लगेगा। हो सकता है, साल भर भी लग जाए। ऐसे में किस स्तर पर आपको क्या करना चाहिए, इस बारे में अपने फंड मैनेजर से सलाह लेनी चाहिए। हां, जिन्होंने इसे लंबे समय के लिए खरीदा है, वे कम होते भाव के विभिन्न चरणों पर कुछ-कुछ शेयर खरीदकर अपना ऐवरेजिंग करते हुए शेयरों की संख्या बढ़ा भी सकते हैं। सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास निवेश करके कुछ साल के लिए भूल जाने लायक कितने पैसे हैं और आपके लक्ष्य क्या हैं।

भारत की स्थिति बेहतर

दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं दबाव में हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान वैश्विक जीडीपी 3.6 प्रतिशत रहने वाली है। 2023-24 के लिए भी दुनिया की अर्थव्यवस्था के इसी रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद जताई गई है। लेकिन भारत के बारे में मुद्रा कोष का अनुमान है कि 2022-23 के दौरान अर्थव्यवस्था में 8.2 प्रतिशत और 2023-24 में 6.9 प्रतिशत की तेजी रहेगी। इस मामले में भारत की रफ्तार पूरी दुनिया में सबसे तेज है।

ऐसी स्थिति में भारत के लिए चिंता की कोई बात नहीं है और जब अर्थव्यवस्था की रफ्तार ठीक रहेगी तो शेयर बाजार के भी संभले रहने की उम्मीद करनी चाहिए। लेकिन जैसा कि कहते हैं, जब पड़ोसी के घर आग लगी हो, तो आपका घर बेशक बच जाए, लेकिन उसकी तपिश तो महसूस होगी ही। इसलिए वक्त है थोड़ा संभलकर चलने का।

 

ब्लू चिप कंपनियों पर करें फोकस
बाजार में जब मंदड़िए हावी हों तो रणनीति बदल लेना बेहतर होता है। विश्लेषकों से लेकर निवेशकों तक, शेयर बाजार से जुड़ा एक बड़ा वर्ग है जो गिरावट को मौके के तौर पर देखता है और मानता है कि इसका इस्तेमाल उन शेयरों को खरीदकर जमा करने में करना चाहिए जो अमूमन ज्यादा कीमत पर ट्रेड करते हैं, लेकिन गिरावट के दौरान सस्ते में उपलब्ध होते हैं। लेकिन एक और बात है, गिरता शेयर बाजार कहां रुकेगा, कितना करेक्शन करेगा, इसका अंदाजा भी होना चाहिए। कारण, बेशक ब्लू चिप कंपनियां उतनी प्रभावित नहीं होतीं, जितना दूसरी कंपनियां होती हैं। जब संभावना इस बात की हो कि इनके शेयर और सस्ते में मिल सकते हैं तो उसी के लिए ज्यादा पैसे क्यों खर्च किए जाएं?

शेयर बाजार ऐसी जगह है, जहां से एक ही समय पर कई तरह के, और वह भी परस्पर विपरीत परिणाम मिलते हैं। किसी को कम तो किसी को ज्यादा फायदा, किसी को कम तो किसी को ज्यादा नुकसान। सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति आने वाले समय को कैसे देख रहा है और जो देख रहा है, वह भविष्य में कितना सही होगा। इसके साथ ही नफा-नुकसान इस बात पर भी निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति का रुख क्या है, उसकी रणनीति क्या है। वह कितना जोखिम उठा सकता है और सुरक्षित जोखिम के बारे में उसका नजरिया क्या है।

ऐसे में बेशक आप ब्लू चिप कंपनियों में ही निवेश करके अपने निवेश को ज्यादा सुरक्षित करना चाहें, आपको उन कारकों पर नजर रखनी होगी जिनकी वजह से बाजार सशंकित है। फिलहाल जो स्थिति है, भारत में शेयर बाजार को प्रभावित करने वाले दो बाहरी कारक हैं जिन्होंने दुनियाभर को प्रभावित किया है और जिन पर नजर रखनी चाहिए। एक, रूस और यूक्रेन युद्ध और दूसरा है कच्चे तेल की कीमतें। रूस और यूके्रन के बीच युद्ध अगर जारी रहता है तो बाजार ऐसे ही डरा-सहमा दिखेगा जैसा अभी है। लेकिन अगर यह बढ़ गया और रूस ने लड़ाई का दायरा बढ़ा दिया तो स्वाभाविक ही शेयर बाजार ज्यादा प्रतिक्रिया देगा। फिर है तेल की कीमतें। वैसे, तेल की कीमतें भी बहुत कुछ रूस-यूक्रेन युद्ध पर निर्भर हैं, लेकिन इसे एक अलग कारक के रूप में देखना बेहतर होगा, क्योंकि खाड़ी के देश, तेल उत्पादक अन्य देश और सबसे महत्वपूर्ण अमेरिका का रुख क्या रहता है, बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा। इन दोनों कारकों पर नजर रखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि बाजार कहां जाकर स्थिरता पा सकता है।

मजबूत बुनियाद
आम तौर पर ब्लू चिप कंपनियां अपने क्षेत्र की लीडर होती हैं और भारत में सामान्यतया इनका अपना-अपना बाजार पूंजीकरण भी काफी ज्यादा होता है। ऐसे में ज्यादा वित्तीय स्थिरता के चलते ये कंपनियां खराब समय को अच्छे से मैनेज कर लेती हैं। अब बात कुछ बड़ी कंपनियों की।

अगर भारत की सबसे बड़ी कंपनी की बात की जाए तो वह है रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड। यह कंपनी मुख्यत: तेल उत्खनन, रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स का काम करती है, लेकिन इसने अपने काम का विविधीकरण भी काफी सोच-समझ कर किया है। वित्त वर्ष 2021-22 की अंतिम तिमाही के दौरान कंपनी का शुद्ध लाभ 16,203 करोड़ रुपये रहा। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लि. (टीसीएस) बाजार पूंजीकरण के आधार पर भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। यह आईटी सेवा उपलब्ध कराने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के दौरान कंपनी का विशुद्ध मुनाफा 7.4 प्रतिशत बढ़कर 9,926 करोड़ रुपये हो गया। वैसे ही, उपभोक्ता सामान बनाने वाली हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड, बैंकिंग क्षेत्र की जानी-मानी कंपनी एचडीएफसी बैंक जैसी अन्य कंपनियों के भी परिणाम देखें तो पाएंगे कि बाजार में चल रही आंधी के बीच भी इनके पैर जमीन पर न केवल टिके रहे, बल्कि आगे बढ़ते रहे।

अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप इन कंपनियों में आंख बंद करके पैसे डाल सकते हैं। लेकिन जैसा कि शेयर बाजार का उसूल है- ज्यादा जोखिम, ज्यादा मुनाफा। यानी आप जितना जोखिम उठाएंगे, उसी अनुपात में आपकी कमाई होगी। ब्लू चिप कंपनियों में जोखिम कम रहता है तो मुनाफा भी कम। लेकिन अगर आप लंबे समय तक पैसे डालकर भूलने वाले व्यक्ति हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं।
इसके बाद बात यह उठती है कि ब्लू चिप कंपनियों में भी कहां पैसे डालें। वैसे तो आप इस श्रेणी की किसी भी कंपनी में पैसे डाल सकते हैं, क्योंकि बाजार में हर क्षेत्र की अपनी एक भूमिका होती है और जो कंपनियां बाजार में लीडर होती हैं, उनकी स्थिति मजबूत ही रहती है। फिर भी, अगर सरकार की प्राथमिकताओं और नीतियों को ध्यान में रखते हुए सेक्टर का चुनाव करें और फिर उसमें कंपनियों का, तो अपेक्षाकृत बेहतर नतीजा मिल सकता है। इसलिए मौजूदा समय में आप अपने लक्ष्यों, निवेश योग्य धन और जोखिम लेने की अपनी क्षमता को देखते हुए अच्छी-तरह सोच-विचार कर फैसला करें।

Topics: future of lic shareएलआईसीfeaदुनिया भर के शेयरशेयर का भविष्य
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