राष्ट्र के रूप में हम भारतवासी युगों से एक रहे हैं। इसका कारण हमारे गुणसूत्रों में रची-बसी ‘सर्वपन्थ समादर भाव’ की भावना है जों हमें हर तरह की विविधता का सम्मान करना सिखाती है। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने माधव विद्या निकेतन में आयोजित संघ के महानगर एकत्रीकरण समारोह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। डॉ. कृष्णगोपाल अनुसार, हमें विभाजनकारी शक्तियों ने पहले भी तोडऩे की कोशिश की और आज भी कर रही हैं परन्तु हमें किसी भी सूरत में इन्हें सफल नहीं होने देना है।
संघ अधिकारी ने कहा कि पिछले कई युगों के भारतीय सामाजिक जीवन पर प्रकाश डालें तो पाएंगे कि मत-पन्थ, भाषा, खान-पान, पहनावे सहित अनेक तरह की विविधताएं हमारे समाज में मौजूद रही हैं। इसके बावजूद हमारा राष्ट्र एक रहा है। पहले तुर्कों, मुगलों ने तो बाद में यूरोप की शक्तियों ने इस एकता को तोडऩे की कुचेष्टा की पर वो सफल नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि हमें निश्चिन्त हो कर भी नहीं बैठना है क्योंकि किसी न किसी रूप में अलगावववादी शक्तियां आज भी विद्यमान हैं और इनसे सावधान रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देश को हर तरह की एकता के सूत्र में पिरोने का काम हमारे सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों ने किया है। गुरु नानक देव जी ने चार उदासियां कर देश को एकसूत्र में पिरोया। श्री गुरुग्रन्थ साहिब में सिख गुरुओं के अतिरिक्त अन्य महापुरुषों, भक्तों, सन्तों की बाणियों को स्थान मिला है। हम गुरु ग्रन्थ साहिब को नमन करते हुए एक साथ देश के इन महापुरुषों को भी नमन कर लेते हैं।
समारोह के मुख्यातिथि अर्जुन पुरस्कार विजेता पूर्व ओलम्पियन ब्रिगेडियर (से.नि) हरचरण सिंह (वीएसएम) ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की मुख्य शक्ति समाज में ही नीहित होती है और जब समाज स्वस्थ, जागरूक, शक्तिशाली, सभ्य व शिक्षित होगा राष्ट्र का स्वरूप भी ऐसा ही बनेगा। इस अवसर पर देश के लिए किसी भी रूप में अपना बलिदान देने वाले महापुरुषों का पुण्य स्मरण करके उन्हें श्रद्धाञ्जलि अर्पित की गई।
इस मौके पर संघ के अखिल भारतीय सह-सम्पर्क प्रमुक प्रदीप जोशी, उत्तर क्षेत्र प्रचार प्रमुख रामेश्वर सहित संघ के अनेक पदाधिकारी व स्वयंसेवक भी मौजूद थे।
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