उत्तर प्रदेश में अब मिशन वन ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को पाने के लिए शहरों को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। शहरों में स्टार्टअप, निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा और रोजगार सृजन की दिशा में काम किया जाएगा। नए शहरों का विकास और राजमार्गों का नेटवर्क भी ठीक किया जाएगा। इससे मूलभूत सुविधाओं में भी बढ़ोतरी होगी। नगर विकास विभाग की योजना के मुताबिक नगर विकास के कार्यों के लिए पीएम गति शक्ति मॉडल का प्रयोग किया जाएगा। फिलहाल, गति शक्ति का क्रियान्वयन अमृत परियोजनाओं में किया जा रहा है। नेशनल अर्बन डिजिटल मिशन की संस्तुति पर राज्य डाटा सोसाइटी बनाई जा रही है।
नगर निकायों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए 16 नगर निगमों में जीआईएस सर्वेक्षण का कार्य प्रगति पर है, जिससे गृहकर में दोगुनी वृद्धि इस वित्तीय वर्ष के अन्त तक सम्भावित है। विभिन्न प्रकार के यूजर चार्जेस को युक्तिसंगत बनाने पर भी कार्य किया जा रहा है। लखनऊ में 200 करोड़ और गाजियाबाद में 150 करोड़ के म्युनिसिपल बॉन्ड जारी किए गए हैं। इस धनराशि का उपयोग आवासीय कॉम्पलेक्स और एसटीपी निर्माण में किया जा रहा है, जिससे भविष्य में राजस्व प्राप्ति भी होगी। इसी तर्ज पर जल्द दूसरे शहरों के भी म्युनिसिपल बांड जारी होंगे। छोटे स्थानीय निकायों में रोजगार सृजन और निवेश को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्त एजेंसियों की भागीदारी की जाएगी और अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन का गठन किया जाएगा।
वर्तमान में 25 प्रतिशत स्थानीय निकायों का अपना मास्टर प्लान है। अमृत योजना के तहत 141 शहरों के मास्टर प्लान स्वीकृत हो चुके हैं और 270 शहरों का ड्राफ्ट तैयार हैं। ऑनलाइन बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम के माध्यम से भवन स्वीकृति जारी की जा रही हैं। वाराणसी में अस्सी घाट का लोकल एरिया प्लान तैयार किया गया है। ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स और ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट पर भी नीति अंतिम चरण में है। वन सिटी, वन ऑपरेटर के माध्यम से सीवरेज सिस्टम और एसटीपी के रखरखाव और प्रबंधन के लिए 13 शहरों में 20 एसटीपी पर कार्य चल रहा है।
नगर विकास के क्षेत्र में सुझाए गए तीनों आयामों म्युनिसिपल वित्त, नगर नियोजन, प्रशासनिक संरचना और नागरिक केंद्रित प्रशासन के क्षेत्र में प्रदेश में प्रभावी रूप से कार्य किया जा रहा है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश का लक्ष्य निवेश प्रोत्साहन, रोजगार सृजन के माध्यम से शहरों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करते हुए ग्रोथ इंजन के रूप में विकसित किया जाएगा। साथ ही आवास, स्लम, जलापूर्ति, सॉलिड वेस्ट प्रबंधन, वायु गुणवत्ता, प्रदूषण, आजीविका और सार्वजनिक यातायात की व्यवस्था को भी दुरुस्त किया जाएगा।
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