जानिए कैसे महिलाओं की जिन्दगी में बदलाव ला रही है “मिशन शक्ति”

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लखनऊ ब्यूरो

नवरात्र मातृशक्ति की आराधना का पावन पर्व है। आज से करीब दो साल पूर्व 17 अक्टूबर 2020 को शारदीय नवरात्र के पहले दिन मातृशक्ति के लिए समर्पित “मिशन शक्ति” की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलरामपुर से की थी।  15 अगस्त 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव के अपने संबोधन में भी मुख्यमंत्री ने इसका उल्लेख किया। अब इस योजना का चौथा चरण चल रहा है। इस योजना ने अपनी सार्थकता साबित की है। यह योजना, आधी आबादी की सुरक्षा, स्वावलंबन और सम्मान का सशक्त माध्यम बन चुकी है।

महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा के मद्देनजर प्रदेश के सभी 1584 थानों में (जीआरपी सहित) महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई। इनके जरिए करीब 40 हजार  शिकायतें निस्तारित की गईं। महिलाओं एवं बालिकाओं संबंधी अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने तथा उनमें  सुरक्षा की भावना जागृत करने के उद्देश्य से पहली बार प्रदेश के सभी थानों में महिला बीट गठित की गई।  महिला एवं बाल अपराध संबंधी मुकदमों में  अभियोजन पक्ष ने न्यायालय में प्रभावी ढंग से पैरवी की. इसके परिणाम स्वरूप  32 मुकदमे में मृत्यु दण्ड, 1191 मुकदमों में 10 वर्ष से अधिक की सजा, 1431 मुकदमों में अर्थदंड , 1323 मुकदमों में  आजीवन कारावास एवं  3420 मुकदमों में 10 वर्ष से कम तक की सजा हुई।

महिलाओं को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में सार्वजनिक स्थानों पर दिक्कत न हो, इसके लिए प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में महिलाओं के लिए 3535 पिंक टॉयलेट स्थापित किए गए। ग्रामीण क्षेत्रों में 50,772 सामुदायिक शौचालयों का रखरखाव महिला स्वयं सहायता समूहों को हैंडओवर किया गया। बालिका के जन्म के प्रति आमजन में सकारात्मक सोच विकसित करने के उद्देश्य से लागू मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत 1 लाख 55 हजार  नई पात्र बालिकाओं को लाभान्वित किया गया। इसी क्रम में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत अब तक दो लाख जोड़ों की दहेजरहित शादी कराई जा चुकी है।

नारी सशक्तिकरण के लिए जारी प्रयासों के तहत महिला पट्टेदारों को 3328 तथा पात्र गरीब एवं असहाय महिला पट्टेदारों को 2792 आवासीय पट्टा अभिलेख वितरित किये गये। स्वामित्व योजना के अंतर्गत 17025 महिलाओं को ग्रामीण आवासीय अभिलेख वितरित किये गये। इसी क्रम में वरासत अभियान के अंतर्गत महिला खातेदारों को 19962 निःशुल्क खतौनी वितरित की गयीं। ग्रामीण क्षेत्रों में 10 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन कर एक करोड़ से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया।

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