बोधराज मदान
डेरा गाजीखान
भारत के बंटवारे के वक्त हमारे गांव कोटकसाने और उसके आसपास के मुसलमान हिंदुओं से कहते थे,‘‘अब यह इलाका सिर्फ मुसलमानों का हो गया है। तुम लोग जल्दी से यहां से चले जाओ।’’ भारत आने के दौरान भी हमारी गाड़ी पर हमले हुए। हमलों के बीच ही हमारी गाड़ी लाहौर पहुंची। गाड़ी लाहौर रेलवे स्टेशन पर तीन दिन और चार रात तक खड़ी रही।
गाड़ी में न तो खाना बचा था और न ही पानी। इसके बाद भी फौज वाले हम लोगों को बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। कई लोगों की मौत तो भूख और दम घुटने से हो गई। लोग अपने रिश्तेदारों के शवों के साथ ही गाड़ी में पड़े रहे।
बाहर मुसलमान इस बात पर अड़े थे कि किसी भी सूरत में गाड़ी को आगे नहीं दिया जाएगा। खैर, फौजियों ने समझा-बुझाकर मुसलमानों को मनाया और हमारी गाड़ी चली।
टिप्पणियाँ